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ADB ने भारत के फॉसिल फ्यूल सब्सिडी सुधारों की सराहना की

, “एलपीजी के लिए सब्सिडी में वृद्धि हुई है और "अब लक्ष्यीकरण में सुधार करने और गैर-जीवाश्म ईंधन खाना पकाने के विकल्पों को विकसित करने के प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है।”

Last Updated- November 02, 2024 | 4:02 PM IST
Asian Development Bank
Representative Image

भारत ने 2010 से जीवाश्म ईंधन सब्सिडी सुधार पर एक सुनियोजित ‘हटाओ’, ‘लक्ष्यित करो’ और ‘स्थानांतरित करो’ दृष्टिकोण के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति की है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की एक नई रिपोर्ट में यह कहा गया है।

रिपोर्ट में कहा गया, “भारत तीन प्रमुख नीतिगत कारकों- खुदरा मूल्य, कर दरें और चयनित पेट्रोलियम उत्पादों पर सब्सिडी के संयुक्त प्रभाव को सावधानीपूर्वक संतुलित करके तेल और गैस क्षेत्र में अपनी राजकोषीय सब्सिडी को 85 प्रतिशत तक कम करने में सक्षम रहा, जो 2013 में 25 अरब डॉलर के अस्थिर शिखर से 2023 में 3.5 अरब डॉलर तक आ गया।” अपनी ‘एशिया-प्रशांत जलवायु रिपोर्ट’ में एडीबी ने कहा कि भारत ने पेट्रोल और डीजल पर सब्सिडी धीरे-धीरे समाप्त कर दी (2010 से 2014 तक) और करों में क्रमिक वृद्धि की (2010 से 2017 तक), जिससे नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और बिजली के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकारी समर्थन बढ़ाने के लिए राजकोषीय गुंजाइश बनी।

रिपोर्ट में कहा गया, “वर्ष 2014 से 2017 तक (कच्चे तेल की कम कीमतों का दौर) पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि से प्राप्त अतिरिक्त कर राजस्व को ग्रामीण गरीबों के बीच तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के उपयोग को बढ़ाने के लिए पहुंच में सुधार और लक्षित सब्सिडी के लिए पुनर्निर्देशित किया गया।”

इसमें कहा गया, “एलपीजी के लिए सब्सिडी में वृद्धि हुई है और “अब लक्ष्यीकरण में सुधार करने और गैर-जीवाश्म ईंधन खाना पकाने के विकल्पों को विकसित करने के प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है।”

साल 2010 से 2017 तक भारत सरकार ने कोयला उत्पादन और आयात पर उपकर (कर) लगाया। उपकर संग्रह का लगभग 30 प्रतिशत राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण कोष में डाला गया, जिसने स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं और अनुसंधान का समर्थन किया। भारत के सब्सिडी सुधारों और कराधान उपायों के परिणामस्वरूप, देश की जीवाश्म ईंधन सब्सिडी 2014 से 2018 तक कम हो गई।

रिपोर्ट में कहा गया, “इसकी अक्षय ऊर्जा सब्सिडी भी 2017 में चरम पर पहुंच गई थी, लेकिन अब एक बार फिर बढ़ रही है, जिसमें प्रमुख समर्थन योजनाएं सौर पार्कों, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (एसओई) और वितरित अक्षय ऊर्जा को लक्षित कर रही हैं।”

First Published - November 2, 2024 | 4:02 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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