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Uber ने पूरे देश में लॉन्च किया सबस्क्रिप्शन मॉडल, ड्राइवर अब अपनी पूरी कमाई अपने पास रख सकेंगे

इसके साथ ही अब सभी प्रमुख एग्रीगेटर कंपनियों उबर, रैपिडो और ओला ने सबस्क्रिप्शन मॉडल पर कारोबार शुरू कर दिया है

Last Updated- October 10, 2025 | 10:39 PM IST
UBER
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

ऑनलाइन कैब सेवा प्रदाता कंपनी उबर ने अपने साथ जुड़े सभी कार, ऑटो रिक्शा और मोटरसाइकल चालकों (ड्राइवर पार्टनर) के लिए सबस्क्रिप्शन-आधारित मॉडल शुरू किया है। कंपनी ने दो सप्ताह पहले यह मॉडल शुरू किया था और अब यह पूरे देश में लागू कर दिया है।

इसके साथ ही अब सभी प्रमुख एग्रीगेटर कंपनियों उबर, रैपिडो और ओला ने सबस्क्रिप्शन मॉडल पर कारोबार शुरू कर दिया है। कंपनी ने दो कारणों को देखते हुए यह नया तरीका अपनाया है। पहली बात, उसे रैपिडो से लगातार कड़ी टक्कर मिल रही है जो तेजी से अपना कारोबार पसार रही है। रैपिडो सबस्क्रिप्शन मॉडल के दम पर चालकों को अपने साथ जोड़ने में सफल रही है। दूसरा कारण यह है कि कमीशन-आधारित एग्रीगेटर कंपनियों के लिए लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर स्थिति स्पष्ट नहीं है।

उबर ने सबस्क्रिप्शन मॉडल अपनाने की पुष्टि कर दी है। इस बारे में  कंपनी ने एक बयान में कहा,‘बाजार में बदली हुई परिस्थितियों के अनुरूप अब हम कारों, ऑटो और बाइक सहित सभी प्लेटफॉर्म पर सबस्क्रिप्शन मॉडल पर काम कर रहे हैं। परिचालन मॉडल को लेकर जीएसटी की स्थिति स्पष्ट नहीं होने से यह बदलाव ‘एसएएएस’-आधारित सुविधा की तरफ बड़े औद्योगिक विकास को दर्शाता है।’

उबर में क्षेत्रीय महाप्रबंधक (राइड) डॉमनिक टेलर ने इस साल जुलाई में बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि उबर सबस्क्रिप्शन मॉडल का परीक्षण कर रही है और वह कारोबारी प्रारूप के विकल्पों को लेकर खुला विचार रखती है।

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कमीशन आधारित मॉडल में उबर प्रत्येक चालक से 15 से 20 फीसदी  कमीशन लेती थी। चालकों को शिकायत रहती थी कि कमीशन से उनकी कमाई कम हो जाती है। मगर सबस्क्रिप्शन मॉडल में ड्राइवर केवल एक निश्चित सबस्क्रिप्शन का भुगतान करता है और उसके बाद जो भी आय होती है वह उसकी जेब में चली जाती है।

चालकों के अनुसार नया सबस्क्रिप्शन मॉडल उन्हें अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा रखने की इजाजत देता है। उबर प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाले एक चालक ने कहा, ‘सबस्क्रिप्शन मॉडल में लगभग पूरी कमाई चालकों की हो जाती है। फिलहाल उबर ने चालकों के लिए दैनिक और मासिक सबस्क्रिप्शन प्लान शुरू किए हैं।‘

यह बदलाव जीएसटी की गणना के तरीके के कारण भी आया है। वर्तमान में कैब एग्रीगेटर कंपनियां दो कारोबारी मॉडल अपनाती हैं। उबर और ओला कमीशन-आधारित मॉडल पर काम कर रही थीं जबकि नम्मा यात्री और रैपिडो एसएएएस मॉडल के साथ कारोबार कर रही थीं। कमीशन आधारित मॉडल में इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के बिना 5 फीसदी  या आईटीसी के साथ 12 फीसदी जीएसटी है जबकि ‘एसएएएस’ मॉडल के तहत चालकों से 18 फीसदी जीएसटी लिया जाता है जिसका भुगतान चालक करता है। इस दोहरी कर व्यवस्था से असमानता पैदा हुई है।

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कैब एग्रीगेटर उद्योग पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ ने कहा,‘चूंकि जीएसटी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है इसलिए कमीशन आधारित प्रणाली का कोई मतलब नहीं है। मुद्दा समान सेवाओं के लिए अलग-अलग कर संरचनाओं के बारे में है।’ 

First Published - October 10, 2025 | 10:25 PM IST

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