देश की सबसे बड़ी रिटेल कंपनियों में से एक रिलायंस रिटेल ने आधिकारिक तौर पर तेजी से बढ़ते क्विक कॉमर्स क्षेत्र में कदम रख लिया है। इससे ज़ोमैटो की Blinkit, Swiggy Instamart और BigBasket जैसी कंपनियों के लिए कंपटीशन और कड़ा हो जाएगा। कंपनी ने अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जिओमार्ट के जरिए पिछले वीकेंड नवी मुंबई और बेंगलुरु के कुछ क्षेत्रों में क्विक कॉमर्स सेवाएं शुरू कीं।
शुरुआत में, रिलायंस अपने 3,000 रिटेल स्टोर्स के नेटवर्क से किराने का सामान बेचना शुरू करेगी। हालांकि, कंपनी की योजना भविष्य में वैल्यू फैशन और छोटे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप और स्पीकर्स जैसी चीजों को भी शामिल करने की है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ये सेवाएं रिलायंस के मौजूदा स्टोर्स के नेटवर्क के माध्यम से पूरी की जाएंगी। इन नेटवर्क में रिलायंस डिजिटल और ट्रेंड्स के आउटलेट्स शामिल हैं।
रिलायंस इस महीने के अंत तक पूरे भारत में अपनी क्विक कॉमर्स सेवाओं का विस्तार करने की योजना बना रहा है। कंपनी का लक्ष्य है कि अधिकतर ऑर्डर्स 10-15 मिनट में और बाकी 30 मिनट के भीतर पहुंचा दिए जाएं। समय पर डिलीवरी के लिए कंपनी अपने लॉजिस्टिक्स आर्म Grab का उपयोग करेगी, जिसे उसने पहले अधिग्रहित किया था।
दूसरे क्विक कॉमर्स ऑपरेटर्स की तरह डार्क स्टोर्स या लोकल वेयरहाउस पर निर्भर रहने के बजाय, रिलायंस अपनी मौजूदा रिटेल इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करेगी। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि इस रणनीति से 30 मिनट के भीतर डिलीवरी में चुनौतियां आ सकती हैं, खासकर उन शहरों में जहां ट्रैफिक जाम की समस्या होती है।
ग्राहकों को लुभाने के लिए रिलायंस ने डिलीवरी शुल्क, प्लेटफॉर्म शुल्क या सर्ज शुल्क नहीं लगाने का फैसला किया है, चाहे ऑर्डर का साइज कुछ भी हो। यह रणनीति Blinkit, Swiggy Instamart और BigBasket जैसे प्रतिस्पर्धियों से बिलकुल अलग है, जो डिलीवरी के लिए अतिरिक्त शुल्क लेते हैं। रिलायंस का फोकस छोटे शहरों और कस्बों पर है, जहां अभी तक क्विक कॉमर्स का अधिक विस्तार नहीं हुआ है।
कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर ज्यादा प्रोडक्ट के प्रकार पेश कर रही है, जिससे वह अपने पूरे इन्वेंटरी को क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जोड़ सके। 10,000 से 12,000 स्टॉक कीपिंग यूनिट्स (SKUs) के साथ, रिलायंस का ऑफर प्रतिस्पर्धी प्लेटफॉर्म्स से काफी बड़ा होगा।
रिलायंस का लक्ष्य अपनी क्विक कॉमर्स सेवा को 1,150 शहरों तक फैलाना है, जिसमें 5,000 पिन कोड शामिल हैं, जहां पहले से ही उनके किराना स्टोर काम कर रहे हैं। छोटे शहरों और कस्बों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, रिलायंस अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर सकता है, क्योंकि अधिकांश कंपनियां अभी भी बड़े शहरों पर केंद्रित हैं।
द इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “रिलायंस ने जिओमार्ट डिलीवरी मॉडल में बड़ा बदलाव किया है। पहले, डिलीवरी में 1-2 दिन लगते थे, जिसमें छोटे ट्रक कई ऑर्डर्स को एक साथ पहुंचाते थे। अब फोकस क्विक कॉमर्स पर है, जहां हर ऑर्डर को बाइक या साइकिल के जरिए व्यक्तिगत रूप से डिलीवर किया जाएगा, और हर ग्रॉसरी स्टोर 3 किलोमीटर के दायरे में सेवा देगा।”
डिलीवरी प्रक्रिया में सुधार
इस साल की शुरुआत में, रिलायंस ने जिओमार्ट की डिलीवरी समय को घटाकर कुछ घंटों या उसी दिन तक सीमित करने का प्रयास किया था, जो उनके हाइपरलोकल डिलीवरी इनिशिएटिव का हिस्सा था। अब इसे और भी बेहतर बनाया गया है ताकि 10-30 मिनट में डिलीवरी की जा सके, जो कि बाजार की एक प्रमुख मांग है।
मिश्रित डिलीवरी मॉडल हो सकता है भविष्य
कंसल्टेंसी फर्म थर्ड आईसाइट के CEO देवांग्शु दत्ता ने द इकोनॉमिक टाइम्स से कहा कि लंबे समय में रिलायंस एक मिश्रित मॉडल अपना सकता है, जिसमें अपने स्टोर्स के पास वाले क्षेत्रों में क्विक कॉमर्स डिलीवरी और दूर के क्षेत्रों में निर्धारित समय पर डिलीवरी की जा सकती है।
दत्ता ने कहा, “रिलायंस स्पष्ट रूप से क्विक कॉमर्स क्षेत्र में बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के मोड में है, और ट्रांजैक्शन शुल्क माफ करना तथा ज्यादा छूट देना इसी रणनीति का हिस्सा है। रिलायंस जैसे गहरे जेब वाले खिलाड़ियों के लिए इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र में प्रमुख बनने के बहुत अवसर हैं। रिटेल में उनके ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वे एक सफल मॉडल मिलने के बाद आक्रामक तरीके से प्रयोग करने के लिए तैयार हैं।”
तेजी से बिकने वाले उपभोक्ता सामान (FMCG) कंपनियों के लिए, क्विक कॉमर्स एक महत्वपूर्ण चैनल बनता जा रहा है, जो कुल ऑनलाइन बिक्री का 30-35 प्रतिशत तक हिस्सा बनाता है, जिससे रिलायंस जैसे बड़े प्लेयर्स के लिए यह एक आकर्षक क्षेत्र बन गया है।