मास्टरकार्ड की सिंगापुर की सहायक इकाई मास्टरकार्ड एशिया पैसिफिक पीटीई लिमिटेड पर 2 प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी लगाए जाने को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और आयकर विभाग को नोटिस भेजा है।
न्यायालय ने यह मामला 18 अगस्त तक के लिए टाल दिया है।
यह मसला कंपनी के स्थायी प्रतिष्ठान (पीई) की भारत में मौजूदगी से जुड़ा हुआ है। अथॉरिटी आफ एडवांस रूलिंग (एएआर), दिल्ली ने 2018 में कहा था कि कंपनी के भारत मेंं कई तरह के पीई हैं, जैसे फिक्स्ड प्लेस पीई, सर्विस पीई इत्यादि। यह मामला न्यायिक सुनवाई के अधीन है। पीई कारोबार का स्थल होता है, जिससे भारत में कर बढ़ोतरी करने में मदद मिलती है।
अब इस साल के वित्त अधिनियम में इक्वलाइजेशन लेवी घटाकर 2 प्रतिशत लाने की संभानवा उम्मीद की गई है, जो ई-कॉमर्स कारोबारियोंं पर वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगती है।
मसला यह है कि अगर मास्टरकार्ड एशिया पैसिफिक का भारत में पीई नहीं है, ऐसी स्थिति में इक्वलाइजेशन शुल्क देना पड़ेगा, लेकिन अगर उसका पीई है तो उसे सामान्य कर का भुगतान करना पड़ेगा। कंपनी न्यायालय में यह गुहार लगाने गई थी कि कंपनी पर लगाए गए लेवी पर स्थगनादेश दिया जाए क्योंकि पीई के मुख्य मसले पर अभी न्यायालय की ओर से फैसला होना है।
आत्मनिर्भरता के लिए प्रतिस्पर्धी उद्योग की जरूरत
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को कहा कि घरेलू उद्योग को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनना चाहिए तथा देश को आत्मनिर्भर बनने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकांश देश संरक्षणवादी नीतियां अपना रहे हैं और ऐसे में भारत को भी आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने कहा, ‘आने वाले दिनों में, हमें विश्वास के साथ आगे बढऩा होगा, क्योंकि आत्मनिर्भर भारत का कोई विकल्प नहीं है।’ उन्होंने कहा कि यहां तक कि अमेरिका जैसी मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था भी संरक्षणवादी नीतियों को अपना रही हैं। उद्योग एवं वाणिज्य संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘हमारे उद्योगों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनने की आवश्यकता है क्योंकि अधिक प्रतिस्पर्धा से हमारे उद्योगों की दक्षता में सुधार होगा।’ भाषा