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फोनपे कर रही आईपीओ की तैयारी

Last Updated- December 15, 2022 | 3:04 AM IST

वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली डिजिटल पेमेंट्स फर्म फोनपे ने साल 2023 में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है और सूत्रों का कहना है कि कंपनी की नजर 7 से 10 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर है। हाल में वित्तीय सेवा में उतरने की बेंगलूरु की कंपनी की कवायद फर्म के लाभकारी बनने और उसके आईपीओ की महत्वाकांक्षा में अहम भूमिका निभाने जा रही है।
फोनपे के आईपीओ की योजना की जानकारी रखने वाले सूत्र ने कहा, वॉलमार्ट के नेतृत्व ने फोनपे और फ्लिपकार्ट को मुनाफे का रास्ता तैयार करने को कहा है और फोनपे ने साल 2022 तक लाभ में आने का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने कहा, फोनपे के सभी कर्मचारियों ने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए काम शुरू कर दिया है। कंपनी लगातार साझेदारी कर रही है और अपने प्लेफॉर्म से जुड़े किराना व अन्य कारोबारियों को वैल्यू ऐडेड सेवाएं मुहैया करा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के जीरो एमडीआर (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) के बाद फोनपे ने वित्तीय सेवा कारोबार में तेजी से विशाखित किया क्योंकि सरकार के इस कदम से पेमेंट्स उद्योग को झटका लगा है।
सूत्रों के मुताबिक, फोनपे की योजना एक अलग इकाई के तौर पर आईपीओ लाने की है और यह काम वह अमेरिका या भारत में कर सकती है, जो बाजार की स्थितियों पर निर्भर करेगा। वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली एक अन्य कंपनी फ्लिपकार्ट अमेरिका में साल 2022 में आईपीओ लाने की योजना बना रही है। यह जानकारी सूत्रों ने दी। अमेरिकी निवेश बैंक मॉर्गन स्टैनली की साल 2019 की रिपोर्ट में फोनपे का मूल्यांकन 7 अरब डॉलर बताया गया था।
समीर निगम की अगुआई वाली फोनपे ने सुपर ऐप बनने के लिए पी2पी मनी ट्रांसफर से शुरुआत की थी। अब वह वित्तीय सेवाओं में गहरा पैठ बना रही है, जिसका आकार अगले दो साल में 340 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है। वह एमेजॉन पे और गूगल की मोबाइल पेमेंट सेवा गूगल पे से प्रतिस्पर्धा करती है।
पिछले चार महीने में कंपनी ने बीमा व वेल्थ मैनेजमेंट में 6 नई योजनाएं जोड़ी है। फर्म ने कहा कि वह भारत में तेजी से बढऩे वाली इंश्योर-टेक डिस्ट्रिब्यूटर बन गई है और म्युचुअल फंडों ने 15,000 से ज्यादा इलाकोंं व 5,000 से ज्यादा शहरों से निवेश देखा है।
फोनपे के संस्थापक व सीईओ समीर निगम ने कहा, हमने साल 2016 में जब फोनपे ऐप उतारा था, तब हमने यूपीआई, क्रेडिट व डेविट कार्ड और वॉलेट्स का उपयोग करने वालों के सामने विकल्प के तौर पर देश का पहला पेमेंट्स प्लेटफॉर्म बनाया था। उसके बाद हमने साल 2018 में फोनपे स्विच उतारा, जिससे मर्चेंट पार्टनर्स को अपने ऐप के लिए एक प्लेटफॉर्म मिल गया, ताकि वह नए ग्राहक बनाएं और अपना कारोबार आगे बढ़ाएं। अब हम देश का सबसे बड़ा वित्तीय सेवा प्लेटफॉर्म बना रहे हैं। वितरण में समस्या, ग्राहकों में शिक्षा व जागरूकता के अभाव के कारण वित्तीय सेवा क्षेत्र भारत में बहुत ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाया है, यानी एक श्रेणी के तौर पर इसका विस्तार कम हुआ है। 23 करोड़ से ज्यादा पंजीकृत यूजर्स के साथ हम इन समस्याओं को सुलझाने में बेहतर स्थिति में हैं और देश भर के ग्राहकों को सही कीमत पर सही उत्पाद उपलब्ध करा रहे हैं।
पिछले कई महीनों से फोनपे बीमा, म्युचुअल फंड और गोल्ड इंडस्ट्री में उद्योग के दिग्गजों के साथ साझेदारी कर रही है। निगम ने कहा, जनवरी 2020 से हम काफी तेजी से इन सभी
श्रेणियों में नई वित्तीय सेवा योजनाएं पेश कर रहे हैं और हम इसमें आगामी महीनों में नवेन्मेष आदि जारी रखेंगे।
अप्रैल में फोनपे ने कोरोनावायरस बीमा पॉलिसी कोरोना केयर पेश करने की घोषणा की थी। इसके लिए उसने बजाज अलियांज जनरल इंश्योरेंस के साथ साझेदारी की। लॉकडाउन के बाद देसी यात्रा के धीरे-धीरे खुलने के साथ कंपनी ने जून में देसी पर्यटन बीमा की शुरुआत की।

एफपीआई निवेश 41,330 करोड़ रुपये
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारत जैसे उभरते बाजारों को लेकर रुख सकारात्मक बना हुआ है। उन्होंने भारतीय बाजार में अगस्त महीने में अबतक शुद्ध रूप से 41,330 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वैश्विक बाजारों में अतिरिक्त नकदी के साथ भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश बढ़ रहा है।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने तीन अगस्त से 21 अगस्त के बीच शेयर बाजारों में 40,262 करोड़ रुपये और बांड बाजार में 1,068 करोड़ रुपये डाले। उन्होंने शुद्ध रूप से जुलाई में 3,301 करोड़ रुपये और जून में 24,053 करोड़ रुपये का निवेश किया था। मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक (शोध प्रबंधक) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि वैश्विक बाजारों में अतिरिक्त नकदी उपलब्ध है। इसका कारण कई केंद्रीय बैंक कोरोना वायरस महामारी से निपटने और संकट में घिरी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आक्रामक तरीके से प्रोत्साहन उपाय कर रहे हैं। भाषा

First Published - August 24, 2020 | 12:13 AM IST

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