भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकार को 87,416 करोड़ रुपये का अधिशेष हस्तांतरित करने की मंजूरी दी है। हालांकि RBI ने 6 फीसदी आकस्मिक जोखिम बफर रखने का निर्णय किया है। हस्तांतरित की जाने वाली अधिशेष राशि वित्त वर्ष 2022 की तुलना में करीब तिगुनी है मगर वित्त वर्ष 2022 के आंकड़ों से इसकी सटीक तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि उस साल RBI के लिए वित्त वर्ष नौ महीने का ही था। केंद्रीय बैंक ने पिछले साल से लेखा वर्ष जुलाई-जून को बदलकर अप्रैल-मार्च कर दिया था।
वित्त वर्ष 2021 में RBI ने सरकार को 30,307 करोड़ रुपये अधिशेष हस्तांतरित किए थे। वित्त वर्ष 2022 में आकस्मिक बफर 5.5 फीसदी था। वित्त वर्ष 2022 में आपात कोष के लिए करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था।
वित्त वर्ष 2023 में विदेशी मुद्रा भंडार की बिक्री से ज्यादा आय होने की वजह से अधिशेष में इजाफा हुआ है। केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा, ‘निदेशक मंडल ने अपनी बैठक में वैश्विक और घरेलू आर्थिक स्थिति तथा वर्तमान वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाक्रम के प्रभाव सहित संबंधित चुनौतियों की समीक्षा की।’
बयान में कहा गया, ‘निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2023 के दौरान रिजर्व बैंक के कामकाज पर भी चर्चा की और वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट तथा खातों को मंजूरी दी। निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2023 के लिए केंद्र सरकार को 87,416 करोड़ रुपये अधिशेष हस्तांतरित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी जबकि आकस्मिक जोखिम बफर 6 फीसदी रखने का निर्णय किया है।’
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि ज्यादा अधिशेष हस्तांतरण मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा भंडार बेचने की वजह से संभव हो पाया है। हालांकि RBI का अमेरिकी ट्रेजरी में बड़ा निवेश है और इसके यील्ड में तेज वृद्धि से मुनाफा भी प्रभावित हुआ है।
एमके ग्लोबल की लीड अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2023 में विदेशी मुद्रा भंडार की बिक्री से हुई प्राप्तियों के कारण अधिशेष में इजाफा हुआ है। हालांकि विदेशी प्रतिभूतियों में मार्क टू मार्केट घाटे पर उच्च प्रावधान आंशिक मुनाफे से किया जा रहा है। इसके अलावा पहले के 5.5 फीसदी की तुलना में 6 फीसदी आकस्मिक बफर के कारण भी मुनाफे पर असर पड़ा है।’
एमके के अनुमान के मुताबिक फरवरी 2023 तक RBI द्वारा 206 अरब डॉलर की बिकवाली की गई है। ज्यादातर बिक्री जून-दिसंबर के दौरान की गई जब रुपया डॉलर के मुकाबले 80.6 के आसपास था।
अरोड़ा ने कहा, ‘RBI से अधिशेष मिलने से केंद्र को सकल घरेलू उत्पाद का करीब 0.2 फीसदी अतिरिक्त राजस्व मिल सकता है, जिससे कम कर राजस्व, विनिवेश में कमी आदि की कुछ हद तक भरपाई हो सकती है।’
इस साल आम बजट में केंद्रीय बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 48,000 करोड़ रुपये लाभांश मिलने का अनुमान लगाया गया था।