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सरकार मोबाइल टावर उपकरणों पर 10% सीमा शुल्क लगाने पर कर रही विचार, ‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगा बढ़ावा

सैमसंग इंडिया और नोकिया सॉल्यूशंस मामले में विवाद को देखते हुए सरकार इस नीति पर विचार कर रही है।

Last Updated- May 14, 2025 | 10:44 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels

घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और कर छूट के दुरुपयोग को रोकने के मकसद से वित्त मंत्रालय उत्पादों के एक नए वर्गीकरण में प्रमुख मोबाइल टावर उपकरणों पर 10 फीसदी बुनियादी सीमा शुल्क लगाने पर विचार कर रहा है। सैमसंग इंडिया और नोकिया सॉल्यूशंस मामले में विवाद को देखते हुए सरकार इस नीति पर विचार कर रही है। असल में इन दोनों फर्मों ने ऐसी वस्तुओं के आयात पर शून्य शुल्क लाभ का दावा किया है जिसे सरकार गलत वर्गीकरण मानती है।

साल की शुरुआत में सैमसंग द्वारा कर से बचने के लिए रिमोट रेडियो हेड (आरआरएच) के आयात को कथित तौर पर गलत तरीके से वर्गीकृत किए जाने के मामले में 52 करोड़ डॉलर का कर नोटिस भेजा गया था। आरआरएच बेस स्टेशन का घटक होता है जिसका उपयोग मोबाइल टावरों में सिग्नल को प्रॉसेस करने के लिए किया जाता है। कंपनी ने कर विभाग के आदेश को मुंबई सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर अपील पंचाट (सीईएसटीएटी) में चुनौती दी है। उसका कहना है उत्पाद का वर्गीकरण उद्योग के मानदंड के अनुरूप है और अधिकारियों ने पहले इस पर सवाल नहीं उठाया था।

ऐसे ही एक अन्य मामले में नोकिया को दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत मिली थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी में नोकिया के ​खिलाफ एडवांस  रूलिंग अथॉरिटी के आदेश को खारिज कर दिया था। अथॉरिटी ने इसमें स्मॉल फॉर्म फैक्टर प्लगएबल (एसएफपी) ट्रांसीवर को पूर्ण दूरसंचार उपकरण के रूप में वर्गीकृत करने के लिए कहा था जिस पर 20 फीसदी शुल्क लगाया जाता है। मगर अदालत ने अपने फैसले में कहा कि एसएफपी कोई मशीन नहीं ब​ल्कि नेटवर्क का हिस्सा है और उन्हें उन वस्तुओं के रूप में वर्गीकृत करना सही है जिन पर शून्य सीमा शुल्क लगता है।

घटनाक्रम के जानकार एक सरकारी अ​धिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘इसका उद्देश्य मेक इन इंडिया पहल के अनुरूप उच्चस्तरीय अत्याधुनिक दूरसंचार उपकरण उत्पादन के लिए आवश्यक वास्तविक उपकरणों पर शून्य शुल्क बनाए रखना है। हालांकि स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले कुछ उपकरण या पुर्जों को अक्सर बड़े या विस्तृत दूरसंचार नेटवर्क बनाने के लिए जोड़ा जाता है। इन घटकों पर 10 फीसदी बुनियादी सीमा शुल्क लगने की संभावना है। ऐसा मौजूदा छूट को वापस लेकर या उसे कम करके या फिर नई शुल्क के तहत दोबारा वर्गीकृत कर किया जा सकता है।’ इस बारे में जानकारी के लिए वित्त मंत्रालय को ईमेल भेजा गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सरकार नोकिया मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर करने की भी योजना बना रही है।

डेलॉयट में पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) हरप्रीत सिंह ने कहा कि कुछ दूरसंचार नेटवर्किंग उपकरणों पर 10 फीसदी बुनियादी सीमा शुल्क के साथ एक अलग शुल्क उप-शीर्षक प्रस्तावित है, जिससे वास्तविक विनिर्माण इनपुट के लिए प्रोत्साहन को बनाए रखते हुए छूट को विनियमित किया जाएगा। 

सिंह ने कहा, ‘सरकार स्वतंत्र रूप से काम करने वाले कुछ उपकरण/पुर्जों को कर छूट का लाभ नहीं देना चाहती है। इस कदम से दूरसंचार नेटवर्किंग उपकरणों पर कराधान के लिए वर्गीकरण  से संबं​धित विवाद कम करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।’ 

First Published - May 14, 2025 | 10:25 PM IST

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