भले ही राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण ने इस साल आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) के तहत सूचीबद्ध दवाइयों के लिए 12 फीसदी मूल्य वृद्धि की अनुमति दी है, मगर विश्लेषकों और उद्योग के सूत्रों का मानना है कि घरेलू फार्मा उद्योग में कीमतों में केवल 5-6 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। इसका कारण बाजार में उच्च प्रतिस्पर्धा को माना जा रहा है।
घरेलू फार्मा कंपनी एरिस लाइफसाइंसेज के कार्यकारी निदेशक और मुख्य परिचालन अधिकारी कृष्णकुमार वी ने कहा कि इस वर्ष जनवरी से जुलाई महीने के दौरान कीमतों में कटौती के कारण एनएलईएम खंड की वृद्धि में लगभग 150 आधार अंकों की कमी देखी गई।
Also read: Mono Pharmacare IPO: मोनो फार्माकेयर का आईपीओ खुला, जानिए प्राइस बैंड समेत अन्य मुख्य डिटेल्स
1.8 लाख करोड़ रुपये के भारतीय फार्मा बाजार (आईपीएम) का लगभग 18 फीसदी एनएलईएम के अंतर्गत आता है। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के कार्यकारी निदेशक कृष्णनाथ मुंडे ने बताया कि साल 2019-20 से 2022-23 की अवधि के दौरान आईपीएम की औसत मूल्य वृद्धि 5.2 फीसदी रही। यह पिछले दशक (2013-14 से वित्त वर्ष 2023 तक) में देखी गई 3.2 फीसदी की औसत मूल्य वृद्धि के विपरीत है।
मुंडे ने कहा कि इस साल अप्रैल से जुलाई तक की अवधि के लिए, आईपीएम की मूल्य वृद्धि 5.3 फीसदी रही। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भले ही राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) गैर-एनएलईएम पोर्टफोलियो के लिए 10 फीसदी मूल्य वृद्धि और एनएलईएम उत्पादों के लिए 12 फीसदी वृद्धि (वित्त वर्ष 2024) की अनुमति देता है मगर उच्च प्रतिस्पर्धा के कारण कीमतों में 5 से 6 फीसदी तक की वृद्धि देखी जा सकती है।
मुंडे ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से गंभीर बीमारियों की दवा वाले क्षेत्र से अधिक योगदान और एनएलईएम में कम एक्सपोजर वाली कंपनियों ने अपने घरेलू उत्पाद पोर्टफोलियो में कीमत अच्छी में बढ़ोतरी की है। वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के नतीजों के बाद फार्मा कंपनियों ने एनएलईएम के संभावित प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त करना शुरू कर दिया है।
Also read: Glenmark Pharma ने अमेरिकी न्याय विभाग के साथ सुलझाया विवाद
बाजार हिस्सेदारी के मामले में घरेलू बाजार की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज ने वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के बाद स्वीकार किया कि एनएलईएम प्रभाव के कारण वृद्धि कम रही। सन फार्मा में भारतीय कारोबार के मुख्य कार्याधिकारी कीर्ति गनोरकर ने घरेलू बाजार में तिमाही के प्रदर्शन पर एनएलईएम के प्रभाव पर चर्चा की और भविष्य की वृद्धि के बारे में बेहतरी की उम्मीद जताई।
गनोरकर ने कहा, ‘ एनएलईएम की घोषणा दिसंबर और जनवरी महीने में की गई थी मगर इसका पूरा असर इसी तिमाही में देखने को मिला है। हमारा मानना है कि एनएलईएम के कारण ही पहली तिमाही में वृद्धि धीमी रही है। हालांकि, मुझे पूरी उम्मीद है कि आने वाली तिमाहियों में हम बाजार के अनुरूप वृद्धि देखेंगे और बाजार के प्रदर्शन से आगे निकलने का प्रयास करेंगे।’ निर्मल बांग के विश्लेषकों ने बताया कि पहली तिमाही के दौरान, भारत का कारोबार एनएलईएम और मौसम से प्रभावित था।