वस्तु एवं सेवा कर (GST) अधिकारियों ने रियल एस्टेट और आभूषण सहित विभिन्न क्षेत्रों की कई कंपनियों, साझेदार फर्मों को करीब 50,000 कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। चालू वित्त वर्ष में किए गए ऑडिट के नतीजों के आधार पर इन कंपनियों और फर्मों को नोटिस भेजे गए हैं।
जीएसटी व्यावस्था शुरू होने के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर जीएसटी ऑडिट किया गया है। इसमें कंपनियों द्वारा जीएसटी के पहले दो साल यानी 2017-18 और 2018-19 में जमा कराए गए जीएसटी रिटर्न को शामिल किया गया था। हालांकि कुछ मामलों में वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21 के जीएसटी रिटर्न का भी ऑडिट किया गया है। 2020-21 के सालाना जीएसटी रिटर्न दिसंबर 2021 में जमा कराए गए थे। कंपनियों द्वारा किए गए जीएसटी ऑडिट के अलावा जीएसटी अधिकारी उन कंपनियों का ऑडिट करते हैं, जिनका सालाना कारोबार 2 करोड़ रुपये और उससे अधिक होता है।
घटनाक्रम के जानकार एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि ऑडिट के दौरान केंद्रीय जीएसटी (CGST) की विभिन्न धाराओं के तहत कई दस्तावेजों की जांच के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। ये नोटिस गलत घोषणा, कर का भुगतान नहीं करने, कम भुगतान करने, गलत तरीके से प्राप्त इनपुट-टैक्स क्रेडिट, वस्तुओं/सेवाओं का गलत वर्गीकरण, वस्तुओं की बिक्री और खरीद में बेमेल सहित विभिन्न कारणों से जारी किए गए हो सकते हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अलग-अलग कंपनियों की समस्याएं और कारण अलग-अलग हैं।
उक्त अधिकारी ने कहा, ‘गड़बड़ी पाए जाने पर सितंबर तक लगभग 20,000 फर्मों को नोटिस जारी किए गए थे। इसके बाद 30,000 से अधिक नोटिस जारी किए गए हैं। यह कवायद लगातार चलती रहेगी क्योंकि बड़े कारोबार के ऑडिट में तीन महीने लगते हैं लेकिन कई बार मामलों की जटिलता की वजह से इसमें 6 महीने भी लग जाते हैं। छोटे कारोबारों का ऑडिट चंद हफ्ते में हो जाता है। इस तरह की कवायद जरूरी है क्योंकि इससे अनियमितता का पता लगाने और रिटर्न सुधारने में मदद मिलती है।’
समझा जाता है कि विभाग ने करीब 1 लाख पंजीकृत खातों की जांच करने के बाद कुछ खातों को ऑडिट के लिए छांटा था। देश में कुल 1.4 करोड़ पंजीकृत जीएसटी करदाता हैं।
उक्त अधिकारी ने बताया, ‘हम ऑडिट के लिए मामलों का चयन करने के लिए कुछ प्रमुख मापदंडों का पालन करते हैं। इस वर्ष की शुरुआत में हमने कर चोरी की आशंका वाले क्षेत्रों- रत्न और आभूषण, रियल एस्टेट आदि को दायरे में लाने की कोशिश की। हम छोटे, मझोले शहरों के आयुक्त कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी पर भी विचार करते हैं।’ ऑडिट में संबंधित कंपनी के परिसरों में जाकर दस्तावेज और ऑडिट किए गए वित्तीय ब्योरे, आयकर रिटर्न, स्टॉक पंजी, उत्पादन के रिकॉर्ड तथा ग्राहकों एवं आपूर्तिकर्ताओं के विवरण की जांच की जाती है।
यह भी पढ़े: Advance Tax: अग्रिम कर संग्रह 13 फीसदी बढ़ा
सूत्रों ने कहा कि करदाताओं को कारण बताओ नोटिस का जवाब 15 से 30 दिन में देने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही उन्हें अधिकारियों द्वारा मांगे गए दस्तावेज भी जमा कराने होंगे। बताए गए कारण और दस्तावेजों की जांच तथा अवलोकन के बाद विभाग अंतिम ऑडिट रिपोर्ट जारी करता है। इसमें संबंधित मामलों को दर्शाया जाता है और कर की मांग की जाती है। अगर करदाता संबंधित कर का भुगतान कर देता है तो मामले का निपटारा हो जाता है। असहमत होने पर मुकदमेबाजी शुरू होती है।
डेलॉयट में पार्टनर एम एस मणि ने कहा, ‘सभी राज्यों में कंपनियां बड़ी संख्या में जीएसटी ऑडिट का सामना कर रही है। ऐसे में जरूरी है कि कंपनियां अपनी सभी जानकारी समय से पहले दुरुस्त रखें ताकि ऑडिट में मांगी गई जानकारी बेहतर तरीके से उपलब्ध कराई जा सके।’