निजी इक्विटी फर्म केकेआर ऐंड कंपनी एशिया के लिए खास तौर पर बनाए 6.4 अरब डॉलर के अपने नए फंड का बड़ा हिस्सा भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर निवेश करने की योजना बना रही है। न्यूयॉर्क की कंपनी इसके तहत सड़क और राजमार्ग तथा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा दांव लगाएगी। केकेआर भारत में अभी तक कुल 10 अरब डॉलर का निवेश कर चुकी है, जिसमें से 3 अरब डॉलर का निवेश बुनियादी ढांचे में ही हुआ है।
1 फरवरी को बंद हुए एशिया पैसिफिक इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टर्स-2 फंड में निवेश के लिए भारत, दक्षिण कोरिया, दक्षिण पूर्व एशिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की पहचान की गई है। केकेआर ऐंड कंपनी में पार्टनर हार्दिक शाह ने आज कहा, ‘हमने 3.9 अरब डॉलर के अपने पहले एशिया फंड का करीब 30 फीसदी भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश किया है और आगे भी हमारी योजना इसी तरह से निवेश करने की है क्योंकि भारत हमारे लिए प्रमुख बाजार बना हुआ है।’
कनाडा की पीई फर्म ब्रुकफील्ड छोड़कर 2019 में केकेआर के इन्फ्रास्ट्रक्चर कारोबार में आने वाले शाह ने कहा कि चीन में नया निवेश नहीं किया जाएगा क्योंकि पीई फर्म को अन्य बाजारों में ज्यादा अवसर दिख रहे हैं।
केकेआर ऐंड कंपनी दुनिया भर में करीब 550 अरब डॉलर की परिसंपत्ति संभालती है और इस कारोबार को दोगुना करने की उसकी योजना है। इसके लिए वह बुनियादी ढांचा तथा जलवायु से संबंधित क्षेत्रों के साथ ही प्राइवेट वेल्थ एवं एशिया-प्रशांत क्षेत्र जैसे बाजारों पर ध्यान दे रही है। दुनिया भर में कंपनी बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 56 अरब डॉलर की संपत्तियां संभाल रही है।
केकेआर की तरह अन्य वैश्विक निजी इक्विटी कंपनियां भी भारत के स्वास्थ्य सेवा, सूचना प्रौद्योगिकी, रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं। अमेरिका की पीई फर्म ब्लैकस्टोन ने भारत में सबसे ज्यादा 50 अरब डॉलर का निवेश किया है। उसने स्वास्थ्य सेवा, वेयरहाउसिंग और रियल एस्टेट क्षेत्र में दांव लगाया है।
सिंगापुर की टेमासेक ने देश में अभी तक 17 अरब डॉलर का निवेश किया है। टेमासेक के अधिकारियों ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि अगले तीन साल में भारत के स्वास्थ्य सेवा, आईटी और फिनटेक क्षेत्र में और 9 से 10 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा।
कनाडा की पीई फर्म ब्रुकफील्ड ऐसेट मैनेजमेंट भी भारत के दूरसंचार टावर, रियल एस्टेट और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की बड़ी निवेशक है। उसने देश में अभी तक करीब 25 अरब डॉलर का निवेश किया है।
जनवरी में केकेआर समर्थित हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट ने पीएनसी इन्फ्राटेक और पीएनसी इन्फ्रा होल्डिंग्स से 12 सड़क परियोजनाओं का अधिग्रहण 9, 005.7 करोड़ रुपये के उद्यम मूल्य पर किया था। यह सड़क एवं राजमार्ग क्षेत्र में सबसे बड़े सौदों में शामिल था।
शाह ने कहा, ‘हम भारत में अन्य सड़क, राजमार्ग और एक्सप्रेसवे परियोजनाओं में निवेश करने की संभावना तलाश रहे हैं क्योंकि इन परियोजनाओं में नकदी प्रवाह अच्छा होता है और महंगाई का भी असर नहीं पड़ता। करीब 99 फीसदी टोल फास्टैग के जरिये लिया जाता है, इसलिए चोरी होने या सुरक्षा संबंधी चिंता नहीं होती है।’
केकेआर ने इंडिया ग्रिड ट्रस्ट (इंडीग्रिड) में भी निवेश किया है। इंडीग्रिड के पास देश में बिजली पारेषण संपत्तियां हैं और कंपनी अन्य पारेषण संपत्तियों में भी निवेश की संभावना तलाश रही है।
शाह ने कहा कि केकेआर वेदांत समूह के साथ भी काम कर रही है। वह वेदांत को कोयले से बिजली बनाने की संपत्तियां अक्षय ऊर्जा संपत्तियों में बदलने में भी मदद कर रही है। 2020 में केकेआर ने देश में नवीकरणीय ऊर्जा संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए विरसेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर का गठन किया था। सितंबर 2022 में केकेआर ने हीरो फ्यूचर एनर्जीज में 45 करोड़ डॉलर का निवेश किया था।
शाह ने कहा कि बीते 15 साल में संपत्तियों की उपलब्धता और नीतियों में स्पष्टता के लिहाज से भारत का बाजार परिपक्व हुआ है जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।
उन्होंने कहा, ’15 साल पहले यहां उतनी परिचालन वाली संपत्तियां उपलब्ध नहीं थीं। इसलिए काफी पूंजी गिनी-चुनी संपत्तियों में ही लगती थीं। उसके बाद से स्थिति में बदलाव हुआ है और निवेश् भी समझदार हुए हैं। निर्णय लेने के मामले में सरकार की नीतियों में भी निश्चितता आई है।’