भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रीपो दर में 50 आधार अंक की बड़ी कटौती की है। बाजार सहित विशेषज्ञों ने नीतिगत दर में 25 आधार अंक की कमी का अनुमान जताया था मगर उन्हें इस हद तक कमी किए जाने की उम्मीद नहीं थी। शुक्रवार को इस घोषणा के बाद बॉन्ड बाजार झूम उठा। रीपो दर में बड़ी कटौती का मकसद उधारी एवं जमा दरों तक कटौती का असर तेजी से पहुंचाना है।
मगर रीपो दर में कटौती का जश्न अधिक देर तक कायम नहीं रह सका क्योंकि केंद्रीय बैंक ने अपना ‘रुख’ उदार की जगह ‘तटस्थ’ कर लिया है। रुख में बदलाव का मतलब यह निकाला जा रहा है कि आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए आरबीआई के पास अब अधिक गुंजाइश मौजूद नहीं है।
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एमपीसी ने नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) भी 100 आधार अंक घटाने की घोषणा की है। हालांकि यह कटौती चरणबद्ध तरीके से होगी। सीआरआर में कटौती ने सबको चौंका दिया है क्योंकि सामान्य हालात में पहले यह दर इतनी कभी नहीं घटाई गई थी।
रीपो दर में भारी भरकम कटौती से साफ हो गया है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ावा देने के लिए अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल और अनिश्चितताओं के बीच आर्थिक विकास दर उम्मीद से कम रही है।
नीतिगत दरों की घोषणा के बाद मल्होत्रा ने कहा, ‘आर्थिक रफ्तार बढ़ाने के लिए निजी घरेलू उपभोग को बढ़ावा देना होगा और यह नीतिगत दरों में कटौती से ही संभव हो पाएगा। मौजूदा आर्थिक वृद्धि दर और मुद्रास्फीति का समीकरण न केवल नीतिगत दर नरम रखने की मांग कर रहा है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए दरों में बड़ी कटौती की जरूरत पर भी जोर दे रहा है।’
एमपीसी के छह सदस्यों में से पांच ने रीपो दर 50 आधार अंक घटाने के पक्ष में मतदान किया जबकि एक सदस्य इसके पक्ष में नहीं थे। इस समिति के बाहरी सदस्य सौगत भट्टाचार्य रीपो दर 25 आधार अंक घटाने के पक्ष में थे।
मल्होत्रा ने कहा, ‘यह बात मेरे दिमाग में भी आई थी कि मौद्रिक नीति की पिछली बैठक में ही हमने रुख में बदलाव किया था। हमारे पास बदलाव न करने का विकल्प मौजूद था मगर यह कदम सोच-समझकर उठाया गया है।’
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उन्होंने कहा, ‘हमें लगा कि दूसरा विकल्प सही था। हमने दरें घटाने का वादा किया था और हमने किया भी। अब हमने रुख में बदलाव किया है। हम यह संदेश देना चाहते थे कि दरों में और कटौती की गुंजाइश सीमित है।’