रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL), अमेरिका स्थित फर्स्ट सोलर और शिरडी साई ने 15.4 गीगावॉट क्षमता पॉलिसिलीकॉन वेफर सेल्स मॉड्यूल्स (पीडब्यूसीएम) निर्माण के लिए बोली लगाई है। सौर उपकरण निर्माण के लिए उत्पादन केंद्रित रियायत (PLI) की दूसरी खेप के तहत यह बोली लगाई गई है।
दूसरे चरण के लिए PLI दिशा-निर्देशों के तहत, कुल 19,000 करोड़ रुपये में से 12,000 करोड़ रुपये की राशि पीडब्ल्यूसीएम निर्माण (तैयार उत्पाद के लिए कच्चा माल) के लिए आवंटित की गई है। पहले चरण के विपरीत, सौर PLI के इस चरण में तीन योजनाएं – पीडब्ल्यूसीएम और 4,500 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ ‘वेफर सेल्स मॉड्यूल्स’ और 3,500 करोड़ रुपये के साथ ‘सेल्स-मॉड्यूल्स’ शामिल हैं।
RIL और शिरडी साई ने 6-6 गीगावॉट क्षमता के लिए बोलियां सौंपी हैं, जबकि फर्स्ट सोलर ने 3.4 गीगावॉट के लिए बोली लगाई है। भारत में मौजूदा समय में कोई भी कंपनी पॉलिसिलीकॉन का निर्माण नहीं करती है। पॉलिसिलीकॉन ऐसा कच्चा माल है जिसका इस्तेमाल सौर उपकरण निर्माण की संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला में होता है।
फर्स्ट सोलर नैसडैक में सूचीबद्ध अमेरिकी सोलर मॉड्यूल निर्माता है, जो करीब एक दशक से मॉड्यूल आपूर्तिकर्ता के तौर पर भारत में परिचालन कर रही है। यह भारत में इसका पहला निर्माण संयंत्र होगा। पहले चरण से जुड़ी आंध्र प्रदेश की शिरडी साई पावर ट्रांसमिशन निर्माण में लगी हुई है।
दूसरे चरण में 11 बोलीदाता हैं, जिनमें टाटा पावर सोलर, विक्रम सोलर, वारी एनर्जीज, रिन्यू सोलर, एवाडा वेंचर्स, जेएसडब्ल्यू रिन्यूएबल, एम्पिन सोलर और ग्रीन एनर्जी मुख्य रूप से शामिल हैं। पता चला है कि टाटा पावर ने 3जीडब्ल्यू सोलर सेल और मॉड्यूल क्षमता के लिए बोली लगाई है।
बोलियों से दूर रहने वाली प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज है, जो 4जीडब्ल्यू सोलर मॉड्यूल के पहले चरण में बोलियां जीतने वालों में से एक रही थी। समान क्षमता के लिए अन्य विजेता कंपनियां थीं आरआईएल और शिरडी साई।
निविदा प्रक्रिया के पहले चरण में, केंद्र को 4,500 करोड़ रुपये की PLI मंजूरी के मुकाबले 50 जीडब्ल्यू के आवेदन मिले थे। केंद्र सरकार को कोल इंडिया, एलऐंडटी, विक्रम सोलर, मेघा इंजीनियरिंग और कई नई कंपनियों से लगभग 18 आवेदन मिले।
बड़ी संख्या में बोलियां आकर्षित करने के लिए बजट 2022-23 के तहत आवंटन राशि बढ़ाकर 19,500 करोड़ रुपये की गई। बोली प्रक्रिया के दूसरे चरण के लिए मुख्य एजेंसी भी इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी से बदलकर सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) की गई।