बीएस बातचीत
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा दूरसंचार क्षेत्र के लिए राहत पैकेज की मंजूरी के कुछ दिन बाद वोडाफोन आइडिया के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक रविंदर टक्कर ने निवेदिता मुखर्जी और अनीश फडणीस के साथ बातचीत में बताया कि दूरसंचार उद्योग में तीसरी कंपनी को लेकर जो सवालिया निशान था, अब वह बीते समय की बात हो चुकी है। उन्होंने कहा कि नए निवेशकों, मौजूदा प्रवर्तकों या दोनों से पूंजी आ सकती है। पेश हैं प्रमुख अंश:
हालिया दूरसंचार पैकेज को वोडाफोन आइडिया के लिए संजीवनी बताई जा रही है। इसे लेकर कंपनी की क्या योजना है?
सुधार निश्चित तौर पर अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं और सरकार की ओर से स्पष्ट संदेश दिया गया है कि वह दूरसंचार उद्योग की अहमियत को समझती है। सरकार यह मानती है कि उद्योग में प्रतिस्पर्धा महत्त्वपूर्ण है और इसमें एकाधिकार या दो कंपनियों का वर्चस्व नहीं होना चाहिए। हमने हमेशा से कहा है कि हम तीसरी कंपनी के तौर पर बने रहेंगे, लेकिन सवाल हमारे अस्तित्व को लेकर उठ रहे थे। सुधारों के बाद वोडाफोन आइडिया के इस कारोबार से निकलने की कोई वजह नहीं है।
क्या अब आप निवेश करेंगे?
स्पेक्ट्रम और समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया भुगतान के लिए चार साल का मॉरेटोरियम दिया गया है, जिससें हमें निवेश करने और नेटवर्क पर ध्यान देने में मदद मिलेगी। हमारा 4जी नेटवर्क 1 अरब लोगों को कवर करता है और इसके 10 से 15 करोड़ तक और बढ़ाए जाने की संभावना है। हम भविष्य में अपनी क्षमता और बढ़ाना चाहते हैं। मॉरेटोरियम से बचने वाले पैसे का इस पर उपयोग किया जाएगा।
वोडाफोन पीएलसी ने कंपनी में और इक्विटी लगाने से इनकार किया है। इस पर आपका क्या कहना है?
निवेशकों की सबसे बड़ी चिंता यह रही है कि क्या सरकार तीन दूरसंचार कंपनियां चाहती है, क्या यह पर्याप्त प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करेगी और क्या सरकार भुगतान में देरी की पक्षधर है या खुद भुगतान लेने को प्राथमिकता देगी। इस सुधार पैकेज ने निवेशकों की चिंताएं दूर की हैं। मेरा मानना है कि निवेशकों की दूरसंचार और विशेष रूप से वोडाफोन आइडिया में पूरी तरह बदल जाएगी। मेरा मानना है कि इससे विदेशी धन हासिल करने का तगड़ा मौका पैदा हुआ है। यह धन नए निवेशकों, मौजूदा प्रवर्तकों या दोनों से आ सकता है। कोई प्रवर्तक भागीदार बनेगा या नहीं, यह उसका फैसला होगा। मेरा मानना है कि धन जुटाना ज्यादा अहम एवं सफल होगा। हमारा मानना है कि धन विभिन्न रूपों में आएगा। मेरा मानना है कि चार साल का मॉरेटोरियम कंपनी को पटरी पर लाने के लिए पर्याप्त लंबा समय है।
प्रवर्तक निवेश से दूर रहे हैं क्योंकि कंपनी में और निवेश करना पैसे को बरबाद करने के समान होगा। क्या अब यह रुख बदलेगा?
हमने कभी यह नहीं कहा है। कंपनी का यह रुख नहीं है। अगर शायद किसी निवेशक या शेयरधारक ने यह रुख अख्तियार किया हो तो उसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है। मेरा मानना है कि वोडाफोन आइडिया में निवेश अच्छा निवेश है और सुधार पैकेज से निवेश की मान्यता में अहम इजाफा हुआ है।
क्या आप सरकार के वी में हिस्सेदारी लेने को लेकर सहज हैं? क्या चार साल बाद कंपनी के बकाये को इक्विटी में बदलने से यह दूरसंचार कंपनी एक पीएसयू नहीं बन जाएगी?
