निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी और दूसरे नंबर की दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो और भारती एयरटेल ने 1 जीबी रोजाना वाले शुरुआती स्तर के प्लान बंद कर दिए हैं। अब यह ग्राहकों के लिए उपलब्ध नहीं होंगे और नतीजतन उन्हें महंगा रिचार्ज करना होगा, जिससे टैरिफ बढ़ जाएगा।
उद्योग जगत के जानकारों और वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस कवायद का उद्देश्य टैरिफ प्लान में बढ़ोतरी की ओर इशारा करता है। हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि इस साल शुल्क में 15 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है।
नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘5जी सेवाओं के आने के बाद से ही 1 जीबी वाले प्लान की मांग कम होने लगी थी क्योंकि उपभोक्ता ज्यादा डेटा इस्तेमाल करते हैं और अंततः बड़े डेटा प्लान में अपग्रेड करते हैं।’ मंगलवार को देश की अग्रणी दूरसंचार कंपनी ने अपनी वेबसाइट, माय जियो ऐप्लिकेशन और थर्ड पार्टी रिचार्ज पोर्टल सहित अन्य चैनलों से अपने 28 दिनों की वैधता वाले 249 रुपये के 1 जीबी रोजाना वाले शुरुआती स्तर के प्लान को हटा दिया। हालांकि, यह प्लान जियो स्टोर्स पर उपलब्ध रहेगा मगर नए ग्राहक इसका फायदा नहीं उठा पाएंगे, जिससे उनके लिए शुरुआती स्तर का प्लान बढ़कर 299 रुपये प्रति माह हो जाएगा और उन्हें हर दिन 1.5 जीबी डेटा मिलेगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि भारती एयरटेल भी ऐसा ही करने वाली है। उसका 1.5 जीबी वाला प्लान बुधवार से 279 रुपये का हो जाएगा, जो पहले 249 रुपये का था और उसमें कम डेटा मिलता था।
उद्योग के जानकारों ने कहा कि जब बाजार की दो दिग्गज कंपनियां 1 जीबी वाले प्लान खत्म कर रही है, तो वोडाफोन आइडिया जैसी तीसरी कंपनी भी ऐसा करेगी। उन्होंने बताया कि कर्ज के तले दबी कंपनी अपना एआरपीयू (औसत राजस्व प्रति उपयोगकर्ता) में सुधार करना चाहेगी, जिससे उसका वित्तीय प्रदर्शन भी सुधरेगा।
हालांकि, इस बारे में रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को भेजे गए ईमेल का खबर प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं आया। पीडब्ल्यूसी इंडिया में दूरसंचार प्रैक्टिस के प्रमुख विनीश बावा ने कहा, ‘शुरुआती स्तर के प्लान को बंद करना और ज्यादा डेटा पैक वाले प्लान पर पर स्विच करना उपभोक्ता खर्च की सीमा बढ़ाने की एक सोची-समझी रणनीति को दर्शाता है। यह कवायद ग्राहकों को प्रति उपयोगकर्ता औसत राजस्व (एआरपीयू) बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है, जबकि ज्यादा डेटा वाले पैक भी आकर्षित बने रहते हैं।’
रेटिंग एजेंसी इक्रा के विश्लेषक अंकित जैन ने कहा, ‘टैरिफ प्लान को फिर से समायोजित करना एआरपीयू में सुधार करने का एक तरीका है, लेकिन इसका बड़ा असर तब होगा जब मुख्य टैरिफ बढ़ाए जाएंगे। ज्यादा टैरिफ पर ज्यादा डेटा वाले प्लान दूरसंचार कंपनियों का मुनाफा बढ़ाएंगे।’ उद्योग के जानकारों का कहना है कि टैरिफ ढांचे में बदलाव से टैरिफ बढ़ने के अगले दौर के लिए मंच तैयार होने की उम्मीद है, जिसमें हेडलाइन टैरिफ में 10 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है, लेकिन वैधता अवधि या डेटा उपलब्धता में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।