दवाओं पर उत्पाद शुल्क कम होने की खबर से फार्मा बाजार ने खुशी जतायी थी पर अब ये खुशी गायब होती सी प्रतीत हो रही है। वित्त मंत्री द्वारा उत्पाद शुल्क कटौती की घोषणा का फायदा आम आदमी को मिल पाना भी मुश्किल ही है। दरअसल सरकार ने दवा कंपनियों को अधिकतम बिक्री मूल्य(एमआरपी) पर दिए जाने वाली छूट में भारी कटौती की है। वित्त मंत्रालय ने एमआरपी पर दी जाने वाली इस छूट को 42.5 प्रतिशत से घटाकर 35 प्रतिशत कर दिया है। फार्मा विशेषज्ञों के मुताबिक अगर किसी दवा की कीमत 100 रुपये है तो दवा निर्माता को अब 35 प्रतिशत छूट के बाद 65 रुपये पर 8 फीसदी कर देना पड़ेगा। जबकि पहले 42.5 फीसदी छूट के बाद 57.5 रुपये पर 16 फीसदी उत्पाद शुल्क चुकाना पड़ता था।
मुंबई स्थित एक विश्लेषक के अनुसार उत्पाद और कस्टम शुल्क में कटौती के साथ कंपनियों को मिल रही सुविधाओं में कटौती से दवा कंपनियां अपनी दवाओं की कीमत शायद ही घटाएं। एडवांसड ऐन्जाइम टेक्नोलॉजिज के प्रबंध निदेशक सीएल राठी ने कहा कि दवाओं के दाम कम करने के लिए अभी भी बहुत से कदम उठाए जाने बाकी है। छूट में कटौती किए जाने से दवा कंपनियां उत्पाद शुल्क में घोषित कटौती की खुशी दवा बाजार से गायब हो गई है।
वित्त मंत्रालय ने साल 2005 में दवा कंपनियों को दी जा रही छूट को 35 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया था और पिछले ही साल इसे बढ़ाकर 42.5 फीसदी कर दिया था। हालांकि पहाड़ी राज्यों में स्थित दवा कंपनियों को छोड़कर बाकी सभी कंपनियों ने इस छूट को 60 फीसदी करने और उत्पाद शुल्क को भी कम करने की मांग की थी। जिससे ये कंपनियां भी पहाड़ी राज्यों में स्थित कंपनियों से मुकाबला कर सके। दरअसल, पहाड़ी राज्यों में स्थित दवा कंपनियों को कुछ भी उत्पाद शुल्क नही देना पड़ता है और उनकी दवाओं की कीमत भी कम होती है।
फार्मा कंपनियां घरेलू बाजार के लिए सालाना 35,000 करोड़ रुपये की दवाओं का निर्माण करती हैं । इसमें से 25,000 करोड़ रुपये की दवाओं का निर्माण पहाड़ी राज्यों में स्थित 800 इकाईयों से आता है। घरेलू बाजार के लिए दवा बनाने वाली रेनबैक्सी, डॉ रेड्डीज लैब और सिप्ला के साथ ग्लैक्सो स्मिथ लाइन और जॉनसन ऐंड जॉनसन जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी पहाड़ी राज्यों में ही दवाओं का निर्माण करती हैं। इन सभी कंपनियों ने या तो वहां पर अपनी इकाईयां स्थापित कर ली हैं या फिर वहां स्थित किसी भी कंपनी के साथ दवा निर्माण करने का समझौता किया है। ज्यादातर दवाओं का निर्माण इन्ही कंपनियों द्वारा किया जाता है तो और इन कंपनियों को किसी भी तरह की कोई छूट नही मिली है तो दवाओं की कीमतों में कमी होने के आसार भी कम ही हैं।
