facebookmetapixel
अगस्त में खुदरा महंगाई मामूली बढ़कर 2.07 प्रतिशत हुई, ग्रामीण और शहरी इलाकों में कीमतों में हल्की बढ़ोतरी दर्जGST दरें घटने पर हर महीने कीमतों की रिपोर्ट लेगी सरकार, पता चलेगा कि ग्राहकों तक लाभ पहुंचा या नहींSEBI ने कहा: लिस्टेड कंपनियों को पारिवारिक करार का खुलासा करना होगा, यह पारदर्शिता के लिए जरूरीनई SME लिस्टिंग जारी, मगर कारोबारी गतिविधियां कम; BSE-NSE पर सौदों में गिरावटदुर्लभ खनिज मैग्नेट की कमी से जूझ रहा है भारतीय वाहन उद्योग, सरकार से अधिक सहयोग की मांगसरकारी बैंकों के बोर्ड को मिले ज्यादा अधिकार, RBI नियमन और सरकार की हिस्सेदारी कम हो: एक्सपर्ट्सGST Reforms का फायदा लूटने को तैयार ई-कॉमर्स कंपनियां, त्योहारों में बिक्री ₹1.20 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमानFY26 में भारत का स्मार्टफोन निर्यात $35 अरब छूने की राह पर, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में तेजी: वैष्णवSEBI ने IPO और MPS नियमों में दी ढील, FPI रजिस्ट्रेशन के लिए सिंगल विंडो शुरू करने का ऐलानअधिक लागत वाली फर्मों को AI अपनाने से सबसे ज्यादा लाभ होगा

फंसे हुए ऋणों में हर साल हो सकती है 3 अरब डॉलर की बढ़ोतरी

Last Updated- December 07, 2022 | 2:01 AM IST

अर्थ का अर्थ के पिछले अंक में हमने लाभकारी ऋणों की चर्चा की थी। इस बार इसी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए हम बताएंगे कि अलाभकारी या फंसे हुए ऋण क्या होते हैं।


परिभाषा

अगर देनदार (मुख्य तौर पर बैंक) की ओर से देखें तो ऐसे कर्ज जिनकी वसूली की उम्मीद नहीं के बराबर हो, उन्हें अलाभकारी ऋण कहते हैं। बैंक ऐसे ऋणों को बही खाता बनाते वक्त खर्च के तौर पर दर्ज कर लेते हैं। इन्हें गैर निष्पादित परिसंपत्ति के तौर पर भी जाना जाता है।

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2006 में भारत के कुल अलाभकारी या फंसे हुए ऋण की राशि 40 अरब डॉलर यानी 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये के करीब थी। इसमें सालाना 3 अरब डॉलर की दर से वृद्धि होने का अनुमान है। कई बार बैंकों के लिए यह निर्धारित कर पाना मुश्किल हो जाता है कि कोई ऋण वास्तव में अलाभकारी ऋण है या नहीं।

सामान्य मानदंडों के अनुसार अगर 3 साल तक किसी ऋण की किश्त बिना किसी ठोस कारण के न चुकाई जाए तो बैंक उसे अलाभकारी ऋण मान लेते हैं। पर इसे किसी आखिरी समय सीमा के रूप में नहीं समझा जा सकता। ऋण किन शर्तों पर लिया गया है, यह भी महत्वपूर्ण है।

लेनदारों की ओर से देखें तो कह सकते हैं कि ऐसे ऋण जिनके इस्तेमाल का उद्देश्य मुनाफा कमाना नहीं हो, जो शौकिया लिए गए हों या फिर जिनसे आय के स्रोत पैदा न हों, उन्हें अलाभकारी ऋण कहते हैं। अलाभकारी ऋण का सबसे बेहतरीन और आम उदाहरण क्रेडिट कार्ड है। इसके साथ एक नुकसानदायक पहलू यह भी है कि क्रेडिट कार्ड पर लगने वाली ब्याज दर काफी अधिक होती है।

कई दफा अलाभकारी ऋण को समझने के लिए एक बारीक सा अंतर ही होता है। उदाहरण के लिए अगर आपने कोई मकान खरीदने या बनवाने के लिए ऋण लिया है, तो आपको फर्नीचर और दूसरे घरेलू उपकरणों के लिए भी पैसे की जरूरत होगी।

ध्यान रखने वाली बात यह है कि मकान के लिए लिया गया ऋण लाभकारी ऋण की श्रेणी में आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि देश में जिस दर से अचल संपत्ति की कीमतें बढ़ रही हैं, उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर आगे चलकर आप अपने मकान को बेचते हैं तो आप फायदे में ही रहेंगे। कम से कम आपको घाटा होने की उम्मीद तो नहीं के बराबर है। पर मकान की साज सज्जा, फर्नीचर और घरेलू उपकरणों के दाम समय के साथ घटेंगे ही, उनके बढ़ने की संभावना नहीं के बराबर है।

ऐसे में आपके ऋण पर जो ब्याज लग रहा है, उसका भार आपको ज्यादा महसूस होगा। इसका मतलब यह नहीं कि इन वस्तुओं के लिए आप पैसा ही न खर्च करें, पर इनके लिए उतने ही खर्च का बजट तैयार करें, जितना पैसा आपके पास हो। या फिर इन जरूरतों के लिए आपको कम से कम ऋण लेना पड़े।

फंसे हुए ऋण से पीछा छुड़ाएं

कर्ज से निकलने के लिए पहले ये जरूरी है कि आपको ठीक ठीक पता हो कि आपके ऊपर कितना कर्ज है। तभी आप कर्ज को लाभकारी और अलाभकारी की श्रेणी में बांट सकेंगे। कर्ज की प्रकृति क्या है, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है कि ब्याज दर क्या होगी। अगर ऋण आसानी से लिया जा सकता हो और सुरक्षा राशि के एवज में कोई खास मांग नहीं हो तो आपको इस ऋण के लिए अधिक ब्याज दर चुकानी पड़ेगी।

अगर आप ऋण को चुकाने का विचार कर रहे हैं तो पहले उन ऋणों को चुकता करें जिनके लिए अधिक ब्याज दर चुकानी पड़ रही है। भले ही यह ऋण छोटा ही क्यों न हो। ऊंची ब्याज दरों वाले ऋण को चुकाने के लिए अगर आपको अपेक्षाकृत कम ब्याज दर पर ऋण भी लेना पड़े तो यह घाटे का सौदा नहीं होगा।

First Published - May 27, 2008 | 11:21 PM IST

संबंधित पोस्ट