सोनी और ज़ी के बीच विलय टूटने से पहले दोनों पक्षों के बीच करीब 20 से ज्यादा अनुपालन मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई थी, जिनमें कुछ रूसी परिसंपत्तियां और 1.4 अरब डॉलर के डिज्नी क्रिकेट अधिकार सौदे से जुड़े विवाद मुख्य रूप से शामिल थे। रॉयटर्स ने गोपनीय तौर पर प्राप्त हुए ईमेल संदेशों की समीक्षा के बाद यह जानकारी दी है।
भारत और लॉस एंजलिस में सोनी के कानूनी एवं विलय-अधिग्रहण मामलों के अधिकारियों की जी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत का साफ नतीजा नहीं निकला। इसके बाद जापानी फर्म ने 22 जनवरी को 10 अरब डॉलर के विलय सौदे से पीछे हटने का निर्णय लिया।
20 दिसंबर से 9 जनवरी के बीच दोनों पक्षों के बीच ईमेल संदेश भेजने का दौर चला। इन ईमेल संदेशों से पता चला है कि कंपनियों के अधिकारियों ने एक-दूसरे पर विलय से जुड़ी प्रतिबद्धताएं नहीं निभाने का आरोप लगाया। जी के अधिकारियों ने बार बार कहा कि उनकी ओर से कोई गलत बात नहीं हुई और सोनी से आखिरी समय-सीमा बढ़ाने को कहा। इस संबंध में जी और सोनी के अधिकारियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
जी-सोनी विलय से स्पोर्ट्स एंटरटेनमेंट और न्यूज से जुड़े 90 से ज्यादा चैनलों के साथ एक मजबूत भारतीय टीवी समूह का निर्माण होता, जिसका मुकाबला वाल्ट डिज्नी और अरबपति मुकेश अंबानी की रिलायंस जैसी कंपनियों
से होता।
सौदे का टूटना 1992 में शुरू हुए भारत के प्रमुख टीवी नेटवर्क जी के लिए एक बड़ा झटका है। सौदा रद्द होने के बाद से जी का शेयर करीब 27 प्रतिशत गिर चुका है।
निवेशक अधिकारों के हितों के लिए आवाज उठाने वाली सलाहकार फर्म इनगवर्न के संस्थापक श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा कि ज़ी में 96 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले म्युचुअल फंडों और अन्य निवेशकों को यह नहीं पता कि सौदा क्यों टूट गया, क्योंकि कंपनी ने किसी तरह की जानकारी साझा नहीं की है। उन्होंने कहा, ‘निवेशकों को मौजूदा घटनाक्रम के बारे में जानने का अधिकार है।’
दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे को भेजे गए ईमेल संदेशों से पता चला है कि सोनी और जी के बीच उन चार रूसी सहायक इकाइयों को लेकर मतभेद थे, जो कंटेंट निर्माण एवं वितरण से जुड़ी हुई हैं, क्योंकि विलय समझौते में यह तय किया गया था कि अमेरिकी प्रतिबंध के दायरे में किसी देश में मौजूद इकाइयों के साथ कोई संबंध नहीं होना चाहिए। रूस को यूक्रेन युद्ध की वजह से अमेरिकी प्रतिबंध का सामना करना पड़ रहा है।