बिजली की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ने की संभावना और कोयले पर निर्भर ऊर्जा की लागत बढ़ने के साथ इस साल की गर्मियां बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिए महंगी साबित हो सकती हैं।
केंद्र सरकार जनवरी से तमाम तरह के नियमन पर जोर दे रही है, जिससे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके और कोयले की कमी की स्थिति से बचा जा सके, क्योंकि रिकॉर्ड गर्मी अब करीब आने वाली है।
लागत बढ़ने की वजह से डिस्कॉम बिजली के दाम बढ़ाने पर जोर दे रही हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों ने 15 से 30 प्रतिशत शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। इसे मंजूरी मिलना अभी बाकी है, लेकिन प्रस्तावों से संकेत मिलता है कि विरासत में घाटा लेकर चल रही वितरण कंपनियों पर लागत का दबाव बहुत ज्यादा है।
बढ़ रही है बिजली की लागत
पिछले साल कुछ राज्यों ने कम कोयले की आपूर्ति की शिकायत की थी। इस साल ऐसी स्थिति से बचने के लिए केंद्र सरकार ने गर्मी के महीनों के पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी है।
कई नियमन और नोटिसों के माध्यम से केंद्र ने महंगा आयातित कोयला मिलाना अनिवार्य कर दिया है। साथ ही इसकी लागत ग्राहकों पर डालने की अनुमति दी गई है। वहीं कोयला ढुलाई के नए मार्ग खोले गए हैं, जिसमें रेल-समुद्र-रेल मार्ग शामिल है। साथ ही पनबिजली और गैस पर आधारित बिजली के क्षेत्र में भी संभावना तलाशी जा रही है।
क्षमता बढ़ाने की तमाम कवायदों के बावजूद अक्षय ऊर्जा (सौर और पवन) की कुल बिजली आपूर्ति में हिस्सेदारी महज 10 प्रतिशत है। पनबिजली और गैस से पैदा होने वाली बिजली के अधिकतम उत्पादन सुनिश्चित करने की कवायद (जरूरत के मुताबिक तत्काल उत्पादन) की कवायद हो रही है। इससे ताप बिजली पर पूरी तरह दबाव की स्थिति कम होगी।
इन कदमों की वजह से डिस्कॉम की लागत बढ़ेगी, जिन्हें बिजली की ज्यादा मांग का सामना करना पड़ रहा है, जो पिछले 2 साल से स्थिर था। राज्य बिजली नियामक आयोग के एक सदस्य ने इस अखबार से कहा कि डिस्कॉम की ज्यादातर याचिकाएं उत्पादन की बढ़ी दरों के मुताबिक बिजली दरें बढ़ाने को लेकर है।
सदस्य ने कहा, ‘डिस्कॉम ने बिजली खरीद बढ़ा दी है, जिससे स्वाभाविक रूप से कोयले की मांग बढ़ेगी। अब जेनको महंगा कोयला आयात कर रही हैं। हाइड्रो और गैस भी महंगी है। अनुमान है कि कुछ डिस्कॉम की बिजली की लागत पिछले 2 साल की तुलना में दोगुनी हो जाएगी।’
इक्रा के मुताबिक वित्त वर्ष 22 के पहले 10 महीनों की तुलना में वित्त वर्ष 23 के पहले 10 महीनों में बिजली इकाइयों का कोयला आयात 110 प्रतिशत अधिक है। इक्रा में कॉर्पोरेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड और वाइस प्रेसीडेंट विक्रम वी ने कहा, ‘थर्मल पीएलएफ पिछले साल की तुलना में 64 प्रतिशत बढ़ा (फरवरी तक) है। इसकी वजह से भी कोयले की मांग बढ़ी है। कोयले की आपूर्ति में दो अंकों की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन घरेलू कोयला आपूर्ति की अपनी सीमाएं हैं।’
हर जगह निगरानी
पिछले 2 साल के दौरान वित्तीय रूप से संकट में फंसी डिस्कॉम की जांच बढ़ी है। चाहे वह सुधार योजना आरडीएसएस हो या देर से भुगतान के अधिभार (एलपीएस) नियमों के माध्यम से भुगतान को लेकर अनुशासन का मसला हो, डिस्कॉम पर सख्ती बढ़ाई गई है।
एलपीएस के तहत केंद्र सरकार ने साफ किया है कि अगर डिस्कॉम उत्पादन कंपनियों (जेनको) को भुगतान नहीं करती हैं तो उनकी आपूर्ति रोक दी जाएगी। विक्रम ने कहा कि यह एक और वजह है कि डिस्कॉम को ज्यादा फंड की जरूरत है।
एक निजी बिजली यूनिट के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खासकर 2024 में होने वाले आम चुनावों को देखते हुए बिजली के दाम में बढ़ोतरी राजनीतिक बाध्यताओं से बंधी है, वहीं वितरण कंपनियों के लिए यह मुश्किल दौर है।