देश के छोटे-मझोले शहरों में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी आम जिंदगी में बढ़ती जा रही है। अगर वाहन निर्माताओं, सरकार और सौर ऊर्जा उद्योग के आंकड़ों पर भरोसा करें तो राजस्थान, गुजरात तथा केरल जैसे राज्यों के तमाम शहरों में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) रखने वाले 45 से 50 फीसदी लोग रूफटॉप सोलर बिजली से ही अपने वाहन चार्ज कर रहे हैं।
उद्योग सूत्रों के मुताबिक पूरे देश में रूफटॉप सौर ऊर्जा से केवल 25 फीसदी ईवी चार्ज हो रहे हैं। मगर अंतरिम बजट में रूफटॉप सोलर पैनलों पर जोर दिए जाने से इसकी रफ्तार खूब बढ़ सकती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में कहा है कि 10,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना के तहत 1 करोड़ परिवारों को हर महीने 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलेगी। ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 11 गीगावॉट क्षमता वाले रूफटॉप सोलर पैनल लगे हैं मगर इनमें से केवल 2.7 गीगावॉट क्षमता रिहायशी इलाकों में है।
टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड और टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड (टीपीईएमएल) के प्रबंध निदेशक शैलेश चंद्रा ने कहा, ‘गुजरात और राजस्थान में ईवी काफी तेजी से अपनाए जा रहे हैं। ये ग्राहक कीमत पर बहुत ध्यान देते हैं और बिजली की कीमत और किफायत समझते हैं।’
टीपीईएमएल के प्रबंध निदेशक शैलेश चंद्रा ने कहा, ‘ हमें पता चला है कि इनमें से 45 से 50 फीसदी ग्राहकों के पास रूफटॉप सोलर पैनल पहले ही हैं। देर-सवेर पूरे देश की जिंदगी में रूफटॉप सोलर पैनल शामिल हो जाएंगे। इन दोनों राज्यों ने यह बात पहले ही समझ ली है। केरल में भी सोलर पैनल को तेजी से अपनाया गया है। ईवी चार्जिंग में अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाने की जरूरत है।’
चंद्रा ने कहा, ‘अब ईवी को अक्षय ऊर्जा से चार्ज करने की सोच बढ़ रही है। हमने 1.25 लाख ईवी बेचे हैं, जिन्हें ग्राहक 95 फीसदी मौकों पर घर में ही चार्ज करते हैं। फास्ट चार्जिंग का अधिक इस्तेमाल नहीं किया जाता है। सार्वजनिक चार्जर भी ज्यादा इस्तेमाल नहीं होते। लोग रूपटॉप सोलर पैनल से घर पर ही ईवी चार्ज करते हैं।’
केरल में इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में रूपटॉप सोलर पैनल की स्थापना 15 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़ी है। मरकॉम इंडिया रिसर्च के अनुसार तिमाही के दौरान लगे कुल सोलर पैनलों में 81 फीसदी गुजरात, महाराष्ट्र और केरल में ही लगाए गए। इन राज्यों में 1.70 लाख परिवारों के पास रूफटॉप सोलर पैनल हैं और ईवी भी करीब 1.60 लाख हैं।
केरल के बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव केआर ज्योतिलाल ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य 1 करोड़ परिवारों को रूफटॉप सौलर पैनल देना है। हमारी जरूरत करीब 6,000 मेगावॉट की है और बची हुई बिजली से 3,000 करोड़ रुपये तक की आय हो सकती है। हम ईवी के लिए डीसी चार्जिंग पर भी जोर दे रहे हैं ताकि ईवी का इस्तेमाल बढ़ाया जा सके।’
देश के दूसरे छोटे-मझोले शहरों में भी यही चलन दिख रहा है। टाटा मोटर्स के अनुसार छोटे एवं मझोले शहर बड़े बाजार के तौर पर उभर रहे हैं। नेक्सॉन के लिए शुरू में करीब 40 फीसदी मांग महानगरों से आ रही थी मगर अब कुल मांग में उनकी हिस्सेदारी घटकर 25 फीसदी ही रह गई है। इसी प्रकार टियागो की 20 फीसदी मांग महानगरों से आती है। अब ज्यादातर मांग मझोले और छोटे शहरों से आ रही है।
अहमदाबाद में टाटा पावर की चैनल भागीदार एनर्जीटेक इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक दीप भोजानी ने कहा, ‘सौर परियोजनाओं की लागत घटने से पिछले कुछ समय में रूफटॉप सोलर पैनल का इस्तेमाल काफी बढ़ा है।’
राजस्थान में सरकार 10 किलोवॉट से ऊपर की रिहायशी रूफटॉप परियोजनाओं के लिए 1.17 लाख रुपये प्रति किलोवॉट सब्सिडी दे रही है। इससे पैनल लगाने पर ग्राहक का खर्च करीब 2 से 2.25 लाख रुपये तक घट जाता है।
राजस्थान में रूपटॉप सोलर पैनल लगाने वाली कंपनी एमएस सोलर प्राइवेट लिमिटेड के अशोक शर्मा ने कहा कि सरकार की सब्सिडी योजना के कारण अब तमाम लोग रूपटॉप सोलर पैनल लगवाने आ रहे हैं। रिहायशी क्षेत्रों में 35 फीसदी से अधिक लोग अतिरिक्त क्षमता चाहते हैं ताकि वे अपने ईवी भी चार्ज कर सकें।