टाटा ग्रुप की मुख्य होल्डिंग कंपनी Tata Sons अभी अपने शेयर पब्लिक में बेचने (IPO) की कोई तैयारी नहीं कर रही है। सूत्रों के अनुसार, कंपनी को उम्मीद है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) उसे लिस्टिंग की आखिरी तारीख (सितंबर 2025) को बढ़ाने की अनुमति देगा। RBI ने Tata Sons को टॉप लेवल की नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) माना था, जिसके तहत नियमों के अनुसार उसे शेयर बाजार में लिस्ट होना जरूरी था। लेकिन Tata Sons कोई क्लाइंट-फेसिंग वित्तीय कंपनी नहीं है और इसका ज्यादा काम ग्रुप के निवेश को मैनेज करना है।
Tata Sons ने पिछले साल RBI से अपील की थी कि उसे Core Investment Company के रूप में डि-रजिस्टर किया जाए ताकि उस पर पब्लिक लिस्टिंग की बाध्यता न रहे। Tata Sons के पास टाटा ग्रुप की तमाम बड़ी कंपनियों जैसे TCS, Tata Motors, Titan आदि में हिस्सेदारी है। खुद Tata Sons पर Tata Trusts का 66% नियंत्रण है।
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अगर Tata Sons शेयर बाजार में लिस्ट होती है, तो इसके कॉर्पोरेट ढांचे को समझना आसान हो जाएगा। लेकिन इससे एक बड़ा जोखिम भी पैदा होगा। बाजार में इसके शेयर बाहरी निवेशकों के लिए उपलब्ध हो जाएंगे, जिससे कंपनी पर टेकओवर (कब्ज़ा) की संभावना बढ़ सकती है। फिलहाल, Tata Sons एक प्राइवेट कंपनी होने के कारण इसके निदेशक किसी भी ऐसी कोशिश को सीधे खारिज (वीटो) कर सकते हैं।
अगर Tata Sons का IPO टलता है, तो इसका सीधा असर Shapoorji Pallonji Group पर पड़ेगा। इस ग्रुप के पास Tata Sons में 18.37% हिस्सेदारी है। कर्ज में डूबे इस ग्रुप के लिए यह हिस्सेदारी बेचना एक बड़ा मौका था, लेकिन अब उसे इंतजार करना पड़ेगा।
RBI ने अभी कोई आधिकारिक फैसला नहीं सुनाया है, लेकिन वित्त सचिव संजय मल्होत्रा ने संकेत दिए हैं कि NBFC कंपनियों के लिए अलग नियम बनाए जा सकते हैं, क्योंकि समय के साथ नीतियां भी बदलनी चाहिए। (ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ)