जिन 514 कंपनियों ने चौथी तिमाही के अपने नतीजे घोषित किए हैं उनके विश्लेषण से यही संकेत मिलते हैं कि सीमेंट, कंस्ट्रक्शन, फर्टिलाइजर, पर्सनल केयर, पावर, टेलिकॉम और दुपहिया वाहन के सेक्टरों में मार्च 2009 को खत्म होने वाली तिमाही में नतीजे अच्छे रहेंगे जबकि सॉफ्टवेयर सेवाओं और फार्मास्यूटिकल्स सेक्टरों की बिक्री और मुनाफे में मामूली ग्रोथ दिखाई देगी।
दूसरी ओर ट्रेडिंग, मेटल, हेवी ऑटोमोबाइल और इंजीनियरिंग सेक्टरों के नतीजे चौथी तिमाही में खराब रह सकते हैं। यह आकलन है, बिजनेस स्टैंडर्ड रिसर्च ब्यूरो का। लेकिन चौथी तिमाही में विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) और सेवा क्षेत्र की कंपनियों का प्रदर्शन अब तक उम्मीद के मुताबिक ही रहा है लेकिन अब तक आए नतीजों में नकारात्मक से ज्यादा सकारात्मक आश्चर्य सामने आए हैं।
उल्लेखनीय है कि मार्च 2009 में खत्म हुई तिमाही के लिए अब तक 514 कंपनियों के जो नतीजे देखने को मिले हैं, इनमें कंपनियों की बिक्री में 0.4 फीसदी की मामूली गिरावट दर्ज की गई है जबकि इनके शुध्द मुनाफे में 16.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
वार्षिक दर के आधार पर परिचालन मार्जिन में 190 आधार अंकों की गिरावट आयी है, लेकिन जिंसों और निवेश लागत की कीमतों में इजाफा होने की वजह से तिमाही दर तिमाही आंकड़ों में 256 आधार अंकों की बढ़ोतरी देखी जा रही है, ऐसे में कार्पोरेट क्षेत्र द्वारा अमल में लाया गया लागत प्रबंधन काफी सराहनीय रहा है।
जिस मुद्दे पर खासा ध्यान देने की जरुरत है, उसमें यह बात सामने आ रही है कि पिछले तीन तिमाहियों की तुलना में चौथी तिमाही में परिचालन मार्जिन में खासी बढ़ोतरी देखी जा रही है। मसलन सैम्पल के लिए ली गई कंपनियों की बिक्री और मार्जिन का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा है लेकिन साफ तस्वीर के लिए अभी हमें और नतीजों का इंतजार करना होगा।
चौथी तिमाही के दौरान विकास दर की बात की जाए तो इसे अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन सामने आ रहे पहले नतीजों के आधार पर यही प्रतीत होता है कि तीसरी तिमाही की तुलना में चौथी तिमाही में कार्पोरेट आय में खासा सुधार देखा जा सकता है।
दिसंबर 2008 के दौरान खत्म हुई तीसरी तिमाही में इन्हीं कंपनियों के सैंपल के आंकडों में शुध्द मुनाफा 32.7 फीसदी लुढ़का था जबकि बिक्री में 14.2 फीसदी की वृध्दि हुई थी। पहली दो तिमाहियों में सैंपल कंपनियों की बिक्री में 30 फीसदी का इजाफा हुआ था लेकिन दूसरी तिमाही में शुध्द मुनाफा केवल 0.8 फीसदी बढ़ा और पहली तिमाही में शुध्द मुनाफा 5.8 फीसदी ऊपर चढ़ा था।
चौथी तिमाही में बिक्री में गिरावट का मतलब मंदी भी हो सकती है, लेकिन कार्पोरेट क्षेत्र द्वारा उत्पादन की लागत को बेहतर ढ़ंग से नियंत्रित करते हुए इसे अच्छे से प्रबंधित करने में कामयाबी पा सकते हैं। पिछले वर्ष की समीक्षाधीन अवधि की 38 फीसदी से ज्यादा के विकास दर की तुलना में इस बार वार्षिक दर की आधार पर बिक्री में 0.4 फीसदी की मामूली गिरावट दर्ज की गई है।
जबकि पिछले साल इस दौरान 27.2 फीसदी की दर से ग्रोथ रही थी।दूसरी ओर, पिछली वर्ष के उत्पादन लागत के 26.7 फीसदी की वृध्दि वाले आंकड़े की तुलना में इस वर्ष 1.9 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। भारतीय कंपनियों की सर्वाधिक बचत कच्चे माल की लागत घटने से हुई है जो कि 17.5 फीसदी लुढ़का है।
पहली दो तिमाहियों में बिक्री की वृध्दि दरों की तुलना में कच्चे माल की लागत 1000-1200 आधार अंक ज्यादा थी । पहली दो तिमाहियों में उत्पादन लागत में कच्चे माल का हिस्सा 50 फीसदी था और तीसरी तिमाही में 38 फीसदी और चौथी तिमाही में 36.6 फीसदी रहा। इन आंकडाें पर गौर करें तो साफ जाहिर होता है कि मंदी की वजह से मांग में कमी आने के कारण कार्पोरेट क्षेत्र द्वारा उत्पादन में कटौती की गयी है।
