इतालवी लक्जरी समूह प्राडा भारत के पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पल से प्रेरित सैंडल बनाएगा। उसकी योजना अगले साल फरवरी तक दुनिया भर में अपने चुनिंदा स्टोर पर इस कलेक्शन को उतारने की है।
प्राडा ने इस संबंध में बुधवार को मुंबई में इटली के महावाणिज्य दूतावास में संत रोहिदास लेदर इंडस्ट्रीज ऐंड चर्मकार डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (लिडकॉम) तथा डॉ. बाबू जगजीवन राम लेदर इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (लिडकार) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। भारतीय चमड़ा उद्योग और कोल्हापुरी चप्पलों की विरासत के संरक्षण, प्रचार और विकास करने वाले इन सरकारी संगठनों तथा प्राडा के बीच यह समझौता इटली-भारत बिजनेस फोरम के अवसर पर हुआ।
प्राडा ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘यह समझौता ‘प्राडा मेड इन इंडिया एक्स इंस्पायर्ड बाय कोल्हापुरी चप्पल्स” परियोजना के ढांचे, कार्यान्वयन और मार्गदर्शन के तहत किया गया है, जो इस विश्व विख्यात विरासत सैंडल के सीमित कलेक्शन के जरिए भारतीय शिल्प कौशल को आगे बढ़ाएगा।’
विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि इन चप्पलों का निर्माण महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुशल कारीगरों के सहयोग से किया जाएगा, जहां पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पलें हाथ से बनाई जाती हैं। इस नए कलेक्शन में प्राडा के डिजाइन और सामग्री तथा कोल्हापुर की पारंपरिक तकनीक की झलक देखने को मिलेगी।
इतालवी लक्जरी ब्रांड प्राडा की चार सदस्यीय टीम ने मंगलवार और बुधवार को कोल्हापुरी चप्पल बनाने की कला को समझने के लिए महाराष्ट्र के कोल्हापुर का दौरा किया। टीम में फुटवियर डिवीजन में पुरुषों के तकनीकी और उत्पादन विभाग के निदेशक पाओलो टिवरॉन, पैटर्न-मेकिंग मैनेजर डेनियल कोंटू और बाहरी सलाहकार एंड्रिया पोलास्ट्रेली और रॉबर्टो पोलास्ट्रेली शामिल थे।
पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पल 8 जिलों में बनाई जाती हैं। इनमें कर्नाटक के चार जिले- बेलगावी, बागलकोट, धारवाड़, बीजापुर तथा महाराष्ट्र के चार जिले- कोल्हापुर, सांगली, सतारा, सोलापुर शामिल हैं। वर्ष 2019 में कोल्हापुरी चप्पलों को जीआई टैग (भौगोलिक संकेत) दिया गया था, जिससे उनकी प्रामाणिकता पुख्ता हुई और उनके सांस्कृतिक महत्त्व को रेखांकित किया।
प्राडा समूह में कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के प्रमुख लोरेंजो बर्टेली ने बयान में कहा, ‘लिडकॉम और लिडकार के साथ हमारा सहयोग सार्थक सांस्कृतिक आदान-प्रदान से प्रेरित है, जहां हर कोई न केवल एक उत्पाद बनाता है, बल्कि व्यापक पहल को दिशा देने में योगदान देता है।’ उन्होंने बताया कि प्राडा का यह संग्रह अगले साल फरवरी में दुनिया भर में ब्रांड के 40 चुनिंदा स्टोर्स और उसके आधिकारिक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लॉन्च किया जाएगा।
लिडकॉम की प्रबंध निदेशक प्रेरणा देशभ्रतार ने भी कहा, ‘यह परियोजना लगातार संवाद और उन कारीगरों की पीढ़ियों का सम्मान करने की साझा प्रतिबद्धता का परिणाम है, जिन्होंने इस पारंपरिक शिल्प को संरक्षित किया है।
राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने कहा कि इस करार से अनेक कारीगरों, उद्यमियों और व्यवसायियों को लाभ होगा। इस विशेष कलेक्शन से कारीगरों की कला को नई दिशा मिलेगी और उनके कौशल की वैश्विक स्तर पर पहचान और अधिक मजबूत होगी।
लिडकार की प्रबंध निदेशक डॉ. के. एम. वसुंधरा ने कहा कि कोल्हापुरी चप्पलों की परंपरा महाराष्ट्र–कर्नाटक के कारीगरों की सदियों पुरानी कला का प्रतीक है। यह सहयोग प्रशिक्षण, रोजगार और वैश्विक अवसरों के नए द्वार खोलेगा। इस जीआई-टैग वाले शिल्प को संरक्षित करना और कारीगरों को श्रेय देना इस सांस्कृतिक, पारंपरिक और आर्थिक विरासत की रक्षा की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है।
(साथ में सुशील मिश्र)