सरकार ने नैशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है। यह बिक्री ऑफर फॉर सेल के माध्यम से होगी। इसकी लेनदेन में मदद के लिए मर्चेंट बैंकरों, ब्रोकरों और कानूनी सलाहकारों को आमंत्रित किया गया है।
इस समय कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 74.71 प्रतिशत है। यह कंपनी देश में यूरिया की दूसरी सबसे बड़ी उत्पादक है। अगर बुधवार को कंपनी के शेयरों की बिक्री के भाव देखें तो इस बिक्री से सरकार को 408 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।
सरकार चल रहे वित्त वर्ष में विनिवेश योजना से 32,000 करोड़ रुपये जुटाकर विनिवेश कार्यक्रम पूरा करना चाहती है। अब तक सरकार को ओएफएस, आईपीओ और अन्य बिक्री से 19,499 करोड़ रुपये मिले हैं। सरकार ने अपने संशोधित अनुमान में विनिवेश कार्यक्रम के तहत धन जुटाने का 2.1 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य कम किया है, क्योंकि निजीकरण की महत्त्वाकांक्षी योजना अगले साल के लिए टाल दी गई है। अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार विनिवेश प्राप्तियों से 75,000 करोड़ रुपये और सरकारी बैंकों व वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी की बिक्री से 2.1 लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद कर रही है।
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कंपनी का कर के बाद छमाही लाभ 198 करोड़ रुपये था और इसकी सकल पूंजी सितंबर 2020 में 2,117 करोड़ रुपये थी। एनएफएल के पास 5 गैस आधारित अमोनिया यूरिया संयंत्र नांगल, बठिंडा, पानीपत, और दो संयंत्र मध्य प्रदेश के विजयपुर में हैं। इस समय कंपनी की मौजूदा कुल स्थापित क्षमता 35.68 लाख टन यूरिया बनाने की है और देश के कुल यूरिया उत्पादन में कंपनी की हिस्सेदारी करीब 15 प्रतिशत है।
पिछली बार सरकार ने एनएफएल में 2017-18 में अपनी हिस्सेदारी घटाने की कवायद की थी और ओफएस के माध्यम से कंपनी में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची थी। इस लेन देन से खजाने में 531 करोड़ रुपये आए थे। उस समय फ्लोर प्राइस 72.80 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था, जबकि बुधवार को कंपनी के शेयर 41.60 रुपये पर बंद हुए। बहरहाल कंपनी के शेयर 23 मार्च 2020 के अपने 52 सप्ताह के निचले स्तर 15 रुपये से ऊपर चढ़े हैं। कोरोनावायरस के प्रसार के बाद बाजार रिकॉर्ड स्तर पर गिर गया था।
सरकार एनएफएल के पात्र व इच्छुक कर्मचरियों को शेयरों का आवंटन करकने पर भी विचार कर रही है, जो उन्हें छूट पर दिए जाएंगे। सरकार ने लेनदेन के लिए सलाहकारों की जरूरत पर एक नोट में कहा कि इन शेयरों के प्रतिशत और मात्रा के बारे में समय पर फैसला किया जाएगा और मर्चेंट बैंकर, सेलिंग ब्रोकरों से सरकार इस तरह की मदद लेगी।
निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के हाल के आंकड़ों के मुताबिक इस साल सरकार ने 4 सराकरी कंपनियों हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी), भारत डायनामिक्स और स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया (सेल) में ओएफएस पूरा किया है।
