इंडस्ट्री के लिए अप्रैल से लागू ई-कचरा नियमों के कार्यान्वयन पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना पर टेलीकॉम ऑपरेटरों ने आपत्ति जताई है। ऑपरेटरों का तर्क है कि ये नियम मोबाइल सेवाओं को नुकसान नहुंचा सकते हैं क्योंकि उन्हें जंकिंग उपकरण की आवश्यकता होती है, जिनमें महत्त्वपूर्ण रेडियो भी शामिल हैं।
टेलीकॉम ऑपरेटरों का संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को एक प्रस्तुती (presentation) की योजना बना रहा है। उनका तर्क है कि टेलीकॉम उपकरणों को लेकर केवल टेलीकॉम विभाग ही उत्पादों के जीवनकाल की समाप्ति यानी ई-कचरा नियमों के तहत उपकरणों को अनिवार्य रूप से कितने साल में नष्ट करना है, का निर्धारण कर सकता है।
संगठन ने यह शिकायत भी की है कि ई-कचरा नियमों की सूची में टेलीकॉम को शामिल करने से पहले पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हितधारकों या उद्योग के नोडल मंत्रालय टेलीकॉम विभाग के साथ इस बारे में पर्याप्त परामर्श नहीं किया है।
ऑपरेटरों का कहना है कि जब ई-कचरा नियमों का पिछला संस्करण तैयार किया गया था तब ICT, उपकरण या कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे प्रभावित उद्योग के संबंधित मंत्री पूरी परामर्श प्रक्रिया में लगे थे और अंतिम नियमों को तैयार करने वाली संचालन समिति में भी शामिल थे। लेकिन टेलीकॉम के मामले में टेलीकॉम विभाग और टेलीकॉम सेवा के हितधारकों से परामर्श नहीं किया गया।
यह पहला मौका है जब महत्त्वपूर्ण रेडियो और BTS उपकरणों सहित अन्य टेलीकॉम उपकरणों को अधिसूचना के दायरे में लाया गया है। अधिसूचना में कहा गया है कि विनिर्माता या उत्पादकों को ई-कचरे का अनिवार्य तौर पर संग्रह कर उसका निपटान या पुनर्चक्रण करना होगा। 1 मई, 2014 से पहले तक खपत योग्य पुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरण के लिए जरूरी कलपुर्जों को इससे अलग रखा गया था।
टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि 2023-24 से हर साल बाजार में भेजे गए कुल इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों का 60 फीसदी का निपटान करना होगा और 2027-28 से नष्ट किए जाने वाले ई-कचरे की हिस्सेदारी बढ़कर 80 फीसदी हो जाएगी, जिससे मोबाइल सेवाओं पर गंभीर असर पड़ेगा।
इसकी बड़ी वजह यह है कि नेटवर्क क्षमता का बड़ा विस्तार पिछले 5 से 6 साल के दौरान हुआ है। 4G सेवाओं के आने और 5G की शुरुआत के साथ टेलीकॉम टावारों की संख्या 60 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 7,98,000 हो गई।
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COAI के अधिकारियों ने बीते कुछ दिनों में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और टेलीकॉम विभाग के साथ इस पर चर्चा की है। टेलीकॉम विभाग के सचिव के साथ बैठक के बाद संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमारा रुख स्पष्ट है, केवल टेलीकॉम विभाग ही टेलीकॉम इलेक्ट्रिॉनिक्स जैसे रेडियो के जीवनकाल खत्म होने का निर्धारण कर सकता है न कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय।’
उन्होंने कहा कि टेलीकॉम विभाग का वायरलेस योजना और समन्वय इकाई और टेलीकॉम प्रवर्तन रिसोर्स एवं मॉनिटरिंग प्रकोष्ठ टेलीकॉम के इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों (रेडिएशन सहित) के स्वास्थ्य पर निगरानी रखने के लिए जिम्मेदर है और वे इसका बेहतर आकलन कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मोबाइल, जिसका जीवनकाल (life cycle) 5 साल का होता है, उसके विपरीत BTS में शामिल वस्तुएं, रेडियो और अन्य इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे टेलीकॉम नेटवर्क का हिस्सा होते हैं और इन्हें अलग से नष्ट नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है।
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COAI को हालिया रुख पहले की तुलना में ज्यादा सख्त है। अप्रैल में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को लिखे गए पत्र में संगठन ने टेलीकॉम नेटवर्क ऑपरेटरों, प्रसारण सेवा ऑपरेटरों और टेलीकॉम उपकरण विनिर्माताओं आदि के लिए ई-कचरा निपटान नियमों को 1 साल बढ़ाने का अनुरोध किया था। हालांकि उस समय में उद्योग तथा टेलीकॉम विभाग के साथ परामर्श करने की बात कही गई थी।