एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से 2020-21 के बजट में करदाताओं को कुछ छूटों को छोडऩे पर कम आयकर देने के विकल्प ने धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए दान को हतोत्साहित किया है। बजट से पहले आए इस अध्ययन में इस बात की सिफारिश की गई है कि विरासत और संपत्ति कर को फिर से बहाल किया जाए क्योंकि कोविड की वजह से असमानताएं बढ़ी हैं।
यह अध्ययन अशोका यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सोशल इंपैक्ट ऐंड फिलॉसफी (सीएसआईपी) और सेंटर फॉर बजट ऐंड गवर्नेंस अकाउंटैबिलिटि (सीबीजीए) की ओर से किया गया है। इसमें कहा गया है, ‘ऐसा लगता है कि धर्मार्थ क्षेत्र को दान देने के लिए कर प्रोत्साहन का प्रारूप समय के साथ कम उदार हुआ है और इसीलिए दानदाता को मिलने वाले लाभ में कमी आई है।’
टैक्स इंसेंटिव्स फॉर फिलानथ्रोपिक गीविंग : ए स्टडी ऑफ 12 कंट्रीज शीर्षक से किए गए इस अध्ययन में इसका कारण बताते हुए कहा गया है कि व्यक्तिगत कर के लिए नई वैकल्पिक कर व्यवस्था शुरू की गई थी जिसके तहत करदाता दो कर ढांचों में से एक का चुनाव कर सकते थे। पुराने कर ढांचे में कर की दरें अधिक थी और धर्मार्थ दान को इसमें प्रोत्साहन मिलता था। दूसरे कर ढांचे में कर की दर कम है लेकिन दान के लिए प्रोत्साहन नहीं दिया गया है। करदाता अपनी मर्जी से किसी भी विकल्प का चुनाव कर सकते हैं।
अध्ययन में कहा गया है, ‘समय के साथ व्यक्तिगत आयकर और कॉर्पोरेट आयकर की दरें कम करने के साथ ही इन बदलावों ने कर प्रोत्साहन ढांचे की उदारता को कम कर दिया है।’
इसके अलावा अध्ययन में कहा गया है कि संपत्ति कर और विरासत कर को समाप्त करने का मतलब है कि इन करों पर धर्मार्थ दान के लिए प्रोत्साहन दिए जाने की कोई संभावना नहीं है। राजीव गांधी सरकार में वित्त मंत्री रहे वी पी सिंह ने 1 अप्रैल, 1985 से विरासत कर को समाप्त कर दिया था जबकि मोदी सरकार के पहले चरण में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने 1 अप्रैल, 2015 से संपत्ति कर को समाप्त कर दिया था। इन दोनों करों को इसलिए समाप्त किया गया कि इनके संग्रह से कहीं अधिक धन इनको संग्रहित करने की प्रक्रिया में खर्च हो जाता था।
अध्ययन में सिफारिश की गई है कि सरकार संपत्ति और विरासत कर को दोबारा से बहाल करे और धर्मार्थ दानों पर इनमें छूट दी जाए ताकि विशेष तौर पर कोविड-19 की वजह से असमानता में हुई भारी वृद्घि को कम किया जा सके।
भारत और चीन जैसे देशों में दर्ज धर्मार्थ दानों का पैमाना ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले बहुत कम है। और यह अंतर इन देशों के आय के स्तर में अंतर को ध्यान में रखने के बावजूद सामने आया है जिसके लिए संपत्ति और विरासत कर को समाप्त किए जाने को जिम्मेदार बताया गया है।
