रियल एस्टेट श्रृंखला की अंतिम कड़ी में बताया जा रहा है कि कैसे बेंगलूरु के येलहंका, देवनहल्ली, ओआरआर, एसबीडी और व्हाइटफील्ड शहर के आवासीय और दफ्तर परिदृश्य को नया रूप दे रहे हैं। उत्तरी बेंगलूरु का हवाई अड्डा गलियारा अब शहर की अगली बड़ी रियल एस्टेट गाथा के केंद्र में है।रियल एस्टेट श्रृंखला की अंतिम कड़ी में बताया जा रहा है कि कैसे बेंगलूरु के येलहंका, देवनहल्ली, ओआरआर, एसबीडी और व्हाइटफील्ड शहर के आवासीय और दफ्तर परिदृश्य को नया रूप दे रहे हैं। उत्तरी बेंगलूरु का हवाई अड्डा गलियारा अब शहर की अगली बड़ी रियल एस्टेट गाथा के केंद्र में है।
बेंगलूरु के सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट से कुछ 20 किलोमीटर दूर येलहंका शहर से होकर गुजरते हुए फ्लाइओर के नेटवर्क से जुड़ा हुआ है। किसी जमाने में एक शांत छावनी उपनगर के तौर पर प्रसिद्ध यह इलाका अब शहरी विकास की लहर पर सवार है, जिसने बेंगलूरु के उभरते सूक्ष्म बाजारों में से एक के तौर पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है। इस कारण डेवलपर्स भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
पूर्वांकरा पूर्वा एरोसिटी बना रही है। 22.5 एकड़ में फैली इस परियोजना में दुकान-मकान दोनों होंगे। यह 300 लक्जरी हाईराइज अपार्टमेंट और नियोजित कार्यालय स्थल वाली एक बड़ी एकीकृत टाउनशिप का हिस्सा है।
येलहंका राजमार्ग से 8 किलोमीटर दूर देवनहल्ली केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से सटा हुआ इलाका है। विमानों की आवाज से यह सुबह और शाम होती है। यह शोर इस इलाके की रणनीतिक स्थिति की हमेशा याद दिलाता रहता है। कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पार्क, लॉजिस्टिक्स केंद्र और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने के वास्ते यहां एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) बना रहा है।
येलहंका में उपयोगकर्ताओं की मांग लगातार बरकरार है, जबकि हवाई अड्डे और विशेष आर्थिक क्षेत्र से घिरा हुआ देवनहल्ली भी तेजी से निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। हवाई अड्डे के पास 1,752 एकड़ में फैले केआईएडीबी एरोस्पेस एसईजेड में एसएपी, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई), महिंद्रा इलेक्ट्रिक, रिलायंस और विप्रो जैसी बड़ी कंपनियों का दफ्तर भी बनने वाला है। स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस परियोजना से 7 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी और इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में भी आमूल-चूल परिवर्तन आएगा।
कर्नाटक होम बायर्स फोरम के कन्वेनर धनंजय पद्मनाभचर ने कहा, ‘अगले पांच साल में देवनहल्ली महज एक विशेष आर्थिक क्षेत्र नहीं होगा, बल्कि यह खुद में एक आर्थिक इंजन होगा।’
इस क्षेत्र को 5,800 एकड़ में फैले नॉलेज, वेलबीइंग और इनोवेशन (क्विन) सिटी परियोजना और 280.8 किलोमीटर में फैला सैटेलाइट टाउन रिंग रोड (एसटीआरआर) भी इसे काफी आकर्षक बना रहा है। यह एक नया एक्सप्रेसवे है, जो होसकोटे और देवनहल्ली से लेकर रामनगर और बिदादी तक 12 सैटेलाइट शहरों को जोड़ेगा, जिससे शहर की बदसूरत बनाने वाली भीड़ कम होगी और रियल एस्टेट की संभावनाओं को भी पंख लगेगा। इसकी लंबाई में 243 किलोमीटर सड़क कर्नाटक और 45 किलोमीटर सड़क तमिलनाडु से होकर गुजरेगी।
ब्रिगेड ग्रुप की संयुक्त प्रबंध निदेशक निरूपा शंकर ने कहा, ‘हवाई अड्डे की मदद से यह सूक्ष्म बाजार अहले पांच वर्षों के भीतर एक पूरी तरह से विकसित विशेष आर्थिक क्षेत्र में तब्दील हो सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘क्विन सिटी को अगले दशक में वैश्विक दक्षता केंद्र (जीसीसी) के केंद्र के रूप में स्थापित किया जा रहा है। हम इसी नजरिये के साथ 75 एकड़ में एक साथ आवास और कार्यालय वाली परियोजना ला रहे हैं।’
सेंट्रल देवनहल्ली में ब्रिगेड ऑर्कार्ड्स 135 एकड़ में फैला है। यह एक ऐसा टाउनशिप है जिसमें विला, अपार्टमेंट, प्लॉटेड डेवलपमेंट, रिसॉर्ट, मंदिर, अस्पताल, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और वरिष्ठ नागरिकों के लिए आवास सुविधाएं शामिल हैं। 2016 के बाद से इसने 3,500 मकान बनाए और अभी 1,000 मकान और बनाने की योजना है। अपार्टमेंट के लिए कीमत करीब 1.65 करोड़ और विला के लिए करीब 5.5 करोड़ के बीच है।
