राज्यों और निजी क्षेत्र से रिकॉर्ड स्तर पर अतिरिक्त प्रतिबद्धता मिलने के बाद नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) अब इस क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने की कवायद करेगा। गांधीनगर में आयोजित चौथे आरई-इन्वेस्ट कॉन्फ्रेंस के दौरान बिजनेस स्टैंडर्ड से अलग से बातचीत में केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार की सभी प्रमुख योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए वह राज्यों के साथ संपर्क अभियान शुरू करेंगे।
सोमवार को आरई-इन्वेस्ट में मंत्रालय को राज्यों से 540 गीगावॉट (जीडब्ल्यू) आरई क्षमता वृद्धि की प्रतिबद्धताएं मिली हैं। मंत्री ने कहा, ‘हम 200 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता वृद्धि तक पहुंच चुके हैं। 500 गीगावॉट से अधिक की प्रतिबद्धता से 2030 तक कुल क्षमता 700 गीगावॉट से ज्यादा हो जाएगी। ऐसे में अगर कुछ क्षमता मूर्त रूप नहीं भी ले पाती है तो यह 100 प्रतिशत निश्चित है कि हम 500 गीगावॉट क्षमता पार करने जा रहे हैं। हमें इस कार्यक्रम से यह भरोसा हासिल हुआ है।’
उद्योग के साथ एक चर्चा के दौरान जोशी ने कहा कि अक्षय ऊर्जा से उत्पादित बिजली की निकासी और इस क्षेत्र को धन मुहैया कराने के मसले सामने आए हैं और यह मंत्रालय की आगे की रणनीति में शामिल होगा।
मंत्री ने कहा, ‘उद्योग ने यह चिंता जताई है कि राज्यों में इसकी निकासी एक चुनौती है। अक्षय ऊर्जा तक सामान्य पहुंच के साथ इसे लेकर कुछ राज्यों की सुस्ती भी है। मैं राज्यों से व्यक्तिगत संपर्क करूंगा और इन मसलों के समाधान की राह निकालने की कवायद करूंगा। वे मुख्य हिस्सेदार हैं और अब उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा कर दी है। ऐसे में हमें मिलकर काम करना है।’
उन्होंने कहा कि एमएनआरई की दो प्रमुख योजनाओं पीएम सूर्यघर योजना और पीएम-कुसुम योजना को भी गति दी जाएगी, जिसके लिए राज्यों की मशीनरी के समर्थन की जरूरत है।
जोशी ने कहा, ‘पीएम-कुसुम को लेकर राज्यों को जागरूकता का प्रसार करना होगा। साथ ही योजना लागू करने के लिए उन्हें अपनी व्यवस्था बनानी होगी। कुछ राज्यों ने अपने लक्ष्य से अधिक हासिल कर लिया है और अधिक आवंटन की मांग कर रहे हैं। ऐसे राज्यों में आंध्र प्रदेश शामिल है। इसलिए, अब हम सोच रहे हैं कि अगर कोई राज्य अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है, तो हम उनका आवंटन वापस लेंगे और उसे उस राज्य को दे देंगे, जिसे उसकी जरूरत है।’
जोशी ने कहा कि वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में कुल 32.45 लाख करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई गई हैं। विनिर्माताओं ने सौर पैनल में 340 गीगावॉट, सौर सेल में 240 गीगावॉट, पवन चक्की में 22 गीगावॉट और इलेक्ट्रोलाइजर में 10 गीगावॉट की अतिरिक्त विनिर्माण क्षमता की प्रतिबद्धता जताई है।
सम्मेलन में 7,000 से अधिक लोगों ने शिरकत की। इसमें करीब 100 कंपनियों ने हिस्सा लिया। जोशी ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के लिए जर्मन और डेनमार्क के राजनियकों के साथ हुए व्यापक विचार-विमर्श के बारे में भी बताया।
उन्होंने दुनिया भर में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए भारत-जर्मन मंच की शुरुआत के बारे में भी जानकारी दी। जून-अगस्त 2024 के दौरान 4.5 गीगावॉट के लक्ष्य से अधिक 6 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ी है।