केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने इंदिवजल धस्माना को बताया कि अंतरिम बजट में दिए गए अप्रत्यक्ष कर आंकड़े वास्तविक हैं। उनका कहना है कि अगर वैश्विक रुझान में तेजी देखी जाएगी, तब सीमा शुल्क संग्रह बढ़ सकता है और लक्ष्य केवल रुझानों के आधार पर ही तय किए जा सकते हैं। बातचीत के संपादित अंश:
दिसंबर तक सीजीएसटी संग्रह वित्त वर्ष 2024 के लिए बजट अनुमान के तीन-चौथाई से थोड़ा कम था। पिछले तीन तिमाहियों की तुलना में प्रत्येक तिमाही में हमेशा पांच से छह प्रतिशत अधिक संग्रह होता है। इसलिए, हम उम्मीद कर रहे हैं कि हम बजट अनुमान को हासिल कर लेंगे लेकिन यह उससे अधिक नहीं होगा।
दिसंबर तक सीमा शुल्क संग्रह में साल-दर-साल 1.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हमने उसी रुझान के आधार पर राजस्व आंकलन किया है। वाणिज्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर तक डॉलर के संदर्भ में माल आयात में 8 प्रतिशत की कमी आई है। यह मुख्य रूप से जिंस कीमतों में कमी के कारण था। इसलिए, आयात की मात्रा बढ़ी होगी लेकिन मूल्य के लिहाज से वे कम हो गए।
विनिमय दर का भी एक मुद्दा है जिसे आपको ध्यान में रखना होगा। बजट अनुमान की दर दिसंबर तक सीमा शुल्क वृद्धि से काफी अधिक थी। हम उसे हासिल नहीं कर पाएंगे। यदि आप इस दर को बनाए नहीं रख रहे हैं तब अनुमान को संशोधित करना ही बेहतर है।
हमने अगले साल के अनुमान, मौजूदा वित्त वर्ष में संग्रह के आधार पर लगाए हैं। अगले साल क्या होगा, यह कोई नहीं जानता। वैश्विक स्तर पर हालात अचानक सुधर सकते हैं और वैश्विक गतिविधियों में तेजी आ सकती है। इससे भारत के साथ वैश्विक व्यापार भी बढ़ेगा। इसलिए, हमें बेहतर राजस्व मिल सकता है। लेकिन लक्ष्य तय करते समय हमें रुझानों के अनुसार चलना होगा। इसी वजह से हमने मौजूदा वित्तीय वर्ष में सीमा शुल्क पक्ष पर राजस्व संग्रह के आधार पर लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
चालू वित्त वर्ष में अब तक हम तीन महीनों में 1.7 ट्रिलियन रुपये का आंकड़ा पार कर चुके हैं। इसलिए, अगले वित्तीय वर्ष में औसत राशि लगभग 1.7 ट्रिलियन रुपये हो सकती है।
इस क्षेत्र में कर नियमों का उल्लंघन होता है। विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के लिए गठित समिति ने सिफारिश की थी कि कुछ विशिष्ट वस्तुओं के मामले में मसलन जिन मशीनों पर पैकेजिंग की जाती है, उनका पंजीकरण एक सामान्य पोर्टल पर किया जाना चाहिए। अब, यदि वे मशीनों का पंजीकरण नहीं करते हैं तब जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। यह कदम मूल रूप से चोरी रोकने के लिए है।
तंबाकू के अलावा, लोहा और इस्पात क्षेत्र में भी इस तरह की दिक्कतें देखी जाती हैं।
नहीं। जीएसटी से पहले के दौर में तंबाकू क्षेत्र पर उत्पाद शुल्क के मिश्रण को लागू किया जाता था। फैक्टरी में लगी मशीनों के आधार पर यह मिश्रित शुल्क होता था। जीएसटी की शुरूआत के बाद, इस तरह का शुल्क अब नहीं है क्योंकि नया कर गंतव्य-आधारित कर है। इसीलिए, अब हम निर्माताओं से इन मशीनों को पंजीकृत करने के लिए कह रहे हैं। लोहा और इस्पात क्षेत्र में सामान्य तौर पर कर चोरी रोकने के उपाय लागू होंगे।