अपनी तमाम खामियों के बावजूद येलहंका और देवनहल्ली में कई ऐसी खूबियां हैं, जिन्होंने शहर के नक्शे पर उत्तरी बेंगलूरु की जगह पक्की कर दी है। इन दोनों इलाकों में शबर के मुकाबले कम जाम लगता है। कम भीड़भाड़ के कारण यहां की हवा भी साफ है और हवाई अड्डे के गलियारे में कई फ्लाईओवर भी हैं।
देवनहल्ली में अब भी पूर्वी और दक्षिणी बेंगलूरु के मुकाबले सस्ती जमीन मिल जाती है, जबकि येलहंका में परिपक्व सामाजिक बुनियादी ढांचा मौजूद है। येलहंका में अभी से स्कूल, अस्पताल, मॉल और उच्च स्तरीय आवास मौजूद हैं। औद्योगिक परियोजनाओं और नई टाउनशिप के कारण देवनहल्ली भी आगे बढ़ रहा है। सबसे बड़ी बाधा यही है कि फिलहाल यहां मेट्रो लाइन नहीं आने वाली है, जिससे अल्पावधि में कीमतों में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है।
दफ्तर के लिहाज से देखें तो जीसीसी और नवाचार केंद्रों के लिए बेंगलूरु आकर्षण का केंद्र बन गया है। कोलियर्स की रिपोर्ट बताती है कि पट्टे पर जीसीसी लेने की दर 2021 में 46 लाख वर्ग फुट थी और यह 2025 में बढ़कर 1.06 करोड़ वर्गफुट हो सकती है। इससे स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां बेंगलूरु को एक दीर्घकालिक आधार के तौर पर देख रही हैं।
आउटर रिंग रोड, व्हाइटफील्ड, सेकंडरी बिजनेस डिस्ट्रिक्ट और उत्तरी बेंगलूरु शहर के चार सबसे व्यस्त सूक्ष्म बाजार हैं। यहां 2020 से भारत के ग्रेड ए ऑफिस तेजी से बढ़े हैं, जो करीब दो तिहाई मांग और तीन चौथाई आपूर्ति बनाते हैं। कोरमंगला, सीवी रमन नगर, इनर रिंग रोड, इंदिरानगर, ओल्ड एयरपोर्ट रोड, ओल्ड मद्रास रोड और राजाजीनगर जैसे पारंपरिक व्यावसायिक क्षेत्र अब बेल्लारी रोड, हेब्बल, हेनूर, थानिसांद्रा रोड, येलहंका और यशवंतपुर जैसे उभरते सूक्ष्म बाजारों के साथ स्थान साझा करते हैं, जो हवाई अड्डे और नए बुनियादी ढांचे से प्रभावित हैं।
परिदृश्य अब चमचमाते टावरों और विशाल प्रौद्योगिकी परिसरों से परिभाषित होता है। फिलिप्स इनोवेशन कैंपस, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, कैपजेमिनी और ओरेकल की कांच और स्टील से बनी आसमान छूती इमारतों ने नया अध्याय लिखा है। प्रेस्टीज ऑफिस वेंचर्स के मुख्य कार्य अधिकारी जुग्गी मारवाह ने कहा, ‘मेट्रो के विस्तार और मान्यता जैसे एसईजेड आईटी पार्कों के साथ उत्तर बेंगलूरु प्रतिभा का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है। फिलहाल, प्रेस्टीज अपनी टेक क्लाउड परियोजना के लिए एक बड़े जीसीसी सौदे पर बातचीत कर रही है। इसका किराया हर महीने औसतन 55 से 60 रुपये प्रति वर्ग फुट है।
पट्टे के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। कर्नाटक के बारे में सीबीआरई और सीआईआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक बेंगलूरु में ग्रेड ए ऑफिस स्टॉक 34.0 करोड़ वर्ग फुट तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें उत्तरी बेंगलूरु की हिस्सेदारी बढ़ती रहेगी। सिर्फ इस साल 2025 की पहली छमाही में शहर में 1.18 करोड़ वर्ग फुट सकल लीजिंग दर्ज की गई, जो देश में सबसे अधिक है।
ब्रिगेड कमर्शल के मुख्य परिचालन अधिकारी ओथायोथ पल्लियिल नंदकुमार ने बताया कि 2013 तक बेंगलुरु का ऑफिस स्टॉक दोगुना होकर 10 करोड़ वर्ग फुट हो गया था, जिसमें कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के कारण उत्तरी क्षेत्र का योगदान 10 से 15 फीसदी रहा। इससे क्षेत्र में विकास में तेजी आई और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर जैसी प्रमुख परियोजनाओं ने इस विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा, ‘हवाई अड्डे तक पहुंच, हेब्बल फ्लाईओवर, मेट्रो संपर्क और नए जमाने की सड़कों ने आने-जाने के समय को कम किया है और इस क्षेत्र को एक स्वाभाविक लॉजिस्टिक्स और आईटी केंद्र बना दिया है।’
लचीले कार्यस्थल और विमानन, लाइफ साइंसेज, इंजीनियरिंग और विनिर्माण जैसे क्षेत्र, बेंगलूरु के कारोबारी क्षेत्र के रूप में उत्तरी बेंगलूरु की भूमिका को और मजबूत कर रहे हैं। केआईएडीबी एरोस्पेस पार्क और बेंगलूरु-मुंबई तथा चेन्नई-बेंगलूरु जैसे औद्योगिक गलियारों की निकटता के कारण इंजीनियरिंग और विनिर्माण उद्योग फल-फूल रहे हैं।’