भारत का कच्चे तेल का आयात का खर्च इस वित्त वर्ष (2025-26) की पहली छमाही में सालाना आधार पर 14.7 प्रतिशत गिरकर 60.7 अरब डॉलर हो गया। भारत के आयात बिल में गिरावट अंतरराष्ट्रीय दरों में कमी होने के कारण आई। पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल इसी अवधि में देश का कच्चे तेल का आयात बिल 71.2 अरब डॉलर था।
तेल आयात के बिल में गिरावट इस साल मार्केट में आपूर्ति अधिक होने के कारण हुई। पेट्रोलियम निर्यातक देशों एवं सहयोगी देशों (ओपेक+) आपूर्ति बढ़ा रहे हैं। भारत की कच्चे तेल की बॉस्केट का सितंबर में औसत मूल्य 69.61 बैरल प्रति डॉ़लर था जबकि यह बीते साल 73.69 बैरल प्रति डॉलर था। भारत का तेल बिल अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान गिरावट आई जबकि आयात की मात्रा यथावत रही। देश में कच्चे तेल का आयात सितंबर 2025 को समाप्त छह महीनों में मामूली रूप से बढ़कर 12.12 करोड़ टन हो गया जबकि बीते साल की इस अवधि में 12.07 करो़ड़ टन था।
भारत ने अप्रैल-सितंबर के दौरान घरेलू आवश्यकताओं के 88.4 प्रतिशत कच्चे तेल के आयात पर निर्भर था। भारत की तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) आयात का बिल भी चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सालाना आधार पर 10.5 प्रतिशत गिरकर 6.8 अरब डॉलर हो गया। कच्चे तेल के विपरीत गैस बिल में गिरावट मुख्य रूप से घरेलू मांग में कमी के कारण हुआ था। इस अवधि में प्राकृतिक गैस की खपत गिरकर 3,426.5 करोड़ स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर हुई।
समुद्री खुफिया फर्म केप्लर से प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि तीन महीने की मंदी के बाद अक्टूबर के पहले 15 दिनों में रूस से भारत के तेल आयात (पहले से ही आ चुके) में उछाल आया और यह 18 करोड़ बैरल प्रतिदिन हो गया। भारतीय रिफाइनरों ने पश्चिम के दबाव को नजरंदाज किया और आकर्षक मूल्य निर्धारण के कारण रूस से कच्चे तेल की मजबूत आपूर्ति बनाए रखी। भारत का रूसी तेल का आयात पिछले तीन महीनों में मामूली रूप से गिरकर जुलाई में 15.9 लाख बीपीडी, अगस्त में 16.8 लाख बीपीडी और सितंबर में 15.4 लाख बीपीडी हो गया था।