राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट में बढ़ते मामलों के मद्देनजर उसके पीठ बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने यह गणना शुरू कर दी है कि पंचाट का एक पीठ मामले का निस्तारण करने में कितना समय ले रहा है और हरेक पीठ कितने मामलों का निपटारा कर पा रहा है।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमें सबसे पहले अपनी जरूरतों का आकलन करना है। एनसीएलटी कंपनी अधिनियम के साथ-साथ ऋणशोधन अक्षमता व दिवालिया मामलों की सुनवाई करती है। एनसीएलटी में ऋणशोधन अक्षमता और दिवालिया मामले अधिक लंबित हैं। हम हकीकत जानने के लिए जमीनी आंकड़ों का संकलन कर रहे हैं।’
अभी एनसीएलटी में मंजूर सदस्यों की संख्या 63 है। इनमें तकनीकी और न्याय क्षेत्र के सदस्य होते हैं। एनसीएलटी की वेबसाइट के मुताबिक इनमें 55 पद भरे जा चुके हैं। सरकार आईटी आधारित सिस्टम सहित तकनीक को बढ़ावा दे रही है। इससे मामलों का जल्दी निपटारा होगा और मानव श्रम पर निर्भरता कम होगी। फिर भी यह महसूस किया गया है कि अतिरिक्त पीठों की जरूरत होगी।
देशभर में एनसीएलटी के 28 न्यायालय और 16 पीठें हैं। इनकी संख्या में बढ़ोतरी के लिए मंजूरी मंत्रिमंडल से लेने की जरूरत होती है। सूत्रों के मुताबिक उद्योग की मांग ऋणशोधन अक्षमता के मामलों के लिए खासतौर पीठों की मांग है लेकिन सरकार इस विचार से सहमत नहीं है।
एनसीएलटी ने अगस्त, 2022 तक कंपनी अधिनियम के तहत विलय और अधिग्रहण से संबंधित 93 फीसदी से अधिक और विभिन्न प्रावधानों के अंतर्गत आने वाले 80 प्रतिशत से अधिक मामलों का निपटारा कर दिया था।
एनसीएलटी को मूलत कंपनी कानूनों से निपटने के लिए बनाया गया था। लेकिन वर्तमान समय में फैसला लेने वाला प्राधिकरण आमतौर पर ऋणशोधन की अक्षमता और दिवालिया संहिता (आईबीसी) से निपट रहा है। वित्तीय और संचालन ऋणदाताओं और प्रवर्तकों की ऋणशोधन अक्षमता के दायर आवेदनों में अगस्त, 2022 तक करीब 72 फीसदी का निपटारा कर दिया गया था। एनसीएलटी में 18,504 मामले लंबित हैं और इनमें 10,544 आईबीसी से संबंधित हैं।
एनसीएलटी ने नवंबर 2017 से अगस्त 2022 तक ऋणशोधन की अक्षमता की पहल के 31,203 मामले निपटाए। इनमें 7,175 मामले प्रवेश पूर्व के चरण में थे और 3,369 मामले प्रवेश के बाद के चरण में थे।
विधि विशेषज्ञों के मुताबिक एनसीएलटी में सुनवाई में देरी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण मामले निपटाने की दर कम है। यह खामियां एनसीएलटी को दूर करने की जरूरत है। एनसीएलटी ने अपने ई कोर्ट सिस्टम को मजूबत किया है। इससे किसी भी समय आवेदन किया जा सकता है। एनसीएलटी सभी पीठों को ऑनलाइन करने के लिए एमपीएलएस (मल्टी प्रोटोकॉल लेबल स्विच) पर काम कर रहा है।