एयर इंडिया के कुल अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में से करीब 10 प्रतिशत भारतीय हवाई अड्डों को ट्रांजिट केंद्र के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। विमानन कंपनी का इरादा अगले तीन साल में इस हिस्सेदारी को दोगुना करके लगभग 20 प्रतिशत करना है। कंपनी के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी (सीसीओ) निपुण अग्रवाल ने रविवार को यह जानकारी दी।
अग्रवाल ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि हर साल करीब 13 करोड़ यात्री भारत होकर उड़ान भरते हैं। इनमें करीब 10 प्रतिशत ट्रांजिट यातायात का संचालन दुबई और करीब 7.5 प्रतिशत यातायात का संचालन दोहा में होता है। इसकी तुलना में इस समय दिल्ली इस ट्रांजिट यातायात के एक प्रतिशत से भी कम का संचालन करती है जिससे पता चलता है कि इसमें बहुत बड़ा अवसर है।
उन्होंने कहा ‘हम पहले ही भारत के पश्चिम में अपना यातायात बढ़ा चुके हैं। हमें भारत के पूर्व में, खास तौर पर दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी कनेक्टिविटी बढ़ावा देने की जरूरत है, ताकि हमें और ज्यादा इंटरनैशनल-टु-इंटरनैशनल (आई2आई) यातायात मिल सके।’
अग्रवाल ने यूरोप-ऑस्ट्रेलिया कॉरिडोर के महत्त्व के बारे में बात की। इस पर भारतीय विमानन कंपनियों ने अभी तक ध्यान केंद्रित नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘हमने फ्रैंकफर्ट, लंदन और पेरिस जैसे पश्चिमी गंतव्यों के लिए अपनी उड़ान के समय को मेलबर्न और सिडनी जैसे पूर्वी गंतव्यों के साथ मिलाने का प्रयास किया है।’ उन्होंने बताया कि विमानन कंपनी के कुल अंतरराष्ट्रीय यातायात में आई2आई की हिस्सेदारी फिलहाल करीब 10 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अगले तीन साल में यह हिस्सेदारी बढ़कर 15 से 20 प्रतिशत हो जाएगी। हमारी यही आकांक्षा है। यही हम हासिल करना चाहते हैं।’
उन्होंने कहा कि साल 2019-20 से विमानन कंपनी का फ्रंट केबिन (बिजनेस क्लास और प्रीमियम इकॉनमी) से कुल राजस्व 2.3 गुना बढ़ा है जबकि बैक केबिन (इकॉनमी क्लास) से राजस्व 1.6 गुना बढ़ा है।
उन्होंने कहा ‘इसी वजह से हम वाइडबॉडी वाले विमानों में फ्रंट केबिन सीटों (बिजनेस, प्रीमियम इकॉनमी वगैरह) की संख्या बढ़ा रहे हैं। यह बदलाव पूरा होने के बाद हमारे पास आज की तुलना में फ्रंट केबिन सीटों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। लिहाजा, इन विमानों से होने वाली आय में खासा इजाफा होगा।’ विमानन कंपनी इस साल जून या जुलाई से अपने मौजूदा वाइडबॉडी विमानों को इस बदलाव के लिए भेजना शुरू कर देगी। एयर इंडिया ने यूएई और कतर जैसे देशों के लिए द्विपक्षीय अधिकारों को बढ़ाने का लगातार विरोध किया है और कहा है कि उनकी विमानन कंपनियां भारत से उत्तरी अमेरिका और यूरोप के यातायात के बड़े हिस्से के लिए अपने केंद्रों का इस्तेमाल करती हैं। आने वाले वर्षों में एयर इंडिया उत्तरी अमेरिका और यूरोप के लिए अपनी सीधी उड़ानों में खासा इजाफा करने की योजना बना रही है।
उन्होंने बताया, ‘हम पहले ही अपनी स्थिति काफी स्पष्ट कर चुके हैं। अगर हमारा इरादा अंतरराष्ट्रीय बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा करना है, तो हमें अपने केंद्रों (दिल्ली, मुंबई वैगरह) को मजबूत करने की जरूरत है। तैनात की जा रही क्षमता इन केंद्रों (दुबई, दोहा वगैरह आदि) से आगे बढ़ रही है। भारत ने जो द्विपक्षीय अधिकार दिए हैं, वे मूल-गंतव्य (ओ-डी) या पॉइंट-टु-पॉइंट यातायात के लिए काफी ज्यादा हैं।’