बीएस बातचीत
मार्च में अत्यधिक उम्मीदों ने बाजार को उन स्तरों पर पहुंचने में मदद की जो अब गैर-जरूरी लग रहा है। ऐक्सिस म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी चंद्रेश निगम ने ऐश्ली कुटिन्हो के साथ बातचीत में कहा कि डिस्क्रेशनरी खर्च (वाहन बिक्री और रियल एस्टेट) को लेकर संकेतक मजबूत मांग का संकेत दे रहे हैं। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
भारतीय बाजारों में मार्च के निचले स्तरों से अच्छी तेजी आई है। इस बारे में आपकी क्या राय है?
मार्च में, तेज गिरावट की स्थिति कई अज्ञात कारणों से पैदा हुई थीं। निवेशक इसे लेकर कुछ हद तक अनिश्चित थे कि कौन से व्यवसायों पर ध्यान दिया जाए। इसके अलावा, वैश्विक नकदी संकट के साथ साथ दुनियाभर में इक्विटी में कमजोरी आई थी। बाजारों ने मार्च के नुकसान को समाप्त कर दिया है। घरेलू संदर्भ में आय के साथ साथ डीलरों और ग्राहक-केंद्रित व्यवसायों के रुझानों से संकेत मिलता है कि उपभोक्ता मांग के लिए संकेत उत्साहजनक हैं। हमारे फंड प्रबंधक सतर्कता के साथ आशावादी हैं और वे उन क्षेत्रों के जरिये रिकवरी थीम पर जोर दे रहे हैं जिनमें मंदी में गिरावट आई थी।
कॉरपोरेट आय पर आपका क्या नजरिया है?
आय सीजन शुरू हो गया है और कई प्रमुख क्षेत्रों की कंपनियों ने शानदार आंकड़े पेश किए हैं। क्षेत्र के दिग्गजों, वाहन, बैंकिंग, और उपभोक्ता क्षेत्रों ने कई मोर्चों पर विश्लेषकों के अनुमानों को पीछे छोड़ दिया है। स्पष्ट है कि डिस्क्रेशनरी खर्च (वाहन बिक्री और रियल एस्टेट बिक्री के आंकड़े शामिल) पर हाई-फ्रिक्वेंसी संकेतकों से मजबूत मांग का पता चलता है। हमारा मानना है कि मांग में सुधार की गति अच्छी है और इस साल की तीसरी तथा चौथी तिमाही के आंकड़ों में इसका सकारात्मक असर दिखने की संभावना है।
उद्योग ऋण के संदर्भ में कमजोर दिख रहा और पिछले दो वर्षों में कई चूक और डाउनग्रेड दर्ज किए गए। इनसे क्या सीख मिली है?
भारतीय के तौर पर, फिक्स्ड इनकम में हमारा जोर सावधि जमाओं (एफडी) में निवेश पर था। उद्योग में ऋण समस्याओं के बाद, निवेशक बेचैन हो गए थे, क्योंकि डेट फंडों को लेकर उनकी समझ अधूरी थी। तब से उद्योग को डेट योजनाओं में निवेश के जोखिम और लाभ के बारे में निवेशकों को संपूर्ण जानकारी देने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हमारा काम निवेशक को फिक्स्ड इनकम विकल्प में ऐसे परिसंपत्ति वर्ग की पहचान करने में मदद करना है जो उनकी निवेश जरूरतों को पूरा करते हों।
हमने पिछले कुछ महीनों में इक्विटी-केंद्रित योजनाओं से निकासी दर्ज की है। क्या आने वाले मीहनों में भी यह रुझान बना रहेगा?
पूरे उद्योग में इक्विटी योजनाओं में सामान्य रुझान सकारात्मक है। पिछले तीन महीनों के दौरान, निवेशक कई समस्याओं को लेकर चिंतित रहे हैं जिनमें मूल्यांकन, कोविड-19 महामारी, और अमेरिकी चुनाव मुख्य रूप से शामिल थे। उद्योग ने पिछले तीन वर्षों से मासिक आधार पर सकारात्मक प्रवाह दर्ज किया है। बढ़ रही अनिश्तिताओं के परिवेश में अल्पावधि मुनाफावसूली अनुचित नहीं है। इक्विटी निवेश और एमएफ मजबूत हैं और इनमें प्रवाह बढ़ेगा, क्योंकि इन दोनों की व्यापक स्वीकार्यता है। चूंकि भारत में हालात सामान्य हो रहे हैं, इसलिए यहां इक्विटी निवेश भारतीयों के लिए दीर्घावधि पूंजी के लिए श्रेष्ठ विकल्प बना हुआ है।
आगामी वर्षों में उद्योग को किन कारकों से मदद मिलेगी?
प्रबंधन अधीन परिसंपत्तिों में वृद्घि एमएफ उत्पादों के लिए निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी और बढ़ती पहुंच का परिणाम है। डिजिटलीकरण से भी दूर-दराज के क्षेत्रों में इन विकल्पों की पहुंच बढ़ाने में मदद मिली है। मौजूदा समय में, यह उद्योग अनुमानित तौर पर 28 लाख करोड़ रुपये का है और व्यापक स्तर पर इसकी पहुंच बाकी है।
भारतीय निवेशकों के लिए वैश्विक इक्विटी में निवेश कितना महत्वपूर्ण है?
पोर्टफोलियो आवंटन और विविधता वित्त प्रबंधन के मूल आधार हैं। इक्विटी निवेश में, बड़ा बदलाव देखा गया है और अब पारंपरिक बचत, एफडी, और रियल एस्टेट से इक्विटी में निवेश बढ़ रहा है। अब पोर्टफोलियो इक्विटी बाजारों के पक्ष में होने से कई लोगों ने हमारी सीमाओं से बाहर भी अवसर तलाशने शुरू कर दिए हैं।