भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है। दोनों पक्षों में विवादास्पद डिजिटल ट्रेड अध्याय पर सैद्धांतिक रूप से रजामंदी हो गई है। मगर व्यापार और सतत विकास पर मतभेद बने हुए हैं। यूरोपीय आयोग (ईसी) ने ब्रसेल्स में 7 से 11 जुलाई के बीच हुई 12वें दौर की वार्ता के समापन के बाद बयान में कहा, ‘टेक्स्ट-आधारित वार्ताओं के संबंध में दोनों पक्षों ने डिजिटल ट्रेड अध्याय और धोखाधड़ी रोधी प्रावधान पर सैद्धांतिक रूप से सहमति जताई है मगर कुछ तकनीकी परामर्श अभी लंबित हैं।’
ईयू की ओर से मसौदा प्रस्ताव में कहा गया है कि डिजिटल ट्रेड अध्याय का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से होने वाले व्यापार को सुलभ बनाने के लिए ‘अनुचित बाधाओं’ को दूर करना और व्यवसाय तथा ग्राहकों के लिए खुला, सुरक्षित और भरोसेमंद ऑनलाइन व्यवस्था सुनिश्चित करना है।
इस महत्त्वपूर्ण अध्याय में सीमा पार डेटा प्रवाह, व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा और गोपनीयता जैसे क्षेत्र शामिल हैं और भारत में इसे लेकर काफी संवेदनशीलता बरती जाती है। मई में हुए वार्ता के 11वें दौर के बाद ईयू ने एक बयान में कहा था कि दोनों पक्षों में डिजिटल ट्रेड को लेकर बातचीत में ई-इनवॉइसिंग, ई-सत्यापन, ई-अनुबंध, कागज रहित व्यापार, ऑनलाइन उपभोक्ता संरक्षण, स्पैम, डिजिटल पहचान और सरकारी डेटा की खुली उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने के प्रावधानों पर पर्याप्त प्रगति हुई है। कुछ अनसुलझे मुद्दे हैं जिसका समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है।
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी को संयुक्त रूप से घोषणा की थी कि दोनों पक्षों का उद्देश्य 2025 के अंत तक मुक्त व्यापार समझौते को पूरा करना है। पिछले महीने केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच वार्ता तेजी से आगे बढ़ रही है और साल के अंत की समयसीमा से पहले भी समझौते पर पहुंचा जा सकता है।
व्यापार और सतत विकास में विवादास्पद श्रम और पर्यावरण मुद्दे को भारत गैर-व्यापारिक मुद्दे मानता है। इस पर यूरोपीय संघ के बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने रचनात्मक चर्चा की जिसके परिणामस्वरूप कई प्रावधानों पर प्रगति हुई और अन्य पर विकल्प तलाशे गए। इसके बावजूद व्यापार और सतत विकास प्रतिबद्धताओं की बाध्यकारी और लागू करने योग्य प्रकृति सहित अन्य मुद्दों पर मतभेद बने हुए हैं।
यूएनईएससीएपी में व्यापार, निवेश और नवाचार प्रभाग की निदेशक रूपा चंदा ने कहा कि यह एक स्वागत योग्य कदम है क्योंकि डिजिटल व्यापार दोनों पक्षों के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है और द्विपक्षीय संबंधों के विकास की अपार संभावना है। उन्होंने कहा, ‘भारत के डिजिटल पर्सनल डेटा संरक्षण अधिनियम और व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद के तहत साझा आधार खोजने के लिए समानांतर चर्चाओं ने इसमें मदद की होगी। साथ ही भू-राजनीतिक घटनाक्रम ने यूरोपीय संघ को ऐसे साझेदार खोजने के लिए प्रेरित किया होगा जिनके साथ वह तालमेल बिठा सके।’
वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव एल सत्य श्रीनिवास ने बीते मंगलवार को संवाददाताओं से कहा था कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच वार्ता प्रगति पर है और दोनों पक्षों ने ब्रसेल्स में वार्ता के 12वें दौर के दौरान सेवा क्षेत्र से संबंधित प्रस्तावों का आदान-प्रदान किया है। यूरोपीय संघ ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच वार्ता का 13वां दौर दूसरे हफ्ते में नई दिल्ली में होने वाला है।