टाटा समूह की वित्तीय सेवा कंपनी Tata Capital (टीसीएल) ने प्री-लिस्टिंग नियामकीय अनिवार्यताओं के तहत समूह की अन्य फर्मों टाटा स्टील और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के साथ वित्त वर्ष 2026 में 15,300 करोड़ रुपये के संबंधित पक्षकार लेनदेन के लिए शेयरधारकों से मंजूरी मांगी है। नियामकीय सूचना में आज टाटा कैपिटल (जिसे भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों को पूरा करने के लिए इस साल सितंबर तक सूचीबद्ध होना है) ने कहा कि वह टाटा समूह की कंपनी टाटा स्टील को अनुमानित 10,000 करोड़ रुपये की फैक्टरिंग सेवाएं प्रदान करती है। यह वित्त वर्ष 2023-24 के लिए टीसीएल के सालाना समेकित कारोबार का लगभग 55 फीसदी है और इसे कारोबार के सामान्य दायरे में परिचालित किया जाता है।
फैक्टरिंग व्यवस्था के तहत टाटा स्टील अपने ग्राहकों को क्रेडिट पर बेचे गए माल से होने वाली प्राप्तियों पर टाटा कैपिटल को छूट देती है। इन सुविधाओं के लिए टाटा स्टील टीसीएल को छूट शुल्क का भुगतान करती है। फैक्टरिंग सुविधाओं के तहत हालांकि कंपनी के जोखिम टाटा स्टील के ग्राहकों के लिए हैं। इन फैक्टरिंग लेनदेन को सेबी के एलओडीआर नियमों के तहत संबंधित पक्षकार लेनदेन की परिभाषा के आधार पर टाटा स्टील के साथ संबंधित पक्षकार लेनदेन माना जाएगा और इसलिए वह शेयरधारकों की मंजूरी मांग रही है।
टीसीएल टाटा स्टील को लीज सुविधाएं भी प्रदान करती है और टाटा स्टील कंपनी को लीज किराया देती है। टाटा संस के पास टाटा कैपिटल की 93 फीसदी और टाटा स्टील की 32 फीसदी हिस्सेदारी है।
इसी तरह टाटा कैपिटल ने कहा कि उसकी मूल कंपनी टाटा संस के पास टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की 71.74 फीसदी हिस्सेदारी है, जो एक सहायक कंपनी के रूप में टाटा कैपिटल के संबंधित पक्षकार के रूप में वर्गीकृत है। अपनी व्यापक उधारी रणनीति के हिस्से के रूप में टाटा कैपिटल विभिन्न जरियों से धन जुटाती है, जिनमें टर्म लोन, अंतर-कंपनी जमाएं और गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्र शामिल हैं। इसमें टीसीएस के साथ कई लेनदेन शामिल है, जिसमें एनसीडी जारी करना, आईटी सेवाओं की खरीद, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की खरीद और लीजिंग व्यवस्था शामिल है।