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रोजाना 100 से भी कम जांच कर रही हैं निजी प्रयोगशालाएं

Last Updated- December 15, 2022 | 5:34 AM IST

बीएस बातचीत
कई राज्य सरकारें कोविड-19 की जांच के लिए रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) जांच की कीमत तय कर रही हैं जो प्रति जांच की 4,500 रुपये की मूल प्रस्तावित कीमत से कम हो वहीं मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर जैसी निजी प्रयोगशाला शृंखला का मानना है कि जांच की कीमतें कम करने से कोविड और गैर-कोविड जांच पर एक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। एक ई-मेल साक्षात्कार में मेट्रोपॉलिस हेल्थकेयर की प्रवर्तक और प्रबंध निदेशक अमीरा शाह ने सोहिनी दास को बताया कि कैसे जांच का दायरा बढ़ाया जाना ही वक्त की मांग है।
जांच की कीमतें सीमित करने का रुझान दिख रहा है। आप इसे कैसे देखते हैं?
फिलहाल कोविड-19 की पुष्टि के लिए ट्रूनेट, जेनएक्सपर्ट (सीबीएनएएटी) और आरटी पीसीआर जांच जैसी तीन स्वीकृत तकनीक हैं। ट्रूनेट और जेनएक्सपर्ट दोनों की ही लागत ज्यादा है और प्रति जांच की कीमत महंगी है। कुल मिलाकर, 195 निजी प्रयोगशालाओं को आरटी पीसीआर परीक्षण के लिए मंजूरी मिली है। लेकिन इनमें से कई प्रयोगशाला एक दिन में 100 से भी कम जांच कर रही हैं क्योंकि जांच की लागत ज्यादा है। हालांकि तादाद बढ़ाकर आरटी पीसीआर टेस्ट की एनालिटिकल लागत को कम किया जा सकता है लेकिन टेस्ट का भार बढऩे पर सर्विसिंग की लागत ज्यादा बनी रहेगी। नमूना संग्रह के लिए कुशल लोगों का होना, जांच के लिए कुशल तकनीशियनों की जरूरत होगी क्योंकि इस जांच को मैनुअल तरीके से ही किया जा सकता है और इसके अलावा अनुपालन और डॉक्यूमेंटेशन के लिए लोगों की एक बड़ी टीम तैयार करने से जांच की लागत और बढ़ती है।  723 सरकारी प्रयोगशालाएं हैं जिन्हें कोविड-19 की जांच के लिए मंजूरी मिली है और जो जांच की लागत का वहन नहीं कर सकते हैं उन्हें सरकार का समर्थन मिल रहा है। कीमतों को बहुत निचले स्तर पर सीमित करने से उन निजी प्रयोगशालाएं को नुकसान उठाना पड़ रहा है जिन्होंने इस महामारी में सबसे आगे रहकर काम किया है। इसी वजह से यह देश की सभी प्रयोगशालाओं के लिए अव्यावहारिक हो गया है। इससे न केवल कोविड जांच की क्षमता प्रभावित हुई है बल्कि घाटे की वजह से गैर-कोविड जांच पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

ऐसे जांच की मौजूदा मार्जिन क्या है?
आरटी पीसीआर टेस्ट कराने के मामले में केवल बड़ी निजी प्रयोगशाला चेन की रफ्तार ही ज्यादा रही है। हालांकि, हमें जांच किट से लेकर बायो सेफ्टी कैबिनेट और जांच के लिए जरूरी आरटी पीसीआर मशीनों तक के बुनियादी ढांचे में निवेश की जरूरत है। जांच की मैनुअल प्रक्रिया को देखते हुए कुशल लोगो, नमूना संग्रह के लिए कुशल और प्रशिक्षित फेल्बोटॉमिस्ट, नमूना हस्तांतरण के लिए कुछ सौ लॉजिस्टिक्स सहायक के साथ-साथ अनुपालन तथा डॉक्यूमेंटेशन की अतिरिक्त लागत होती है।

