लेनदारों ने अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाले वेदांत समूह से कहा है कि वह भारत पेट्रोलियम या भविष्य में किसी अन्य महंगे अधिग्रहण में वेदांत रिसोर्सेस के खाते और अपनी भारतीय सूचीबद्ध कंपनी वेदांत की मदद मुश्किल समय में न ले जब तक कि वह अपने कर्ज का वित्त पोषण न कर ले।
वेदांत अपनी स्टील फर्म इलेक्ट्रोस्टील स्टील और तूतीकोरिन संयंत्र बेचना चाह रही है लेकिन उसे कोई खरीदार नहीं मिला है। इससे विभिन्न स्रोतों से फंड जुटाने के मामले में कंपनी पर ज्यादा दबाव पड़ा है। वेदांत ने साल 2018 में दिवालिया संहिता के तहत इलेक्ट्रोस्टील स्टील के अधिग्रहण के बाद स्टील उद्योग में प्रवेश किया था।
कंपनी ने सरकार की निजीकरण योजना के तहत बीपीसीएल के अधिग्रहण में रुचि दिखाई थी, जिसकी लागत खरीदारों के लिए करीब 60,000 करोड़ रुपये हो सकती है। किसी महंगे अधिग्रहण से वेदांत व उसकी मूल कंपनी वेदांत रिसोर्सेस पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जो अपने पुराने कर्ज के बदले नए कर्ज जुटाने के लिए कई कदम उठा रही है।
महंगे ब्याज दर पर लेनदारों से 1.25 अरब डॉलर के कर्ज के बदले नए कर्ज पर बातचीत कर रही वेदांत, बीपीसीएल की एकमात्र बोलीदाता थी जब सरकार ने कमजोर प्रतिक्रिया के चलते इसका अधिग्रहण टाल दिया है।
वेदांत अपने कर्ज के वित्त पोषण के लिए फरलॉन कैपिटल समेत कई लेनदारों से बातचीत कर रही है। समूह को अगले दो साल में 3 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है और रेटिंग फर्म कर्ज पुनर्भुगतान को सहारा देने के मामले में उसके नकदी प्रवाह को लेकर चिंतित हैं। इस बारे में जानकारी के लिए वेदांत को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
लेनदारों ने कहा, वित्त वर्ष 23 में वेदांत की एकीकृत परिचालित लाभप्रदता घटने का अनुमान है, जिसकी मुख्य वजह एल्युमीनियम व जस्ते समेत प्रमुख कारोबारों की उच्च लागत है। साथ ही पिछले वित्त वर्ष के एतिहासिक स्तर से जिंस की कीमतें घट रही है।
क्रिसिल के मुताबिक, उसका एकीकृत एबिटा इस साल मार्च में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में घटकर 35,000 करोड़ रुपये रह सकता है, जो पहले 38 से 40,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान था। वित्त वर्ष 22 में यह 45,000 करोड़ रुपये रहा था। 28 मार्च को उसने कहा था, इसके साथ ही घटते नकदी शेष से एकीकृत शुद्ध लिवरेज वित्त वर्ष 23 में तीन गुने से ज्यादा बढ़ सकता है।
वेदांत रिसोर्सेसे का समायोजित कर्ज अनुमानित तौर पर 7.4 अरब डॉलर यानी 61,000 करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 24 में समूह का एकीकृत एबिटा बढ़कर 40 से 42 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा रह सकता है, जिसकी वजह जिंसों की बेहतर कीमत, प्रमुख कारोबारों की बेहतर परिचालन दर, वित्त वर्ष 24 के दौरान नई क्षमता चालू होने के कारण एल्युमीनियम कारोबार के वॉल्यूम में बढ़ोतरी होगी।
साथ ही एल्युमिना रिफाइनरी के विस्तार व कैप्टिव कोयला खदान के चालू होने के कारण एल्युमीनियम कारोबार की उत्पादन लागत घटने का अनुमान है। क्रिसिल ने ये बातें कही।
बीएसई में सूचीबद्ध वेदांत बॉन्ड जारी कर 2,100 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है। कंपनी ने एक बयान में यह जानकारी दी। ये बॉन्ड निजी नियोजन के आधार पर संस्थागत निवेशकों को जारी किए जाएंगे।