रियल एस्टेट उद्योग को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रीपो दर 25 आधार अंक घटाकर 6.25 प्रतिशत करने से आवासीय मांग मजबूत होगी। इसका असर खासतौर पर मिड-हाउसिंग सेगमेंट यानी मध्यम-आवासीय खंड में होगा। रियल एस्टेट कंपनियां केंद्रीय बजट में संशोधित आयकर स्लैब और 15,000 करोड़ रुपये के ‘स्वामी 2’ फंड की घोषणा के साथ-साथ ब्याज दरों में कटौती से भी उम्मीद लगाए हुए हैं। उद्योग के दिग्गजों का मानना है कि दर कटौती से खरीदारों के लिए उधारी लागत घटेगी। बढ़ती मांग के साथ डेवलपरों के लिए वित्त की लागत में कमी से नई परियोजनाओं के निर्माण में तेजी आएगी जिससे सभी हितधारकों को फायदा होगा।
शापूरजी पलोंजी रियल एस्टेट में समूह प्रवर्तक कार्यालय के निदेशक, प्रबंध निदेशक वेंकटेश गोपालकृष्णन ने कहा, ‘रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए यह घटनाक्रम बेहद अच्छा है, खासकर किफायती और मिड-सेगमेंट हाउसिंग के लिए, जिसमें मांग तेजी से बढ़ रही है। कम उधारी लागत से आवास ऋण सस्ता होगा जिससे कई खरीदारों का घर खरीदने का सपना साकार हो सकेगा। इस कदम से रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश फिर से बढ़ने की संभावना है, जिससे इसकी विकास रफ्तार को बनाए रखने में मदद मिलेगी।’
नैशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल के चेयरमैन और मुंबई के हीरानंदानी समूह के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक निरंजन हीरानंदानी ने कहा, ‘मध्य वर्ग के लिए वित्त वर्ष 2026 के बजट में घोषित कर लाभ के साथ नीति में यह परिवर्तन बिक्री को रफ्तार देगा। कम ब्याज दरें घर खरीदारों को बेहतर जीवनशैली के साथ अपना घर खरीदने के लिए प्रेरित करेंगी।’
एनसीआर की सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) के संस्थापक और चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा, ‘लंबे समय के बाद दर कटौती रियल एस्टेट के लिए महत्त्वपूर्ण कदम है। ऐतिहासिक तौर पर ब्याज दरें घटने से आवासीय मांग में सुधार को बढ़ावा मिला है, जिससे घर खरीदारों और डेवलपरों दोनों को फायदा हुआ है। ऋण तक पहुंच में सुधार आने से परियोजना क्रियान्वयन के लिए पूंजी हासिल करने में डेवलपरों को मदद मिलेगी और परियोजनाएं समय पर पूरी हो सकेंगी।’
इससे पहले आरबीआई ने मार्च 2020 में दर को 75 आधार अंक तक घटाकर 4.40 प्रतिशत किया था। अपनी दिसंबर 2024 की मौद्रिक नीतिगत समीक्षा बैठक में आरबीआई ने तरलता बढ़ाने के प्रयास में नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को 50 आधार अंक घटाकर 4 फीसदी कर दिया। पीएनबी हाउसिंग फाइनैंस के प्रबंध निदेशक गिरीश कौसगी ने कहा, ‘कम ब्याज दरों से प्रत्यक्ष रूप से किफायत को बढ़ावा मिलता है जिससे गृहस्वामियों और पहली बार घर खरीदने वालों के लिए आवास ऋण अधिक सुलभ हो जाता है।’
एनारॉक रिसर्च के अनुसार 2024 में शीर्ष सात भारतीय शहरों में आवास की कीमतों में औसतन 13 से 30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। औसत कीमतें लगभग 8,590 रुपये प्रति वर्ग फुट थीं जो सालाना 21 प्रतिशत की वृद्धि है। एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी का मानना है कि अगर मुद्रास्फीति इसी प्रकार ऊंचे स्तर पर बनी रही तो संपत्ति की कीमतों में वृद्धि के कारण ब्याज दरों में कटौती कम प्रभावी हो सकती है।