सरकार के साथ मेरी सभी बातचीत में यह साफ कहा गया है कि सरकार की भारत में दूरसंचार कंपनियों के अधिग्रहण और उन्हें चलाने में कोई रुचि नहीं है। सरकार के पास एक पीएसयू (बीएसएनएल) है और उनके पास पहले ही बहुत सी पीएसयू हैं। इसलिए असल में संदेश बिल्कुल उलट है। सरकार चाहती है कि हम कंपनी को कुशलतापूर्वक और प्रतिस्पर्धी रूप से चलाएं। मैं इसे लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं हूं क्योंकि वोडफोन आइडिया को एक पीएसयू में बदलने या कंपनी को चलाने में सरकार की भूमिका की चर्चा गलत है।
क्या आपके लिए शुल्क दरों को बढ़ाना एक जरूरी कदम नहीं है? ऐसा कब होगा?
उद्योग के लिए शुल्क सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। इसमें पर्याप्त अनुशासन नहीं है और कीमत को प्रतिस्पर्धियों को खत्म करने, बाजार हिस्सेदारी हासिल करने और दबाव का एक माहौल पैदा करने के एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह चक्र कई बार चला है। अगर हमें उद्योग को सही हालत में लाना है तो कीमतों को सुधारना होगा। हमारा लंबे समय से यही रुख रहा है। इन सुधारों ने कीमत बढ़ोतरी का सही माहौल पैदा किया है। कीमतों में बढ़ोतरी जल्दी लेकिन धीरे-धीरे होगी ताकि हमारे ग्राहकों को कोई बड़ा झटका न लगे।
क्या आप सबसे पहले कीमतें बढ़ाने का फैसला लेंगे?
हम पहले ही कीमतें बढ़ा रहे हैं। हमने एंटरप्राइज बेस और फैमिली प्लान की कीमतें सबसे पहले बढ़ाई थीं और हमारे बाद एयरटेल ने दाम बढ़ाए थे। एयरटेल ने 2जी ग्राहकों के लिए कीमतें बदली थीं और हमने उनका अनुसरण किया था। कीमतें धीरे-धीरे बढ़ रही हैं, लेकिन पूरे उद्योग में नहीं। मैंने हमेशा से कहा है कि मैं कीमतें बढ़ाना चाहता हूं, लेकिन मुझे यह भरोसा चाहिए कि अन्य भी दाम बढ़ाएं और मैं कीमतें बढ़ाने वाला अकेला नहीं रहूं।
आम तौर पर वोडाफोन आइडिया को तीसरी कमजोर कंपनी कहा जाता है। क्या आप इसे लेकर सहज हैं? क्या आप खुद को दूसरे या पहले पायदान पर लाने की योजना नहीं बना रहे हैं?
यह हमारा लक्ष्य नहीं रहा है। वोडाफोन इंडिया कई वर्षों तक बाजार में दूसरे पायदान पर थी और आइडिया सेल्यूलर तीसरे पायदान पर। मेरा मानना है कि वे अपनी जगह शानदार काम कर रही थीं। हमारा ध्यान शेयरधारकों को प्रतिफल मुहैया कराने पर है। यह काम पहले, दूसरे या तीसरे पायदान पर रहकर किया जाए, यह मायने नहीं रखता है।
इस समय आपका एआरपीयू करीब 100 रुपये है। भविष्य के लिए लक्ष्य क्या है?
एआरपीयू कीमत और ग्राहक के दो पहलू हैं। हमारे 4जी ग्राहक भी एयरटेल जितना ही भुगतान करते हैं। हमारे प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अंतर ग्राहकों श्रेणियों की वजह है। हमारे ज्यादा 2जी ग्राहकों की ज्यादा संख्या है। हमें उम्मीद है कि जब 2जी ग्राहक 4जी में जाएंगे तो एआरपीयू सुधरेगा। भारत में एआरपीयू बढ़कर 200 रुपये होना चाहिए, जो पांच साल पहले था। उसके बाद यह 300 रुपये पर पहुंचना चाहिए।