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Elon Musk की Starlink को बड़ी जीत: भारत सरकार ने मुकेश अंबानी और सुनील मित्तल के स्पेक्ट्रम नीलामी की मांग ठुकराई

सरकार का यह फैसला रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के लिए एक व्यावसायिक खतरा है क्योंकि स्टारलिंक ऐसे समय में उनके कुछ बड़े ग्राहक आधार को खत्म कर सकती है।

Last Updated- October 16, 2024 | 5:57 PM IST
Big win for Elon Musk's Starlink: Indian government rejects Mukesh Ambani and Sunil Mittal's demand for spectrum auction Elon Musk की Starlink को बड़ी जीत: भारत सरकार ने मुकेश अंबानी और सुनील मित्तल के स्पेक्ट्रम नीलामी की मांग को ठुकराया

एलन मस्क (Elon Musk) की स्टारलिंक इंक को भारत के सैटेलाइट ब्रॉडबैंड बाजार में बड़ी जीत हासिल हुई है। भारत सरकार ने स्पेक्ट्रम नीलामी की मांग को खारिज कर दिया, जिसे देश के दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी और सुनील मित्तल ने समर्थन दिया था। यह जानकारी ब्लूमबर्ग ने दी।

भारत के दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को घोषणा की कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन नीलामी के बजाय प्रशासनिक तरीके से आवंटन (administratively allocated spectrum) किया जाएगा। यह वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप होगा। हालांकि, सिंधिया ने यह स्पष्ट किया कि यह स्पेक्ट्रम मुफ्त में नहीं दिया जाएगा, और स्थानीय नियामक (local regulator) इसकी कीमत तय करेंगे।

रियायंस जियो और भारती एयरटेल के लिए चुनौती होगा सरकार का फैसला

यह फैसला रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसी कंपनियों के लिए एक चुनौती हो सकता है, क्योंकि वे स्पेक्ट्रम नीलामी की मांग कर रही थीं। कंपनियों का तर्क है कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए पूर्व निर्धारित कीमत पर स्पेक्ट्रम आवंटन से एक असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल बनेगा, क्योंकि उन्हें अपने वायरलेस नेटवर्क के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी में खरीदना पड़ता है।

ऐसे में जहां सिंधिया ने स्टारलिंक जैसी नई कंपनियों को सस्ते में स्पेक्ट्रम मिलने की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की, वहीं अरबपतियों की लड़ाई तेज हो रही है।

सरकार की तरफ से निर्धारित मूल्य पर स्पेक्ट्रम आवंटन से स्टारलिंक जैसी विदेशी कंपनियों को वॉयस और डेटा सेवाएं प्रदान करने की अनुमति मिलेगी। यह रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड और भारती एयरटेल लिमिटेड के लिए एक व्यावसायिक खतरा है क्योंकि स्टारलिंक ऐसे समय में उनके कुछ बड़े ग्राहक आधार को खत्म कर सकता है जब फोन डेटा का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।

मोदी सरकार के सामने भी एक चुनौती

रिलायंस जियो और भारती एयरटेल, भारत के सबसे बड़े और दूसरे सबसे बड़े ऑपरेटर हैं। भारत की मोदी सरकार के सामने एक चुनौती है— एलन मस्क जैसे विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना और अंबानी और मित्तल की अगुवाई वाली स्थानीय वायरलेस कंपनियों की मांगों को संतुलित करना। फिलहाल, सरकार का रुख स्टारलिंक के पक्ष में दिखाई दे रहा है। मस्क ने 16 अक्टूबर को X पर भारत को धन्यवाद भी कहा।

यह सरकारी निर्णय रिलायंस जियो की नीलामी के पक्ष में उठाई गई मांग के कुछ दिनों बाद आया, जो स्टारलिंक के लिए भारत में सेवाओं की शुरुआत को महंगा बना सकता था। हालांकि, स्टारलिंक अभी भी भारत में ऑपरेटिंग लाइसेंस का इंतजार कर रही है।

रिलायंस जियो ने सरकार को लिखा था पत्र

रिलायंस जियो ने 10 अक्टूबर को भारत के दूरसंचार मंत्रालय को एक पत्र में ‘उचित और पारदर्शी नीलामी प्रणाली’ की मांग की थी, ताकि सैटेलाइट और टेरेस्ट्रियल मोबाइल सेवा प्रदाताओं के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित हो सके। जियो ने लिखा कि स्पेक्ट्रम के लिए ‘समान सेवा, समान नियम’ और प्रतिस्पर्धी नीलामी मूल्य लागू होने चाहिए।

रिपोर्टों के अनुसार, रिलायंस जियो ने इस पत्र पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन कानूनी विकल्पों पर विचार कर सकता है। वहीं, सुनील मित्तल ने भी सैटेलाइट सेवाओं के लिए नीलामी का समर्थन किया और कहा कि सैटेलाइट कंपनियों को उसी तरह से स्पेक्ट्रम प्राप्त करना चाहिए जैसे मौजूदा टेलीकॉम ऑपरेटर करते हैं।

मस्क ने कहा- नीलामी से आवंटन कभी नहीं होने जैसा

मस्क ने 14 अक्टूबर को X पर इस मांग को ‘अभूतपूर्व’ बताया था। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। अंबानी और मित्तल के साथ, मित्तल समर्थित Eutelsat OneWeb भी भारत के सैटेलाइट ब्रॉडबैंड बाजार में हिस्सेदारी पाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही है। वह अपने ग्राहकों को बचाने के लिए सैटेलाइट सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम की सस्ती दरों के खिलाफ आवाज उठा रही है।

मित्तल ने मंगलवार को कहा, ‘उन्हें स्पेक्ट्रम खरीदने की ज़रूरत है जैसे टेलीकॉम कंपनियां खरीदती हैं। उन्हें लाइसेंस शुल्क का भुगतान करना होगा और दूरसंचार कंपनियों की तरह नेटवर्क को भी सुरक्षित करना होगा।’ पूरी जानकारी के लिए क्लिक करें 

First Published - October 16, 2024 | 5:57 PM IST

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