गूगल ने अपने प्ले स्टोर से 10 डेवलपरों के ऐप हटाए, जिसके बाद इस सर्च इंजन और भारतीय ऐप डेवलपरों के बीच गतिरोध काफी बढ़ गया है। हालांकि गूगल ने सभी ऐप एक दिन के भीतर वापस प्ले स्टोर पर ले लिए मगर एक दिन में ही ऐप डेवलपरों को बहुत नुकसान हो गया।
कई लोगों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि गूगल की इस कार्रवाई से कारोबार पर 40 फीसदी तक चोट पड़ी है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि संबंधित पक्षों ने इस विवादित मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सोमवार को सरकार के साथ बैठक की मांग की है।
पीपल ग्रुप (शादी डॉट कॉम) के संस्थापक एवं मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) अनुपम मित्तल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हटाए जाने के बाद हमारा कारोबार 30-40 फीसदी कम हो गया है। पहले हम मुनाफा कमा रहे थे मगर अब बिना मुनाफे की कंपनी बनकर रह गए हैं।’ मित्तल ने कहा कि पीपल ग्रुप के करीब 50 फीसदी ऐप को प्ले स्टोर से हटा दिया गया था।
मैचमेकिंग ऐप ट्रूलीमैडली के सीईओ स्नेहिल खानोर ने कहा कि गूगल के इस कदम से उनके कारोबार और यूजर्स के अनुभव पर गहरा असर पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘रोक के पहले दिन ट्रूलीमैडली के कारोबार पर 20-25 फीसदी असर पड़ा। मगर शनिवार तक इसमें करीब 40 फीसदी गिरावट आ गई।’
गूगल ने 10 डेवलपरों पर उसके यूजर चॉइस बिलिंग (यूसीबी) सिस्टम को नहीं मानने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को बताया कि उनके ऐप को प्ले स्टोर से हटा दिया गया है। इनमें शादी, भारत मैट्रिमनी, बालाजी टेलीफिल्म्स का ऑल्ट (पूर्व में ऑल्ट बालाजी), ऑडियो प्लेटफॉर्म कुकू एफएम और डेटिंग प्लेटफॉर्म क्वैक क्वैक जैसे ऐप शामिल हैं।
संजीव बिखचंदानी के नेतृत्व वाले इन्फो एज समूह के दो ऐप- नौकरी डॉट कॉम और 99 एकर्स- को भी प्ले स्टोर से हटा दिया गया था। बिखचंदानी का दावा है कि गूगल ने पालन नहीं होने का नोटिस दिए बगैर ही ऐप को प्ले स्टोर से हटा दिया था।
इनमें से कई ऐप ने गूगल की भुगतान नीति के हिसाब से बदलाव कर लिए और प्ले स्टोर पर वापस आ गए। मगर कई ऐप में लेनदेन या भुगतान के लिए यूजर को ऐप की वेबसाइट पर अथवा प्ले स्टोर के सिस्टम से बाहर जाना पड़ता है। इससे यूजर्स को परेशानी होती है।
एक अन्य ऐप डेवलपर ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘हमने गूगल के निर्देशों के अनुरूप अपने ऐप में बदलाव कर दिया था। हमने भुगतान एवं बिलिंग के सभी तरीके अपने ऐप से हटा दिए हैं। उनमें से कई पेमेंट गेटवे के बगैर ही चल रहे हैं। हमारी किसी भी ऐप को सीधे पैसा नहीं मिल रहा है, जिससे कारोबार को झटका लगा है।’
प्ले स्टोर पर लौटने वाली ऐप गूगल के उपभोग मॉडल पर ही चल रही हैं। इसके तहत किसी भी उत्पाद या सेवा की डिजिटल या भौतिक खरीद सीधे ऐप से नहीं हो सकती है। इससे डेवलपरों को 11 से 30 फीसदी सेवा शुल्क गूगल को नहीं देना पड़ेगा। दूसरी ओर, ऐप अपनी संबंधित वेबसाइट के जरिये लेनदेन कर सकते हैं।
कई संस्थापकों का कहना है कि प्ले स्टोर पर कोई बिलिंग सिस्टम न होने से कंपनियों के कारोबार को झटका लगेगा।
उद्योग सूत्रों के अनुसार भारतीय संस्थापकों और ऐप डेवलपरों ने इस मुद्दे पर बातचीत के लिए केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ एक बैठक करने की मांग की है। वैष्णव इस मामले में पहले ही हस्तक्षेप कर चुके हैं।
उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि भारत अपनी नीति को लेकर बिल्कुल स्पष्ट है कि स्टार्टअप को हर आवश्यक सुरक्षा मिलेगी और इस प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाने दिया जा सकता।