निर्यातकों ने सरकार की प्रमुख निर्यात प्रोत्साहन योजना निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट (आरओडीटीईपी) के तहत मूल्यवर्धित निर्यात के लिए अधिक प्रोत्साहन की मांग की है। इस योजना का हालिया ढांचा कम मूल्य वर्धित उत्पादों पर ज्यादा रिफंड दरें प्रदान करता है। हालांकि निर्यातकों का मानना है कि यह देश में मूल्य वर्धित निर्यात को बढ़ावा दने की सरकार की नीति के विपरीत है।
निर्यातकों के शीर्ष निकाय फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोट्र्स आर्गेनाइजेशन (फियो) के अनुसार आरओडीटीईपी में एल्युमीनियम की बार और छड़ों पर रिफंड की दर 2.2 प्रतिशत है जबकि उसके मूल्यवर्धित उत्पादों पर 1.2 प्रतिशत की दर है।
फियो ने वाणिज्य मंत्रालय को लिखित ज्ञापन में कहा, ‘हम इस योजना में मूल्य वर्धित उत्पादों के निर्यात को उचित प्रोत्साहन देने के लिए अन्य मानदंड जोड़ने का अनुरोध करते हैं। कई उदाहण ऐसे हैं कि 100 प्रतिशत का मूल्य वर्धन होने पर भी कम मूल्य वर्धित उत्पादों की तुलना में कम आरओडीटीईपी की पात्रता मिलती है।’
आरओडीटीईपी योजना निर्यातकों को इनपुट पर भुगतान की गई केंद्र, राज्य और स्थानीय नॉन क्रेडिटेबल लेवी वापस करती है। इन करों को वापस नहीं किया जा रहा था लेकिन निर्यात संस्थाओं ने निर्यातित उत्पादों के निर्माण और वितरण की प्रक्रिया में खर्च किया था।
आरओडीटीईपी योजना 1 जनवरी, 2021 को अधिसूचित की गई थी। यह भारत की विवादित वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) की जगह लाई गई थी। दरअसल डब्ल्यूटीओ ने अपने फैसले में कहा था कि एमईआईएस योजना में कई उत्पादों पर निर्यात सब्सिडी दी गई है और यह वैश्विक कारोबार निकाय के उपबंधों का उल्लंघन करती है।
फियो ने सरकार से अनुरोध किया है कि आरओडीटीईपी योजना की कोई अंतिम तिथि नहीं होनी चाहिए। उसने कहा कि आरओडीटीईपी शुल्क तटस्थता योजना है और यह शुल्क वापसी के समान है।
यह सीमा शुल्क की भरपाई भी करती है। अभी यह योजना जून, 2024 तक वैध है। जीएसटी तंत्र के साथ शुल्क वापसी और शुल्क छूट योजना के साथ आरओडीटीईपी योजना भारतीय निर्यातकों को शून्य रेटिंग प्रदान करती है। यह योजना डब्ल्यूटीओ के अनुशासन के तहत सब्सिडी और काउंटरवेलिंग उपबंधों (एएससीएम) के अनुकूल है।
निर्यातकों ने फिर मांग की है कि आरओडीटीईपी योजना को निर्यात के सभी क्षेत्रों पर लागू किया जाए। इसमें ईओयू या सेज या अग्रिम प्राधिकरण वाली इकाइयां को भी शामिल किया जाए।