आउटलायर गेम्स, न्यूजेन गेम्स, सुपर गेमिंग जैसे 70 से अधिक भारतीय वीडियो गेम स्टूडियो के संघ ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर गेमिंग उद्योग के लिए एक अलग नीति बनाने का अनुरोध किया है। इसमें ऐसी नीति बनाने की मांग की गई है जो रियल मनी गेम (आरएमजी) और वीडियो गेम को अलग करती हो।
आठ जुलाई को भेजे गए पत्र में नैशनल एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियल्टी (एवीजीसी-एक्सआर नीति) के हिस्से के तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एमआईबी को 10 सिफारिशें की गई हैं, जिसका मकसद इस उभरते क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ाना है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी इस पत्र को देखा है। उद्योग के हितधारकों ने नई सरकार से निष्पक्ष और न्यायसंगत नीति निर्धारण करने का अनुरोध किया है। उन्होंने ऑनलाइन गेमिंग को दो श्रेणियों में बांटने के लिए कहा है, जिसमें वीडियो गेम और रियल मनी गेम के लिए अलग-अलग श्रेणी हो।
यह कवायद ऐसे वक्त में की गई है जब भारत की आरएमजी कंपनियां सरकार द्वारा लगाए गए 28 फीसदी कर से जूझ रही हैं। स्किल गेमिंग प्लेटफॉर्म पहले प्लेटफॉर्म शुल्क पर 18 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान करते थे, जिसे सकल गेमिंग राजस्व (जीजीआर) के तौर पर जाना जाता है। स्किल और चांस गेम में अंतर नहीं करने वाले नए नियम बीते साल एक अक्टूबर से प्रभावी हुए हैं।
पत्र में कहा गया है, ‘भारत में इन बिल्कुल अलग-अलग श्रेणियों के गेम को ऑनलाइन गेम माना गया है। जब जीएसटी दरों में संशोधन किया गया तो यह भ्रम फैल गया है क्योंकि ऑनलाइन गेम दोनों 18 फीसदी और 28 फीसदी वाले जीएसटी के दायरे में हैं।’ कंपनियों ने कहा कि वीडियो गेम बनाने वाली कंपनियों से कई बार कारण पूछे गए और छापेमारी भी की गई, जबकि बैंकों और पेमेंट गेटवे कंपनियां भी उन्हें सेवा नहीं दे रही हैं।
इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि भारत में वीडियो गेम पर 18 फीसदी अप्रत्यक्ष कर लगता है, जो दुनिया भर में सर्वाधिक है और इसे 12 फीसदा के दायरे में लाने का सुझाव दिया।
भले ही अभी भारतीय गेमिंग उद्योग हाल ही में लागू किए गए भारी भरकम 28 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जूझ रहा है मगर अगले पांच वर्षों में इस क्षेत्र के बढ़कर 8.92 अरब डॉलर होने की उम्मीद है। ग्रांट थॉर्टन भारत और ई-गेमिंग फेडरेशन (ईजीएफ) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। उद्योग के अनुमानों के मुताबिक, फिलहाल भारतीय गेमिंग उद्योग का मूल्य करीब 3.1 अरब डॉलर है।
प्राइवेट इक्विटी ग्रुप के पार्टनर और ग्रांट थॉर्टन में लीडर (टैक्स एडवाइजरी) भारत के विशाल अग्रवाल ने कहा, ‘बड़े प्राइवेट इक्विटी फंड भी इस क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं, जिससे सौदे गतिविधियों में संभावित वृद्धि का संकेत मिल रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘मगर कमियां बरकरार हैं, जिससे वृद्धि को बल देने के लिए एक मजबूत और स्पष्ट नियामकीय परिदृश्य की आवश्यकता है।’