सैमसंग ने भारतीय न्यायाधिकरण से नेटवर्किंग उपकरण आयात के कथित गलत वर्गीकरण पर दिए गए कर मांग के नोटिस को खारिज करने का अनुरोध किया है।
कंपनी से सरकार ने 52 करोड़ डॉलर की कर मांग की है। दस्तावेज से पता चलता है कि कंपनी ने तर्क दिया कि अधिकारियों को इस प्रणाली की जानकारी थी, क्योंकि भारत की रिलायंस कंपनी ने भी वर्षों तक इसी तरीके से ऐसे उपकरणों का आयात किया था।
भारत के कर की मांग को चुनौती देने वाली सैमसंग हाल के महीनों में दूसरी प्रमुख विदेशी कंपनी बन गई है। फॉक्सवैगन ने अपने आयातित कलपुर्जों के गलत वर्गीकरण के मामले में की गई कर मांग के खिलाफ मोदी सरकार पर 1.4 अरब डॉलर का मुकदमा किया है। कर अधिकारियों ने जनवरी में सैमसंग से मोबाइल टावर के एक प्रमुख उपकरण का गलत वर्गीकरण करके 10-20 प्रतिशत शुल्क आयात शुल्क बचाने पर 52 करोड़ डॉलर चुकाने को कहा था।
कंपनी ने इन मोबाइल टावर उपकरणों को अरबपति मुकेश अंबानी की दूरसंचार दिग्गज रिलायंस जियो को वर्ष 2018 से 2021 के बीच बेचा था। मुंबई में सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण में दायर 281 पृष्ठों की चुनौती में सैमसंग ने भारतीय अधिकारियों की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें इस तरह के बिजनेस मॉडल के बारे में पूरी जानकारी है क्योंकि रिलायंस ने भी 2017 तक तीन वर्षों तक बिना किसी शुल्क भुगतान के इसी तरह के उपकरणों का आयात किया था।
सैमसंग का मामला ‘रिमोट रेडियो हेड’ नामक एक खास उपकरण के आयात से जुड़ा है, जो एक रेडियो-फ्रीक्वेंसी सर्किट है तथा एक छोटे आउटडोर मॉड्यूल में लगाया जाता है। इसके बारे में कर अधिकारियों का कहना है कि यह 4जी दूरसंचार प्रणालियों के ‘सबसे महत्वपूर्ण’ उपकरणों में से एक है।