जेएसडब्ल्यू समूह की ऊर्जा शाखा बैटरी स्टोर के समाधानों पर अपना ध्यान बढ़ाने की योजना बना रही है क्योंकि विभिन्न उद्योगों में नवीकरणीय ऊर्जा की ओर रुख करने से यह जरूरी हो गया है कि इस क्षेत्र में उतार-चढ़ाव की दिक्कतों से निपटा जाए।
सरल रूप में कहें, तो अक्षय ऊर्जा में यह उतार-चढ़ाव अक्षय ऊर्जा के संसाधनों की अनियमित बिजली आपूर्ति की ओर संकेत करता है, क्योंकि ये संसाधन लगातार उपलब्ध नहीं रहते हैं।
बैटरी स्टोरे समाधान पंप वाली पनबिजली ऊर्जा भंडारण समाधान से लेकर लीथियम-आयन बैटरी समाधान और क्रायोजेनिक ऊर्जा भंडारण समाधान तक शामिल हो सकते हैं। इनमें से पंप वाली पनबिजली का भंडारण औरलीथियम-आयन बैटरी स्टोरेज उपलब्ध लोकप्रिय तकनीकों में से हैं।
पिछले सप्ताह जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) की दो परियोजनाओं के साथ बैटरी भंडारण समाधान में प्रवेश किया। जेएसडब्ल्यू एनर्जी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत जैन ने कहा ‘इस दिशा में यह पहला कदम है।’
वे कहते हैं ‘हम इन भंडारण समाधानों का निर्माण राजस्थान में कर रहे हैं, जिन्हें हम अक्टूबर 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य बना रहे हैं। हम ऐसी और परियोजनाओं पर विचार करेंगे क्योंकि अनियमितता (उद्योग स्तर पर) निपटने की जरूरत बढ़ेगी।’
जैन बताते हैं कि जेएसडब्ल्यू एनर्जी को एसईसीआई की 500 मेगावॉट/1,000 मेगावॉट भंडारण प्रणाली वाली परियोजनाएं दी गई हैं, जिसका अर्थ यह है कि 500 मेगावॉट बैटरी ऊर्जा दो घंटे के लिए पावर बैकअप प्रदान कर सकती है, जिससे कुल 1,000 मेगावॉट का उत्पादन होता है।
जैन ने कहा कि कंपनी एसईसीआई परियोजनाओं के लिए 12 साल तक हर महीने 10.8 लाख रुपये प्रति मेगावॉट का निश्चित क्षमता शुल्क प्राप्त करने की हकदार होगी। इसके साथ ही जेएसडब्ल्यू एनर्जी कर्नाटक में अपने इस्पात संयंत्र के लिए इस कैलेंडर वर्ष में अपनी पहली पंप वाली हाइड्रो स्टोरेज परियोजना भी शुरू करेगी।
हालांकि कंपनी को देश भर के विभिन्न राज्यों में 50 किलोवॉट प्रति घंटा तक की पंप वाली हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाओं का आवंटन किया गया है, लेकिन ये विकास के शुरुआती चरण में हैं।
जैन ने कहा कि सरकार ग्रिड में स्थिरता लाने के लिए भंडारण की आवश्यकता के प्रति सचेत है, चाहे वह पंप वाला हाइड्रो स्टोरेज समाधान हो या लीथियम-आयन बैटरी स्टोरेज समाधान हो। हम क्षेत्र में स्पष्ट नीतिगत ढांचे का इंतजार कर रहे हैं। यही बात हरित हाइड्रोजन पर लागू होती है। नीतिगत ढांचा आने पर, हम ठेके हासिल करने और हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं पर काम शुरू करने की स्थिति में होंगे।
कंपनी अपने क्षमता स्तर और अधिग्रहण के जरिये अगले 18 महीने में 2.25 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा क्षमता शुरू करने पर विचार कर रही है। जैन ने कहा कि पिछले साल अगस्त में मित्र एनर्जी की 1.75 गीगावॉट की परिसंपत्ति का अधिग्रहण करने की घोषणा इस दिशा में उठाया गया कदम है और अभी तक किया गया फर्म का सबसे बडा सौदा है, जो 10,530 करोड़ रुपये के उद्यम मूल्य पर किया गया है।