टेलीकॉम दिग्गज एयरटेल और रिलायंस जियो ने अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ स्टारलिंक के भारत में कदम रखने के लिए समझौता करने के कुछ दिनों बाद, अब केंद्र सरकार ने अमेरिकी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देने वाली इस कंपनी से देश में एक कंट्रोल सेंटर खोलने के लिए कहा है। न्यूज वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह कंट्रोल सेंटर कानून और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करेगा क्योंकि यह संवेदनशील क्षेत्रों में जरूरत पड़ने पर संचार सेवाओं को सस्पेंड करने या बंद करने में सक्षम होगा।
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि जब भी जरूरत होगी, सुरक्षा एजेंसियों के पास कुछ निर्धारित अधिकार होंगे, जो उन्हें आधिकारिक चैनलों के माध्यम से कॉल्स को इंटरसेप्ट करने की इजाजत देगा।
रिपोर्ट में कंट्रोल सेंटर के महत्व पर जोर देते हुए कहा गया है कि यह बहुत जरूरी है क्योंकि देश के किसी भी हिस्से में कानून और व्यवस्था की स्थिति में अचानक बदलाव के कारण संचार सेवाओं, जिसमें सैटेलाइट के जरिए दी जाने वाली सेवाएं भी शामिल हैं, को बंद करने की जरूरत पड़ सकती है। सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया कि हर बार इमरजेंसी के समय पर उनके दरवाजे खटखटाने या अमेरिका में उनके मुख्यालय से संपर्क करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। स्टारलिंक ने सरकार को इस मामले को देखने का आश्वासन दिया है।
टेलीकॉम कानून के तहत एक प्रावधान है कि सार्वजनिक आपातकाल के मामले में, जिसमें आपदा प्रबंधन या सार्वजनिक सुरक्षा शामिल है, केंद्र और राज्य सरकार किसी अधिकृत संस्था से किसी भी टेलीकॉम सेवा या नेटवर्क का अस्थायी रूप से अपने कंट्रोल में ले सकती है।
गुरुवार को कांग्रेस के महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने टेलीकॉम दिग्गजों और स्पेसएक्स के बीच हाल के स्टारलिंक सौदे पर सवाल उठाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह सौदा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की “सद्भावना” खरीदने के लिए उनके द्वारा तैयार किया गया है। एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए उन्होंने पूछा कि कैसे एयरटेल और जियो ने सिर्फ 12 घंटे के अंतराल में स्पेसएक्स के साथ समझौता कर लिया, जबकि उनकी पहले की आपत्तियां, जो वे लंबे समय से स्टारलिंक के भारत में कदम रखने को लेकर उठा रहे थे, अब दूर हो गई हैं।
बता दें कि एक आश्चर्यजनक कदम के रूप में, मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस की जियो प्लेटफॉर्म और एलन मस्क की स्पेसएक्स के बीच बुधवार को एक समझौता हुआ। यह सौदा तब हुआ जब दोनों अरबपतियों के बीच महीनों तक इंटरनेट सेवा की हवाई तरंगों (airwaves) के आवंटन को लेकर विवाद चल रहा था।