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बीएसएनएल में बनी रह सकती है एमटीएनएल

Last Updated- December 14, 2022 | 10:52 PM IST

केंद्र सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के विलय में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि एमटीएनएल को बीएसएनएल के अधीन वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर (वीएनओ) के रूप में बनाए रखने की अनुमति दी जा सकती है।

ऐसा माना जा रहा है कि एमटीएनएल इस व्यवस्था के तहत बीएसएनएल की लैंडलाइन, मोबाइल और ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध कराएगी और उनका प्रबंधन करेगी। बीएसएनएल मुंबई और दिल्ली में एमटीएनएल के माध्यम से इन सेवाओं की पेशकश शुरू कर सकती है।

इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अंतरराष्ट्रीय रूप से देखें तो वीएनओ केवल मोबाइल सेवाएं मुहैया कराते हैं, लेकिन हमने यहां परिभाषा में थोड़ा बदलाव किया है और एमटीएनएल लैंडलाइन सेवाओं से लेकर मोबाइल व ब्राडबैंड सेवाएं भी मुहैया करा सकेगी।’

सूत्रों ने कहा कि संचार विभाग ने आंतरिक रूप से फैसला किया है और अब इसके लिए लिए डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) से अनुमति ली जाएगी, जो दूरसंचार क्षेत्र में फैसला करने वाला शीर्ष निकाय है।  डीसीसी के प्रमुख दूरसंचार सचिव हैं और इसमें वित्त मंत्रालय व नीति आयोग के प्रतिनिधि के अलावा अन्य सरकारी विभागों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि सरकार इन दो सरकारी उपक्रमों के विलय को लेकर संघर्ष कर रही है, जिसकी मंजूरी कैबिनेट ने पिछले साल दी थी। केंद्र सरकार की एमटीएनएल में हिस्सेदारी 57 प्रतिशत है और शेष हिस्सेदारी सार्वजनिक है।

अगर दोनों कंपनियों में सरकार की 90 प्रतिशत हिस्सेदारी होती तो भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के मुताबिक आसानी से इनका विलय हो सकता था।

एमटीएनएल को वीएनओ का दर्जा दिए जाने का मतलब यह है कि भविष्य में नियुक्तियां नहीं होंगी और वरिष्ठ प्रबंधन के जो लोग बचे हुए हैं और उन्होंने कंपनी को नहीं छोड़ा है, वह यथावत काम जारी रखेंगे।

एमटीएनएल के वित्त निदेशक सितंबर 2020 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जबकि निदेशक (तकनीक) टीसीआईएल में पदभार संभालने वाले हैं। वहीं निदेशक (मानव संसाधन और इंटरप्राइज बिजनेस) 24 अक्टूबर 2019 को ही जा चुके हैं। केंद्र सरकार ने 24 अक्टूबर 2019 को घाटे में चल रही बीएसएनएल और एमटीएनएल को 68,751 करोड़ रुपये का पैकेज दिया था, जिसमें 4जी स्पेक्ट्रम आवंटन और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना भी शामिल है। कैबिनेट ने दो दूरसंचार कंपनियों के विलय को भी मंजूरी दी थी और संकेत दिया था कि विलय की प्रक्रिया पूरी होने तक एमटीएनएल, बीएसएनएल की सहायक इकाई के रूप में काम करेगी।  इस पैकेज में दोनों कंपनियों की पूंजी की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये के सॉवरिन बॉन्ड जारी करना,  20,140 करोड़ रुपये के 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन, 50 प्रतिशत कर्मचारियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए 29,937 करोड़ रुपये और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए 3,674 करोड़ रुपये का आवंटन शामिल है, जो रेडियो तरंगों के आवंटन पर लगाया जाएगा।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक दोनों कंपनियों के 92,000 से ज्यादा कर्मचारियों ने वीआरएस पैकेज लिया है, जिनमें 78,000 से ज्यादा बीएसएनएल के कर्मचारी और 14,000 से ज्यादा एमटीएनएल के कर्मचारी शामिल हैं। इसके पहले बीएसएनएल में 1.5 लाख और एमटीएनएल में 22,000 कर्मचारी थे।

First Published - October 11, 2020 | 11:28 PM IST

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