हालांकि सैंपल कंपनियों के प्रदर्शन में 95 घाटे वाली कंपनियों को छोड़ दें तो अन्य कंपनियों का मुनाफा बेहतर रहा जबकि इनकी बिक्री के आंकड़े में 0.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जबकि इनके शुध्द मुनाफे में सालाना आधार पर 4.9 फीसदी की गिरावट देखी गई जबकि तीसरी तिमाही में यह 25 फीसदी रही।
साथ ही परिचालन मार्जिन भी काफी बढ़िया रहा है जो कि 18.8 फीसदी रहा है, जिसमें वार्षिक दर की आधार पर 19 आधार अंकों की गिरावट है जबकि तिमाही दर की आधार पर 389 अंकों की बढ़ोतरी हुई है। दिलचस्प बात यह है कि घाटे वाली कंपनियों को छोड़कर अन्य कंपनियों के परिचालन मार्जिन का आंकड़ा चौथी तिमाही में पिछली आठ तिमाहियों के मुकाबले में सबसे बेहतर रहा है।
सॉफ्टवेयर सर्विसेस कंपनियों से कोई आश्चर्यजनक आंकडे सामने नहीं आए हैं जिन्होंने तिमाही राजस्व में वृध्दि के लिहाज से एकल आंकड़े में बढ़ोतरी दर्ज की है, ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ है। शुध्द मुनाफा 18 फीसदी की तेजी के साथ बढ़ा है जिसके लिए वार्षिक दर के आधार पर मार्जिन में 250 आधार अंकों का सुधार अहम रहा, ऐसा तनख्वाह और भत्तों की लागत में कटौती और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले में रुपये में गिरावट के कारण हुआ है।
हालांकि, संपूर्ण सैंपल में से सॉफ्टवेयर कंपनियों को बाहर कर दिया जाए तो बाकी बचे सैंपल की बिक्री में मामूली 2.8 फीसदी की गिरावट देखी जा सकती है, लेकिन मुनाफे में यही गिरावट 17.4 फीसदी तक पहुंच जाती है। बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों में इन्फोसिस ने टीसीएस और विप्रो से बेहतर प्रदर्शन किया और इसकी बिक्री और लाभ में अच्छी ग्रोथ दिखी। टीसीएस और विप्रो के शुध्द मुनाफे में राजस्व ग्रोथ में कमी आने से गिरावट देखी गई।
सीमेंट कंपनियों ने बिक्री में 17.5 फीसदी और शुध्द मुनाफे में 25 फीसदी का इजाफा करते हुए आश्चर्यचकित कर दिया है जो कि चारों तिमाहियों में सबसे ज्यादा है। सीमेंट कंपनियों को कच्चे माल की लागत का खासा लाभ हुआ है जो कि बिक्री की ग्रोथ की तुलना में 80 आधार अंक ज्यादा थी।
पहली तीन तिमाहियों की बिक्री में बढ़ोतरी की तुलना में उत्पादन लागत 900-1000 आधार अंक अधिक थी। सीमेंट कंपनियों के तिमाही दर तिमाही के आंकड़ें उछाल के साथ 575 आधार अंक पर पहुंच गए जिन पर कोई आश्चर्य व्यक्त करने वाली बात नहीं है क्योंकि वर्ष दर वर्ष के आधार पर इसमें 50 आधार अंकों की गिरावट दर्ज की गई है।
सीमेंट कंपनियों में श्री सीमेंट के शुध्द मुनाफे में 473 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि एसीसी ने बिक्री और शुध्द मनाफे, दोनों में दो अंकों की बढ़त दर्ज की है। अपेक्षा के अनुरुप दो वायरलेस सेवा प्रदाताओं ने राजस्व में बढ़ोतरी के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया है, लेकिन प्रति उपयोगकर्ता राजस्व औसत में आई गिरावट (एआरपीयू) के कारण ये लाभ के लिहाज से लड़खड़ा गए।
इस क्षेत्र की अग्रणी कंपनी भारती एयरटेल ने राजस्व में 21.6 फीसदी की वृध्दि की है लेकिन इसके शुध्द मुनाफे में 15.8 फीसदी की बढ़ोतरी रही। आइडिया सेल्यूलर के राजस्व में 42.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई लेकिन इसका मुनाफा केवल 9.4 फीसदी ही आगे बढ़ा है।
दिल्ली, मुंबई, नई दिल्ली और ठाणे में आधारभूत टेलिफोन सेवाएं, मोबाईल सेवा और इंटरनेट सेवा प्रदाता महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड को 83.8 करोड़ रुपये का घाटा हुआ जिसमें तिमाही राजस्व में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
