अमेरिका से कच्चे तेल की खरीद बढ़ाने की भारत की महत्त्वाकांक्षा पूरी तरह से अर्थशास्त्र पर निर्भर है। अर्थशास्त्रियों और उद्योग के अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि भारत के रिफाइनरों को अमेरिका से तेल मंगाने पर ज्यादा माल ढुलाई देनी पड़ती है। ऐसे में तेल खरीद पूरी तरह से व्यापार से जुड़ा मामला है।
भारत के वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने 15 अक्टूबर को कहा था कि देश के पास मौजूदा 12 से 13 अरब डॉलर के ऊर्जा व्यापार के आगे भी अमेरिका से 12 से 13 अरब डॉलर की ऊर्जा खरीद की गुंजाइश है।
भारत की शीर्ष सरकारी रिफाइनरियों में से एक ने कहा कि कीमतें अनुकूल होने पर वह अमेरिका से कच्चे तेल के आयात को 10 से 15 प्रतिशत तक और बढ़ा सकती है। भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निदेशक, वित्त वेत्सा रामकृष्ण गुप्ता ने कहा, ‘बीपीसीएल इस समय अपने कुल आयात का 10 से 15 प्रतिशत कच्चा तेल अमेरिका से मंगाती है। हम आयात में 10 से 15 प्रतिशत के बीच बदलाव कर सकते हैं। अमेरिका से आयात बढ़ाना डब्ल्यूटीआई (वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट) कीमतों पर निर्भर होगा। यह वाणिज्यिक फैसला है।’
भारतीय तेलशोधकों को अमेरिका से कच्चा तेल खरीदने में अधिक माल ढुलाई देनी पड़ती है, क्योंकि शिपमेंट को देश के तटों तक पहुंचने में 45 से 50 दिन लगते हैं। वहीं पश्चिम एशिया से तेल मंगाने में औसतन 7 से 8 दिन और रूस से 30 से 45 दिन लगते हैं।
इस बीच भारतीय रिफाइनरियों ने तकनीकी बदलाव कर अमेरिका से कम सल्फर वाले कच्चे तेल की तुलना में अधिक सल्फर वाले कच्चे तेल शोधन करने की क्षमता बनाई है।
अमेरिका से कच्चे तेल के आयात को बढ़ाने में सीमित लाभ हैं। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) सस्ता होने के कारण अमेरिका के साथ ऊर्जा व्यापार में वृद्धि की संभावना है।
केप्लर में रिफाइनिंग ऐंड मॉडलिंग के प्रमुख अनुसंधान विश्लेषक सुमित रिटोलिया ने कहा, ‘अगर भारत, अमेरिका से ऊर्जा खरीद बढ़ाने का फैसला करता है, तो एलएनजी या एलपीजी (तरलीकृत पेट्रोलियम गैस) पसंदीदा विकल्प होगा। इसका आयात कच्चे तेल की तुलना में लाभदायक है। अमेरिकी कच्चे तेल का आयात पहले से ही बढ़ रहा है, वहीं रिफाइनरियों की संरचना के हिसाब से इसे बढ़ाने की क्षमता 400 से 500 हजार बैरल प्रति दिन (केबीडी) तक सीमित है।’
अमेरिका से ऊर्जा आपूर्ति बढ़ाने की देश की रणनीति भू-राजनीतिक झटकों से खुद को बचाने के लिए स्रोतों में विविधता लाने पर भी निर्भर करती है। भारत वर्तमान में 40 देशों से कच्चे तेल का आयात करता है, जबकि 2007 में 27 देशों से करता था। इक्रा में वाइस प्रेसीडेंट प्रशांत वशिष्ठ ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका से कच्चे तेल की आपूर्ति भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का सिर्फ 4 प्रतिशत थी। इसे बढ़ाया जा सकता है क्योंकि भारत अपने कच्चे तेल के बास्केट में विविधता ला रहा है। इससे अमेरिका के साथ भारत का व्यापार घाटा भी कम हो सकेगा।’
वशिष्ठ ने कहा कि कच्चे तेल के अलावा कई कंपनियां अमेरिका से एलएनजी आयात की संभावना भी तलाश रही हैं, क्योंकि हेनरी हब आधारित एलएनजी बाजार के अन्य स्रोतों की तुलना में सस्ता है।