निजी क्षेत्र द्वारा रोजाना कितनी जांच की जा रही है और इसमें तेजी क्यों नहीं आई?
अन्य विकासशील देशों और उभरते बाजारों के मुकाबले हमने हमेशा देखा है कि भारत में सरकार निजी कंपनियों को सुविधा देने या सहयोगात्मक तरीके से काम करने के बजाय खुद ही स्वास्थ्य सेवाएं देने को लेकर उत्सुक रहती हैं। इन सालों में सार्वजनिक और निजी खिलाडिय़ों के बीच विश्वास की कमी का माहौल बना है जिससे महामारी का मुकाबला करने की दिशा में किए जा रहे प्रयास बाधित हो रहे हैं। मौजूदा महामारी में भी हमने देखा है कि सरकार का इरादा निजी कंपनियों के साथ सहयोग करने के बजाय स्वतंत्र रूप से सेवाएं देने का रहा है। हमने यह भी देखा है कि निजी प्रयोगशालाओं की तुलना में सरकारी प्रयोगशालाओं के लिए नियम अलग-अलग हैं। जांच की मैनुअल प्रक्रिया और लैब आदि से जुड़े अनुपालन एवं डॉक्यूमेंटेशन की बढ़ती लागत की वजह से जिन निजी कंपनियों को जांच की अनुमति भी मिली है वे रोजाना 100 से कम ही जांच कर रहे हैं क्योंकि उनके पास इसका दायरा बढ़ाने के लिए न तो संसाधन है और न हीं क्षमता है।

कोविड-19 के कारण किस तरह कारोबार को नुकसान हो रहा है?
विश्व स्तर पर स्वास्थ्य उद्योग को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और मार्च के अंतिम दो हफ्तों में कारोबार 90 फीसदी कम रहा जबकि अप्रैल में कारोबार 100 फीसदी तक कम हो गया। मई में कारोबार में 50 फीसदी तक सुधार हुआ और जून थोड़ा बेहतर रहा है। हम यह उम्मीद करते हैं कि पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही ठीक होगी। जब अगली 2-3 तिमाहियों में स्थिति सामान्य होगी तब उद्योग में मजबूती भी नजर आएगी।
 
आरटी पीसीआर के अलावा, कोविड 19 से जुड़ी कोई और जांच की योजना भारत के लिए है क्या?
हम सरकार से ऐंटीबॉडी परीक्षण की अनुमति देने का आग्रह कर रहे हैं क्योंकि इससे कंपनियां बड़े पैमाने पर अपने दायरे का विस्तार करेंगी जिससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। देश के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन में ढील दिए जाने की वजह से कई दफ्तर और कारोबार छोटे स्तर पर काम शुरू कर चुके हैं हालांकि अब भी डर और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है क्योंकि किसी को भी संक्रमण के स्तर का कोई ज्ञान नहीं है। बड़े पैमाने पर ऐंटीबॉडी जांच से से हालात में मदद मिल सकती है।

सरकार और आईसीएमआर जैसे एजेंसियों से आपकी क्या उम्मीदें हैं?
सरकार से हमारी एकमात्र गुजारिश है कि वे निजी स्वास्थ्यसेवा प्रदाताओं को इस लड़ाई में समान साझेदार के रूप में देखें और प्रयोगशालाओं को पूर्वानुमान के आंकड़े देकर उन्हें अपनी सर्वोत्तम क्षमता दिखाने का मौका दें। नोटिस के साथ प्रयोगशालाओं और अस्पतालों पर दबाव डालना सरकार, स्वास्थ्य सेवा संस्थानों के साथ-साथ जनता के लिए खोने वाली स्थिति होगी। प्रयोगशालाओं को आईसीएमआर द्वारा मंजूरी दी जा रही है वहीं  प्रयोगशालाओं के कार्य को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ दी गई है और यह एक बड़ी बाधा बन रही है क्योंकि दिशानिर्देश बदलते रह रहे हैं । आईसीएमआर एक ही दिशानिर्देशों के साथ सभी निजी और सार्वजनिक प्रयोगशालाओं को नियंत्रित कर रहा है ऐसे में संभव है कि अगले कुछ हफ्तों में बड़े पैमाने पर जांच का दायरा बढ़ जाए जिससे सबकी सहूलियतें बढ़ जाएं।

First Published - June 30, 2020 | 11:45 PM IST

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