टाइगर ग्लोबल (Tiger Global) द्वारा समर्थित Koo, जो ट्विटर (Twitter) का भारतीय विकल्प है, ने पिछले साल अपने 260 कर्मचारियों के वर्कफोर्स में से 30 फीसदी की छंटनी की है, क्योंकि भारत में कई अन्य स्टार्टअप कंपनियों की ही तरह यह नवोदित फर्म भी वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल हालात से जूझ रही है।
अलबत्ता इस माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट का कहना है कि हाल ही में रकम जुटाने की ताजा कवायद के बाद उसके पास खासी पूंजी है और इस समय धन की आवश्यकता नहीं है।
Koo के प्रवक्ता ने कहा कि इस अवधि को देखते हुए सभी आकार वाले कारोबारों के लिए कुशल और रूढ़िवादी दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है। कंपनी ने इसी के अनुरूप अपने वर्कफोर्स में से 30 फीसदी की छंटनी की है। कंपनी का कहना है कि उसने प्रभावित कर्मचारियों को मुआवजा पैकेज, विस्तृत स्वास्थ्य लाभ और विस्थापन सेवाओं के जरिये मदद की है।
प्रवक्ता ने कहा कि अधिकांश स्टार्टअप कंपनियों की तरह ही Koo ने भी दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए वर्कफोर्स तैयार किया है। बाजार के मौजूदा माहौल और वैश्विक मंदी की बाहरी वास्तविकताओं को देखते हुए हम भी प्रभावित हो रहे हैं। कंपनी ने पिछले साल अगस्त में अपने कर्मचारियों के पांच फीसदी हिस्से की पहले ही छंटनी कर दी थी।
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वर्ष 2020 में स्थापित Koo बहुभाषी माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म है, जो उपयोगकर्ताओं को टेक्स्ट, ऑडियो और वीडियो के जरिये संवाद की अनुमति प्रदान करता है। यह इन्फलुएंजर को अपने समुदाय से जुड़ने और अपने प्रशंसकों के साथ बातचीत करने की भी अनुमति देता है।
कहा जाता है कि बेंगलूरु की इस कंपनी को अनुचित सामग्री मॉडरेशन पर ट्विटर और भारत सरकार के बीच लड़ाई से लाभ हुआ, जिसकी वजह से कई मशहूर हस्तियों, सरकारी अधिकारियों और नागरिकों ने ट्विटर छोड़ दिया और स्वदेशी रूप से निर्मित उसके विकल्प का रुख कर लिया।