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खुलासा नियमों का बढ़ेगा दायरा

Last Updated- December 12, 2022 | 6:37 AM IST

अगले वित्त वर्ष से कंपनियों को अपने बहीखातों में उन बातों का जिक्र करना पड़ सकता है जो अमूमन इसका हिस्सा नहीं होती हैं। कंपनी मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने कंपनी अधिनियम में नए संशोधन किए हैं जिनके बाद अब कंपनियों को आभासी मुद्राओं (क्रिप्टोकरेंसी) में कारोबार, कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) और कंपनी पंजीयक की सूची से हट चुकी कंपनियों से अपने संबंधों की जानकारी वित्तीय बहीखाते में देनी होगी। इनके अलावा कंपनियों को वित्तीय बहीखाते में बेनामी संपत्ति और उन अचल संपत्तियों के मालिकाना का भी जिक्र करना होगा जो उनके नाम पर नहीं हैं।
मंत्रालय ने कुछ नए प्रावधान भी किए हैं जिनमें ऑडिट रिपोर्टिंग का दायरा व्यापक बनाने की बात भी शामिल है। इसका आशय है कि ऋण आवंटन, ऋण एवं निवेश आदि की जानकरियां भी देनी होंगी। एक अन्य प्रावधान के तहत कंपनियों को अपने बहीखाते के रखरखाव के लिए उन अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की जरूरत होगी जिनसे उन्हें प्रत्येक लेनदेन की छोटी से से छोटी जानकारियां रखने में मदद मिलेगी।
कंपनियों को निदेशक मंडल की रिपोर्ट में ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया मामलों और कंपनी के मूल्यांकन से जुड़ी बातों का भी खुलासा करना होगा।
इस बारे में इकनॉमिक्स लॉज प्रैक्टिस में एसोसिएट पार्टनर महेंद्र सिंह कहते हैं, ‘मंत्रालय ने कुछ नए प्रावधानों की घोषणा की हैं जिनके तहत कंपनी प्रबंधन और ऑडिटरों को सूचना के प्रवाह और तथ्यों को पेश करने में एक बड़ी भूमिका निभानी होगी।’
नांगिया एंडरसन में पार्टनर निश्चल एस अरोड़ा ने कहा कि कंपनियों को उन आभासी मुद्राओं (क्रिप्टोकरेंसी) का जिक्र करना होगा जिनमें उन्होंने कारोबार किए हैं। इसके अलावा ऐसे कारोबार में लाभ एवं नुकसान और इन मुद्राओं में दूसरे लोगों से उधार ली गई रकम की भी जानकारी देनी होगी। उन्होंने कहा, ‘सरकार पहले से ही क्रिप्टोकरेंसी पर एक विधेयक लाने की तैयारी में है और अब इन नए नियमों से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार डिजिटल मुद्रा पर अधिक से अधिक आंकड़े जुटाना चाहती है।
ये नए प्रावधान 1 अप्रैल, 2021 से प्रभाव में आएंगे लेकिन कंपनियों को सीएसआर मद में हुए खर्च के पिछले वर्ष के आंकड़े भी दिखाने होंगे और इनमें आई किसी तरह की कमी आई है तो उसका भी कारण बताना होगा। अब तक सीएसआर खर्च की जानकारी निदेशक मंडल की रिपोर्ट में दी जाती थी लेकिन अब कंपनियों को वित्तीय बहीखातों में इसका ब्योरा देना होगा।
होस्टबुक्स के संस्थापक एवं चेयरमैन कपिल राणा ने कहा कि कंपनी अधिनियम में इन नए प्रावधानों के जुडऩे के बाद कंपनियों को निदेशक मंडल की रिपोर्ट में आवेदन या आईबीसी के तहत विचाराधीन मामले का जिक्र करना होगा। इसके अलावा वित्ती वर्ष की समाप्ति पर ऐसे मामलों की यथास्थिाति का भी जिक्र करना होगा। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में एकबारगी समाधान और बैंकों से ऋण लेते वक्त तय किए गए मूल्यांकन का अंतर भी बताना होगा।

First Published - March 26, 2021 | 12:32 AM IST

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