राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के मुंबई पीठ ने अरबपति अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली कंपनी ट्विन स्टार टेक्नोलॉजिज को दिवालिया वीडियोकॉन इडस्ट्रीज का अधिग्रहण करने की मंजूरी दे दी है। इसमें ऋणदाताओं को करीब 90 फीसदी बकाये से हाथ धोना पड़ेगा।
वीडियोकॉन पर 35,000 करोड़ रुपये का भारी-भरकम कर्ज है। कर्ज नहीं लौटा पाने पर उसे दिसंबर, 2017 में कर्ज समाधान के लिए भेजा गया। एनसीएलटी ने नवंबर, 2019 में आदेश दिया कि वीडियोकॉन और समूह की 12 अन्य कंपनियों का कर्ज समाधान एक साथ किया जाए। एक बैंकर ने कहा कि आज का कर्ज समाधान पहला उदाहरण है, जहां पूरे समूह के कर्ज का समाधान एक ही प्रक्रिया में कर दिया गया। मूल कंपनी पर कुछ कर्ज अन्य कंपनियों की गारंटी लिए जाने के कारण भी है। ट्विन स्टार ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के ऋणदाताओं को 2,962 करोड़ रुपये देने की पेशकश की है। कंपनी में मौजूद 500 करोड़ रुपये की नकदी भी बैंकों को दी जाएगी। अधिग्रहण के बाद कंपनी के 599 करोड़ रुपये के शेयर भी ऋणदाताओं को मिलेंगे। इस तरह कुल मिलाकर ट्विनस्टार ऋणदाताओं को करीब 4,000 करोड़ रुपये दे रही है। एनसीएलटी ने आज कहा कि असहमत ऋणदाताओं में से कुछ को अग्रिम भुगतान करना होगा।
वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के प्रवर्तक धूत परिवार ने भी पिछले साल ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया अधिनियम की धारा 12 ए के तहत ऋणदाताओं की समिति के पास आवेदन दायर किया था, लेकिन इसे ऋणदाताओं से आवश्यक 90 फीसदी मत नहीं मिल पाए। इन ऋणदाताओं ने पिछले साल दिसंबर में ट्विनस्टार की पेशकश को मंजूरी दी थी।
आईबीसी 2016 की शुरुआत अच्छी रही, लेकिन उसके बाद वसूली काफी धीमी पड़ गई है। भारतीय ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया बोर्ड (आईबीबीआई) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक ऋणदाता करीब आधी कंपनियों को परिसमापन के लिए भेज रहे हैं। दिवालिया कंपनियों से औसतन 40 फीसदी वसूली ही हो रही है।
सर्वोच्च न्यायालय ने वीडियोकॉन समूह का दूरसंचार लाइसेंस 2012 में रद्द कर दिया, जिसके बाद उसकी वित्तीय हालत बिगड़ गई। वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का दूरसंचार कारोबार में किया निवेश और बैंकों से लिया गया कर्ज फंस गया।