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ऐप डेवलपरों को CCI से अंतरिम राहत नहीं, Google की तरफ से सेवा शुल्क वसूलने का मामला

CCI ने यह भी कहा है कि महानिदेशक (डीजी) आयोग द्वारा दिए गए 15 मार्च के आदेश के अनुसार अपनी जांच बरकरार रखेगा।

Last Updated- March 20, 2024 | 11:06 PM IST
Google India's net profit in the last financial year increased by 6% to Rs 1,425 crore Google India का पिछले वित्त वर्ष में नेट प्रॉफिट 6% बढ़कर 1,425 करोड़ रुपये पर पहुंचा

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने बुधवार को अंतरिम राहत आदेश से इनकार कर दिया, जो गूगल को तब तक ऐप डेवलपर्स से अपना सेवा शुल्क लेने से रोक देगा, जब तक कि नियामक इस मामले में अंतिम आदेश पारित नहीं कर देता। सीसीआई ने यह भी कहा है कि महानिदेशक (डीजी) आयोग द्वारा दिए गए 15 मार्च के आदेश के अनुसार अपनी जांच बरकरार रखेगा।

सीसीआई ने ऐप डेवलपरों द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘आयोग का मानना है कि मुखबिरों द्वारा ऐसा कोई मामला नहीं बनाया गया है जिसके लिए अंतरिम राहत की जरूरत हो। इसके परिणामस्वरूप, आवेदनों को खारिज किया जाता है।’

आदेश में कहा गया है, ‘डीजी द्वारा इस संबंध में की गई टिप्पणियों से किसी भी तरह से प्रभावित हुए बिना जांच की जाएगी।’ नियामक ने अपने आदेश में यह भी कहा कि हालांकि गूगल के शुल्क ढांचे की निष्पक्षता से जुड़ी चिंताएं हो सकती हैं, लेकिन ऐप स्टोरों के रखरखाव एवं परिचालन से जुड़ी लागत एवं ​जिम्मेदारियों को ध्यान में रखना जरूरी है।

सीसीआई के आदेश के अनुसार, गूगल ने दलील दी थी कि उसे अंतरिम रूप से शुल्क लेने से प्रतिबंधित करने का मतलब यही होगा कि कंपनी को भारत में डेवलपरों को अपना प्लेस्टोर मुफ्त में उपलब्ध कराना होगा।

सीसीआई ने अपने आदेश में कहा है, ‘किसी अन्य अदालत या नियामक ने बार बार अनुरोधों के बावजूद समान राहत आदेश पास नहीं किया। इससे पता चलता है कि गूगल अपना प्लेटफॉर्म बगैर सहमति के प्रदान नहीं करा सकता, खासकर तब, जब डेवलपर डिजिटल इन-ऐप खरीदारी के लिए अपने उपयोगकर्ताओं से शुल्क वसूलना जारी रखें और सेवा का लाभ उठाते रहें।’

याचिका पीपुल इंटरे​क्टिव इंडिया द्वारा सौंपी गई थी, जिसके शादी डॉटकॉम और संगम डॉटकॉम तथा मेबिगो लैब्स प्राइवेट लिमिटेड जैसे ब्रांड हैं। इसमें कहा गया है, एकसमान मौका और ऐप स्टोर मार्केट के भीतर प्रतिस्पर्धा से संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए यह हालांकि आवश्यक है, ऐसे में कोई कदम आनुपातिक होनी चाहिए और सावधानीपूर्वक तैयार होनी चाहिए ताकि इसके अनायास मिलने वाले परिणाम को कम से कम किया जा सके। पीपल्स ग्रुप, एडीआईएफ व अन्य से संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

पिछले हफ्ते सीसीआई ने गूगल प्ले स्टोर की बिलिंग नीति की जांच का आदेश दिया था क्योंकि उसने ऐप डेवलपर्स पर अनुचित सेवा शुल्क लगा दिया था। कुछ भारतीय कंपनियों की याचिका की सुनवाई पर यह आदेश दिया गया था। 21 पेज के आदेश में सीसीआई ने पाया है कि गूगल की तरफ से इस तरह के कदम से ऐप डेवलपर्स के पास अपनी पेशकश को और आगे बढ़ाने और उसें इजाफा करने के लिए काफी कम संसाधन बचे, लिहाजा ऐप बाजार की वृद्धि बाधित हुई।

यह आदेश तब आया जब कुछ स्टार्टअप ने सीसीआई को बताया कि तकनीकी दिग्गज उसके पहले के नियम पर नजर नहीं डाल रहा, जिसमें इन-ऐप पर्चेज में थर्ड पार्टी बिलिंग सर्विस की इजाजत थी। ऐप मालिकों व गूगल के बीच विवाद 11-26 फीसदी सेवा शुल्क को लेकर है, जो तकनीकी दिग्गज चुनिंदा डेवलपर्स से वसूलता है जो इन-ऐप बिलिंग सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं।

First Published - March 20, 2024 | 11:06 PM IST

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